केंद्रीय श्रमिक संगठनों के एक संयुक्त मंच ने राष्ट्रीय मैद्रीकरण पाइपलाइन परियोजना के खिलाफ बृहस्पतिवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया।
बयान में कहा गया, ‘‘हमारा आरोप यह है कि यह और कुछ नहीं बल्कि सभी ढांचागत संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने का एक नापाक इरादा है। सरकार के इस ताजा कदम का तत्काल प्रभाव आम आदमी पर पड़ेगा। इससे बुनियादी ढांचा सेवाओं के मूल्य में वृद्धि होगी।”
संयुक्त ट्रेंड यूनियन्स के राष्ट्रीय आह्वान पर प्रयागराज उपश्रमायुक्त कार्यालय पर भी मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन के अंत में देश के राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन श्री बी बी गिरी प्रयागराज सहायक श्रमायुक्त को सौंपा गया।
विरोध प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की सरकार वर्षों के जद्दोजहद और देश की जनता, मजदूरों, किसानों के पसीने से बनी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों सहित राष्ट्र की सम्पत्ति पूंजीपतियों को राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइप लाइन के नाम पर सौंप दे रही हैं।
यानी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण करके देश पुनः गुलाम बना रही है।
सरकार राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइप लाइन के नाम पर 4 वर्षों में 6 लाख करोड़ रुपए इकट्ठा करने की जो योजना बनाई है।
वहीं गुरुवार को ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा ने लखीमाता कोलियरी कार्यालय परिसर, निरसा में भी विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार की इस नीति का हर स्तर पर विरोध करने का निर्णय लिया गया।
विरोध प्रदर्शन में वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने नोटबंदी कर देश को बेहाल किया। अब सरकारी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण कर इसे बेचने का काम करने जा रही है।
इन प्रदर्शनों के अलावा भी देश भर में राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन परियोजना के खिलाफ ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।
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