कर्मचारियों का दबाव काम आया, राजस्थान में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल, यूपी में चुनाव ख़त्म होने का इंतज़ार

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पुरानी पेंशन स्कीम बहाल किए जाने की सालों से चली आ रही मांग को आखिरकार राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने मान लिया है।साथ ही मनरेगा की तर्ज पर शहरी गरीबों  के लिए रोज़गार गारंटी स्कीम की भी घोषणा की है।

बुधवार को पेश किए गए बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसकी घोषणा करते हुए कहा है कि एक जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों को नई पेंशन की जगह पुरानी पेंशन मिलेगी।  रिटायर होने पर अब कर्मचारियों को पूरी पेंशन मिलेगी और अंशदायी पेंशन योजना खत्म कर दी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में कर्मचारी यूनियनों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किए जाने की मांग को जोर शोर से उठाया था और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने वादा भी कर दिया है कि उनकी सरकार सत्ता में आने के बाद पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल कर देगी।

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असल में 2004 में केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वापजपेयी सरकार ने नई पेंशन स्कीम लाकर, पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म कर दिया था। उसके तुरंत बाद केंद्र में आई मनमोहन सिंह की सरकार ने भी इसे लागू किया।

ये हुआ तो केंद्रीय स्तर पर था लेकिन इसके बाद राज्यों ने एक के बाद एक करके इसे अपने यहां लागू किया। उस समय यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी और उसने ही राज्य में नई पेंशन स्कीम लागू किया था।

नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी को अंशदान देना होता है और उसी पैसे को शेयर बाज़ार में लगाकर जो ब्याज मिलता है, उसे ही पेंशन के रूप में दिया जाने लगा। लेकिन ये इतना मामूली है कि रिटायर हुए कर्मचारियों को 1000-1200 रुपये पेंशन मिलना शुरू हुई।

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2004 से पहले जो पुरानी पेंशन स्कीम लागू थी, उसके अनुसार रिटायर होने पर सैलरी का आधा पेंशन के रूप में मिलता था। इसमें भी डीए और महंगाई भत्ता समय समय पर बढ़ता रहता है। 2004 के बाद रिटायर हुए कर्मचारी इस सुविधा से वंचित कर दिए गए हैं।

बजट पेश करने के बाद गहलोत ने कहा कि आज कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक फैसला किया है। नई पेंशन स्कीम से कर्मचारियों में बुढापे के समय जीवन यापन की आशंका पैदा हो गई । डॉ. मनमोहन की सरकार ने नई पेंशन स्कीम का फैसला किया था लेकिन राज्यों में यह सोचना पड़ेगा। कर्मचारी चाहता है कि उसका भविष्य सु​रक्षित हो जाए। इसीलिए हमने पुरानी पेंशन लागू करने का फैसला किया। दूसरे राज्यों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी।

शहरी रोज़गार गारंटी योजना

शहरों में रहने वाले परिवारों को भी अब साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिलेगी। शहरों में रोजगार के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना की तर्ज पर इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गांरटी योजना लागू होगी। इस पर हर साल करीब 800 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इस योजना के माध्यम से आगामी वित्तीय वर्ष से शहरी परिवारों को साल में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा।

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के तहत अब 100 दिन की जगह पर 125 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, 25 दिन के रोजगार का व्यय राज्य सरकार वहन करेगी। इससे साल में करीब 750 करोड़ का भार आएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों में रोजगार की इस तरह की कोई योजना अभी तक नहीं थी, कोरोनाकाल में यह महसूस किया गया कि गांवों की तरह शहरी रोजगार गारंटी योजना होनी चाहिए। इसलिए यह पहल की गई है। जिन्हें कार्य की आवश्यकता है होगी वे परिवार साल में 100 दिन के रोजगार की मांग कर सकेंगे और उन्हें उनके निवास क्षेत्र के आसपास रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इससे शहरी परिवारों को भी संबल मिलत सकेगा।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में पुरानी पेंशन स्कीम अभी भी जारी है। और जैसे जैसे केंद्रीय कर्मचारी भी इस मांग को तेज करेंगे केंद्र पर भी पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का दबाव देर सबेर पड़ेगा।

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