फरीदाबाद में चार सफाई कर्मचारियों की मौत, परिजनों ने सुरक्षा उपकरण न देने का लगाया आरोप

फरीदाबाद के एक निजी अस्पताल में बुधवार दोपहर सीवर के गड्ढे की सफाई के दौरान जहरीली गैस की चपेट में आने से चार सफाई ठेका मज़दूरों की मौत हो गई।

पीड़ितों की पहचान रोहित कुमार (23), उसका भाई रवि कुमार (24), विशाल (24) और रवि गोल्डर (25) दिल्ली के दक्षिणपुरी के रहने वाले थे। पुलिस ने कहा कि 25 से 30 साल की उम्र के सभी पुरुष दिल्ली के दक्षिणपुरी के संजय कैंप के रहे वाले थे और दिल्ली की कंपनी संतुष्टि एलाइड सर्विसेज के साथ काम करते थे, जो सफाई सेवाएं प्रदान करती है। पुलिस के अनुसार घटना फरीदाबाद के सेक्टर 16 स्थित QRG अस्पताल में दोपहर करीब एक बजे हुई।

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इंडियन एक्सप्रेस से मिली जानकारी के मुताबिक फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता सूबे सिंह ने कहा कि अस्पताल ने कंपनी को अपने सीवर की सफाई के लिए काम पर रखा था, जो हर महीने किया जाता था।

उन्होंने बताया कि दोपहर में दो सफाई मज़दूर सीवर में घुसे और एक जहरीली गैस की चपेट में आने से बेहोश हो गए। जब ​​वे नहीं लौटे, तो दो अन्य कर्मचारी उन्हें बचाने के लिए गए, जिसके बाद वे भी बेहोश हो गए। पुलिस ने कहा कि पीड़ितों को बचाने की कोशिश के बाद निजी अस्पताल के दो कर्मचारियों नरेंद्र और शाहिद को भी आईसीयू में भर्ती कराया गया था।

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एफआईआर दर्ज

पुलिस ने कहा कि अस्पताल और सफाई एजेंसी के खिलाफ सफाईकर्मियों में से एक के भाई ने आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), हाथ से मैला ढोने वाले के रूप में रोजगार निषेध अधिनियम, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार की रोकथाम) के तहत प्राथमिकी दर्ज एफआईआर दर्ज कराई है।

मिली जानकारी के मुताबिक सीवर सफाई के उतरे किस भी मज़दूर के पास कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए थे।

कंपनी ने अस्पताल को ठहराया जिम्मेदार

संतोषी एलाइड सर्विसेज के सुपरवाइजर सतीश कुमार ने कहा, ”हादसे में मरने वाले सभी सफाई मज़दूर हमारे साथ पिछले चार-पांच साल से ठेके पर काम कर रहे थे। अस्पताल के कुछ इलाकों की सफाई का हमारा ठेका है। लेकिन हमारा दायरा ड्रेनेज लाइनों की सफाई तक ही सीमित है। जो केवल 4-6 फीट गहरे हैं, और इसमें सीवर शामिल नहीं है।

सुपरवाइजर का कहना है कि मुझे नहीं पता कि किन परिस्थितियों में मजदूरों को सफाई के लिए सीवर के गड्ढे के अंदर जाने को कहा गया। दोपहर में, हमें एक फोन आया जिसमें बताया गया कि मजदूरों की मृत्यु हो गई है।”

वहीं क्यूआरजी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महिंदर सिंह तंवर ने कहा कि यह कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह अपने कर्मचारियों को सुरक्षा संसाधन मुहैया कराए। उन्होंने कहा कि हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम जांच में पूरा सहयोग करेंगे।

सुरक्षा उपकरण नहीं दिए, परिजनों का आरोप

वहीं पीड़ितों के परिजनों ने कहा कि इस हादसे को लेकर अस्पताल और एजेंसी दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। वहीं शिकायतकर्ता विशाल के भाई गौरव ने आरोप लगाया कि मजदूरों को टैंक के अंदर घुसने के लिए सीढ़ी तक नहीं दी गई थी, वे रस्सी के सहारे टैंक में घुसे।

उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि हम वाल्मीकि समुदाय से हैं अधिकारियों को लगता है कि मेरे भाई जैसे लोग इस तरह का गंदा काम कर लेंगे।

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वाल्मीकि समाज ने जताया विरोध प्रदर्शन

बुधवार शाम वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों ने मजदूरों की मौत को लेकर फरीदाबाद में विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।

प्रदर्शनकारियों में से एक, बाबा राम केवल ने कहा कि यह अस्पताल और एजेंसी की लापरवाही है। हमने पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे और नौकरी की मांग की है। जब इस विषय में अस्पताल और एजेंसी से बात की तो दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाने शुरू कर दिए।

गौरतलब है कि 2010 में आये राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध के बाद भी सफाई मज़दूरों को सीवेज में उतने के लिए मज़बूर किया जाता है।

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सफाईकर्मी अपनी जान हथेली पर लेकर सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने उतरते हैं और आय दिन इस दौरान उनकी मौत की घटनाएं सामने आती रहती हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 347 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 40 फीसदी मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुई हैं।

लोकसभा में 19 जुलाई को एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री, वीरेंद्र कुमार ने कहा कि 2017 में 92, 2018 में 67, 2019 में 116, 2020 में 19, 2021 में 36 और 2022 में अब तक 17 सफाईकर्मियों की मौतें सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान दर्ज की गई है।

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