ब्रिटेन: 75 साल के इतिहास में नर्सों की सबसे बड़ी हड़ताल

ब्रिटेन की सड़कों पर सोमवार, 6 फ़रवरी को हजारों नर्सों एवं एम्बुलेंसकर्मियों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल की। नर्स एवं एम्बुलेंस कर्मियों के श्रमिक संघों का कहना है कि यह 75 साल के इतिहास में यह सबसे बड़ी हड़ताल है।

उल्लेखनीय है कि यूक्रेन युद्ध के बाद ब्रिटेन में महंगाई दर लगातार बढ़ती जा रहीं है। जिसके विरोध में साल की शुरुआत में ही हड़तालों का दौर शुरू हो गया। इसका विरोध करते हुए विभिन्न विभागों के कर्मचारी वेतन में वृद्धि करने की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं या जाने की तैयारी कर रहे हैं।

दिसंबर 2022 से जारी हड़तालों से ब्रिटेन के लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।

नर्सिंग यूनियन का कहना है कि उनके 48 घंटे के ‘वॉकआउट’ के दौरान आपातकालीन देखभाल और कैंसर का इलाज जारी रहा। हालांकि, इस दौरान हजारों अन्य एप्वाइंटमेंट और अन्य प्रक्रियाओं के स्थगित किया गया।

रायटर्स से मिली जानकारी के मुताबिक, एंबुलेंस सेवा का कहना है कि वह दिन भर की हड़ताल के दौरान सबसे अधिक जरूरी कॉल पर काम किया गया।

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दरअसल, ब्रिटेन में वेतन में बढ़ोतरी की मांग करते हुए शिक्षकों, ट्रेन चालकों, हवाई अड्डे पर कूली का काम करने वालों, सीमा कर्मचारियों, चालक प्रशिक्षक, बस चालक और डाक कर्मचारियों ने भी हाल के महीनों में काम से वॉकआउट जारी है।

शिक्षकों, स्वास्थ्य कर्मियों और कई अन्य लोगों का कहना है कि पिछले एक दशक में उनके वेतन में लगातार गिरावट आई है और तेजी से बढ़ती खाद्य वस्तुओं एवं ईंधन की कीमतों ने जीवन-यापन का संकट पैदा कर दिया है।

इसके अलावा, ब्रिटेन के सबसे बड़े शिक्षा संघ ने भी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। यह फैसला हड़ताल के पक्ष में मतदान करने के बाद लिया गया है।

राष्ट्रीय शिक्षा संघ (एनईयू) का कहना है कि जब तक सरकार उनकी वेतन में वृद्धि की मांग नहीं मान लेती तब तक हड़ताल को जारी रखा जायेगा। इस दौरान इंग्लैंड और वेल्स में सैकड़ों हजारों शिक्षक पूरे फरवरी और मार्च के महीने में काम नहीं करेंगे।

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संघ द्वारा साझा जानकारी के मुताबिक फ़रवरी के महीने में 14 और 28 तारिक को हड़ताल का आयोजन किया जायेगा। वहीं 1 और 2 मार्च को भी दो दिनों के लिए शिक्षा व्यवस्था प्रभावित रहेगी।

शिक्षकों की इस हड़ताल के कारण इंग्लैंड और वेल्स में अधिकांश स्कूल कई दिनों तक बंद या आंशिक रूप से बंद हो सकते हैं। संघ ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय वाकआउट का विवरण तैयार किया है।

गौरतलब है कि देश की कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार का तर्क है कि सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन में 10 फीसदी या उससे अधिक की वृद्धि करने से मुद्रास्फीति और भी अधिक बढ़ जाएगी।

सरकार के एक मंत्री ने प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से इस समस्या के समाधान के लिये मामले में बातचीत करने की अपील की है।

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