ठेका मज़दूरों ने वीआरएस नहीं लिया तो प्रबंधन उत्पीड़न पर उतर आया, बेलसोनिका यूनियन का आरोप

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हरियाणा के आईएमटी मानेसर में स्थित मारुति की कंपोनेंट मेकर कंपनी बेलसोनिका के मज़दूरों ने बुधवार को मैनेजमेंट की ओर से की जा रही उकसावेबाज कार्यवाहियों के खिलाफ़ आक्रोष व्यक्त करते हुए गुड़गांव उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा।

राजीव चौक पर भारी संख्या में इकट्ठा हुए बेलसोनिका के मज़दूरों ने चौराहे से जुलूस की शक्ल में गुड़गांव के मिनी सचिवालय तक मार्च किया और प्रशासनिक गेट के सामने सभा कर कंपनी प्रबंधन की गतिविधियों की तीखी आलोचना की।

बेलसोनिका ऑटो कंपोनेंट प्रा.लि. एम्प्लाईज़ यूनियन के महासचिव अजीत सिंह ने कहा कि ‘जबसे यूनियन ने समान काम का समान वेतन और स्थायी काम के लिए स्थाई मज़दूर रखने की मांग की है, मैनेजमेंट वर्करों को तरह तरह से परेशान कर रहा है।’

उन्होंने कहा कि ‘टॉयलेट से आने में एक मिनट की देरी पर भी प्रबंधन वर्करों को कारण बताओ नोटिस थमा दे रहा है। बीते चार पांच महीने से वेरिफ़िकेशन की प्रक्रिया चलाकर मैनेजमेंट वर्करों का उत्पीड़न करने में लगा हुआ है।’

जुलूस के दौरान वर्कर्स यूनिटी से एक वर्कर ने कहा कि ‘मज़दूरों को वैरिफ़िकेशन के नाम पर एक महीने में दस दस बार बुलाया जा रहा है। हर बार बुलाकर अगली तारीख़ दे दी जाती है। यह वर्करों पर मानसिक दबाव डालने की कोशिश है।’

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यूनियन के प्रधान मोहिंदर कपूर ने बताया कि “अबतक दर्जनों वर्करों को नोटिस थमाई जा चुकी है और उनके खिलाफ़ घरेलू जांच बैठा दी गई है। वर्करों के आपसी झगड़े पर बिना किसी शिकायत के ही जांच बैठा दी जा रही है। बार बार पूछताछ, कारण बताओ नोटिस, उत्पादन बढ़ाने का दबाव, सुविधाओं में कटौती की कोशिशें औद्योगिक अशांति को दावत दे रही हैं।”

यूनियन ने जारी बयान में कहा है कि ‘प्रबंधकों द्वारा पिछले लम्बे समय से कम्पनी में गैर कानूनी तौर तरीके अपनाया जाता रहा है। यूनियन गठित करने के बाद श्रम कानूनों की पालना हेतु यूनियन ने समय समय पर मांगें उठाई है। लेकिन अभी भी कम्पनी में स्थाई प्रवृति के काम पर ठेका श्रमिकों, नीम ट्रेनी, अप्रेन्टिस, 6 माह के लिए ठेकेदार के श्रमिकों से कार्य कराया जा रहा है। स्थाई प्रवृति का कार्य कर रहे इन श्रमिकों को समान कार्य का समान वेतन भी नहीं दिया जा रहा है।’

बयान के अनुसार, “हमने सामूहिक मांग पत्रों के मार्फत श्रम विभाग के सामने ये बातें उठाई हैं। उसके बाद से ही कम्पनी प्रबंधन ने 6-7 सालों से कार्य कर रहे ठेका श्रमिकों के लिए वीआरएस निकाल दिया है। जब किसी भी ठेका वर्कर ने वी.आर.एस. नहीं लिया तो कम्पनी प्रबंधन ने छिपी छंटनी करने के लिए ठेकेदार व प्रबंधकों द्वारा भर्ती के दौरान की गई धांधली को इस्तेमाल करते हुए मजदूरों पर झूठे सर्टिफिकेट के आरोप पत्र देकर उनकी घरेलू जांच बैठाना शुरू कर दिया है। इसे वैरिफ़िकेशन का नाम दिया जा रहा है।”

यूनियन पदाधिकारियों ने आरोप लगाया हैकि “कम्पनी प्रबंधन कम्पनी ड्रेस, सेफ्टी शूज, कैंटीन, बस, साप्ताहिक अवकाश (रविवार) आदि में भी आए दिन जानबूझकर समस्याएं खड़ी कर वर्करों को उकसाने के प्रयास कर रहा है। वर्क इफिसिंएसी को बढ़ाने के नाम पर श्रमिकों पर इतना मानसिक दबाव बना दिया गया है कि जिसके चलते काम को लेकर श्रमिकों के बीच आपसी कहासुनी भी हो जाती है, जिसकी शिकायतें प्रबंधकों को किसी ने नहीं की और आपस में हल कर ली गई, उसे ही आधार बनाकर निलंबन जैसी सजा देकर कम्पनी के माहौल बिगाड़ने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।”

यूनियन बॉडी के वरिष्ठ सदस्य अतुल कुमार ने कहा कि छिपी छंटनी को लेकर तथा प्रबंधन के इस अड़ियल रवैये के बारे में यूनियन ने पिछले साल पांच अगस्त को ज्ञापन दिया था, लेकिन प्रबंधन की मनमानी लगातार जारी है।

यूनियन की मांगें
  • 13 अक्टूबर 2021 में  श्रम विभाग में लम्बित मांग पत्र का जल्द से जल्द निपटारा किया जाए।
  • 12 नवंबर 2021 को दिए गए मांग पत्र को जल्द से जल्द हल किया जाए।
  • प्रबंधन द्वारा की जा रही गैर कानूनी उकसावेपूर्ण कार्यवाहियों पर तुरंत रोक लगाई जाए।

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