गुड़गांव में दिखी मज़दूर किसान एकता, कृषि क़ानूनों के साथ लेबर कोड की प्रतियां जलाईं

Gudgaon Trade union black day-1

लोहड़ी के दिन 13 जनवरी को गुड़गांव की अलग अलग यूनियनों ने कृषि क़ानूनों का विरोध करते हुए कार्यस्थल पर काले बिल्ले लगाए और कृषि क़ानूनों और लेबर कोड की प्रतियां जलाईं।

मारुति सुजुकी गुड़गांव, मारुति सुजुकी मानेसर, मारुति सुजुकी पावरट्रेन मानेसर, सुजुकी बाइक गुड़गांव, बेलसोनिका मानेसर, मुंजाल शोवा मानेसर, एफ. एम. आई. यूनियन मानेसर, लुमैक्स मानेसर, रिक्को धारूहेड़ा व परफैटी मानेसर आदि यूनियनों के हजारों मजदूरों ने किसान आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रदर्शित कर राजीव चौक पर एक सभा की और लोहड़ी मनाते हुए काले कानूनों की प्रतियां जलाईं।

गुडगांव राजीव चौक के पास किसान संयुक्त मोर्चे के बैनर तले चल रहे धरना स्थल पर दिन में तीन बजे सैकड़ों मजदूरों ने शामिल होकर इन काले कानूनों की प्रतियों का दहन किया।

lohari at gudgaon

धरना स्थल पर पैरा बीएसएफ़ के पूर्व जवान रेवाड़ी से तेज बहादुर सिंह, एटक, सीटू के नेता, इंकलाबी मजदूर केंद्र गुडगांव से श्यामवीर, पंजाब से इंकलाबी मजदूर से सुरेंद्र, जनवादी महिला एकता गुड़गांव व भारतीय किसान यूनियन डकौंदा (पंजाब) की ओर से टिकरी बॉर्डर पर टिके हुए किसान यूनियनों के लोग इस मौके पर मौजूद थे।

गुड़गांव के कुछ वकील व यूनियनों के पदाधिकारियों और यूनियनों के सदस्य तथा अन्य लोग भी शामिल रहे।

टीकरी बॉर्डर से आए बीकेयू डकौंदा (पंजाब) के नेताओं ने कहा कि ‘यह लड़ाई मजदूर व किसानों की लड़ाई साझा लड़ाई बनती है। हम इसको साथ मिलकर लड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई हुई है उस कमेटी के चारों सदस्य इन कृषि कानूनों के पक्ष में पहले ही लिख चुके हैं।’

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उन्होंने कहा, ‘इससे पहले जो भी कमेटी स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट की बनी थी वह आज तक भी लागू नहीं हुई है। इसके साथ ही चाहे राम मंदिर का मामला हो, धारा 370 का मामला हो या चाहे शाहीन बाग का मामला हो इन सभी में न्यायालय का रुख स्पष्ट हो जाता है तो हमें ऐसी कमेटी के ऊपर विश्वास नहीं है।’

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नेताओं ने कहा. ‘यह केवल हमें दिल्ली से उठाने का प्रयास किया जा रहा है। हम अपने संघर्ष को आगे बढ़ाएंगे और आने वाली 26 जनवरी 2021 की जो परेड का ऐलान किसानों ने किया है उसको अंजाम तक लेकर जाएंगे।’

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मजदूर नेताओं ने कहा कि ‘हम कारपोरेट के खिलाफ हर रोज आमने सामने की लड़ाई लड़ रहे होते हैं। इन संघर्षों के दौरान मजदूर शासन सत्ता के सभी हिस्सों को अपने खिलाफ पाता है।’

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एमएसएमएस के प्रधान राजेश कुमार ने कहा कि मारुति के साथियों को जमानत न देने पर हाईकोर्ट की टिप्पणी में कहा गया था कि “अगर हमने जमानत दे दी तो निवेश प्रभावित होगा” यह कोई न्यायिक टिप्पणी नहीं थी। बल्कि न्यायालयों की कारपोरेट के प्रति पक्षधरता का नंगा प्रदर्शन था।

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बेलसोनिका के जनरल सेक्रेटरी जसबीर ने कहा कि ‘प्रिकॉल, ग्रैजियानो और जेल में बंद मारुति कंपनी के 13 निर्दोष साथियों के संदर्भ में हम इस न्यायलय की पूंजी के प्रति पक्षधरता को बखूबी समझते हैं।’

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ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कहा कि अब किसान जब कारपोरेट के खिलाफ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है तब न्यायालय की पक्षधरता एक बार फिर पूंजीपति वर्ग के प्रति प्रदर्शित हो रही है।

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अब किसान मजदूर छात्र व तमाम मेहनतकश जनता को इस लड़ाई को अपना समझते हुए व न्यायालय की पूंजीपति के प्रति पक्षधरता को समझते हुए इस किसान आंदोलन में किसानों का साथ देना चाहिए और इस निजाम/व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहिए।

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