गांव छोड़ब नहीं: उड़ीसा के विस्थापन-विरोधी जन आंदोलनों की गाथाएँ

गाँव छोड़ब नहीं, बड़े बांधों, खनन और औद्योगिक परियोजनाओं के विरुद्ध लोगों के प्रतिरोध के इर्द-गिर्द बुनी गई राजनीतिक और सामाजिक कथाओं का विस्तृत नेरेटिव है। यह असल में उड़ीसा …

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‘दी सेंटीपीड’ : आज के दौर के ‘दुःस्वप्न’ का यथार्थ…

By मनीष आजाद “एक सपने में मैंने देखा कि सड़क पर खून फैला हुआ है और एक व्यक्ति जिसने महंगा सूट व सभी उंगलियों में हीरे की अँगूठी पहनी हुई …

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