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एक ज़रूरी फ़िल्म ‘चिल्ड्रेन ऑफ हैवेन’; मासूमियत की खुशबू के 25 साल

By मनीष आजाद बच्चों की मासूम दुनिया को ध्वस्त करके ही हम बड़ों की ‘समझदार’ दुनिया बनी है। लेकिन अक्सर ही हम इस ‘समझदारी’ से इतना ऊब जाते हैं कि …

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मट्टो की साइकिलः यह फिल्म हर मज़दूर को क्यों देखनी चाहिए?

By आशुतोष कुमार साइकिल मेरी प्रिय सवारी है। अलीगढ़ के शुरुआती सालों में साइकिल के सहारे ही सारा शहर धांगता फिरता था। यह कोई दो दशक पहले की बात है। …

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‘गायब होता देश’ और ‘एक्सटरमिनेट आल द ब्रूटस’ : एक ज़रूरी उपन्यास और डाक्युमेंट्री

By मनीष आज़ाद कुछ किताबें और फिल्में ऐसी होती हैं, जहाँ समय सांस लेता है। यहां सांस के उतार-चढ़ाव और गर्माहट को आप महसूस कर सकते हैं। रणेन्द्र का ‘गायब …

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