किसानों पर बर्बर करवाई के खिलाफ 23 फरवरी को पूरे भारत में काला दिवस मनाया जायेगा – केंद्रीय ट्रेड यूनियनें

farmers protest

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मंच ने आज हरियाणा पुलिस और केंद्रीय बलों द्वारा खनौरी और शंभू सीमाओं पर किसानों पर अभूतपूर्व और अकारण बल और उत्पीड़न की कड़ी निंदा की है.

मालूम हो कि 21 वर्षीय बल्लो गांव के चरणजीत सिंह के बेटे शुभकरण सिंह की सिर में गंभीर चोट लगने से मौत हो गई और खनौरी और शंभू सीमा पर दर्जनों किसानों को चोटें आई हैं.

ट्रेड यूनियनों ने बयान देते हुए कहा कि ‘किसानों पर लाठीचार्ज, प्लास्टिक की गोलियों और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया है. जिनका कसूर सिर्फ इतना है कि वे देश की राजधानी पहुंचकर सरकार से मांग करना चाहते थे कि तीन कृषि कानून वापस लेने के वक्त किसानों से किए गए वादे पूरे किए जाएं , जिसके आधार पर उन्होंने दिल्ली की सीमाओं से आंदोलन उठाया था’.

इसके साथ ही यूनियन के नेताओं ने 16 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों,स्वतंत्र फेडरेशनों /एसोसिएशनों के मंच द्वारा औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद के साथ राष्ट्रव्यापी जन लामबंदी के लिए दिए गए संयुक्त आह्वान पर सफल कार्रवाई के लिए श्रमिकों और किसानों को बधाई दी.

उन्होंने कहा कि ‘आंदोलन की इस सफलता ने केंद्र के शासकों को घबरा दिया है. केंद्र में सत्तारूढ़ शासन और राज्यों में सत्तारूढ़ उनकी पार्टी किसी भी विरोध को कुचलने के लिए सभी तरीकों का इस्तेमाल करने की साजिश कर रही है और सभी प्रकार के गैरकानूनी तारीकों का उपयोग करने पर आमादा है’.

अपनी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि “हम संगठित और असंगठित सभी क्षेत्रों की यूनियनों से आह्वान करते हैं कि वे 23 फरवरी को काला दिवस के रूप में मनाएं और राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करें, काले बैज पहनें, दोपहर के भोजन के समय विरोध प्रदर्शन करें, धरना दें, जुलूस निकालें, मशाल की रोशनी/मोमबत्ती की रोशनी में विरोध प्रदर्शन करें. जिस भी रूप में देश के मजदूरों और किसानों के प्रति केंद्र सरकार के क्रूर रवैये पर वे अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकें उसे करें”.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ‘ हम समय के साथ विकसित हुई मजदूर-किसान एकता को जारी रखने की बात दोहराते हैं और इस मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी सरकार जो कॉर्पोरेट सांप्रदायिक सांठगांठ करके मजदूरों तथा किसानों पर अत्याचार को बढ़ावा दे रही है, से लड़ने के लिए एसकेएम के भविष्य के किसी भी आह्वान के साथ एकजुटता से कार्रवाई करेंगे’.

(केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, स्वतंत्र फेडरेशनों /एसोसिएशनों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर)

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