चेन्नईः कट्टपल्ली बंदरगाह में यूपी के मज़दूर की मौत पर हंगामा, लाठीचार्ज आंसू गैस के गोले, वर्कर्स यूनिटी टीम को पुलिस ने रोका

दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के पास कट्टपल्ली में L&T शिपबिल्डिंग कंपनी में उत्तर प्रदेश के ठेका मज़दूर की मौत पर अधिकांश हिंदी भाषी 1000 वर्करों ने कंपनी पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए भारी हंगामा किया।
ठेके पर काम करने वाले उत्तर प्रदेश के मज़दूर अमरेश प्रसाद की आकस्मिक मौत से मज़दूर आक्रोषित थे।
मज़दूरों ने मृतक के शव को तुरंत परिसर में लाने और उचित मुआवज़ा देने की मांग की और जब प्रबंधन ने हीलाहवाली करने की कोशिश की तो मज़दूरों का गुस्सा फूट पड़ा। यही नहीं मैनेजमेंट ने पुलिस को बुला लिया, इस पर हालात और बिगड़ गए।
पुलिस से उनकी बातचीत विफल होने पर कुछ मज़दूरों ने पत्थरबाज़ी की। द हिंदू की ख़बर के अनुसार, पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग कर स्थिति को नियंत्रण में किया।
सोशल मीडिया पर जो वीडियो सामने आए हैं उसमें साफ़ दिखता है कि सैकड़ों मज़दूर अपने दो मंजिला कैंप में भाग रहे हैं और कुछ लोग छत पर चढ़ गए हैं।
क्या है पूरा मामला
कट्टपल्ली पोर्ट के नज़दीक L&T फैब्रिकेशन यूनिट में कार्यरत ठेकेदार मज़दूरों में से एक अमरेश प्रसाद भी थे, जो उत्तर प्रदेश पूर्वी ज़िले के थे। एक सितम्बर 2025 की रात पहले तल पर बने शेल्टर से गिरकर वह गंभीर रूप से घायल हो गए।
अमरेश प्रसाद की मृत्यु की खबर सुनते ही करीब 100 मज़दूर एकत्रित हुए और उन्होंने शव को कैम्प में लाने और मृतक के परिवार को मुआवज़ा दिए जाने की मांग उठाई। यह मांग शुरू में शांतिपूर्ण थी, लेकिन कुछ समय बाद लगभग 500 और मज़दूर शामिल हो गए। स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
जब पुलिस ने मामले को रफादफा करने की जबरन कोशिश की तो मज़दूरों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।
पुलिस का कहनाा है कि इसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। पुलिस के मुताबिक आधा दर्जन पुलिसकर्मियों को हल्की चोटें आई हैं और एक दर्जन के क़रीब मज़दूर भी घायल हुए हैं।
द हिंदू के अनुसार, अवाडी सिटी के पुलिस कमिश्नर के शंकर बीच-बचाव के लिए पहुंचे और ठेकेदार से बातचीत की। ठेकेदार ने शव को उत्तर प्रदेश भेजने के ट्रांसपोर्ट खर्च और मृतक के परिवार को मुआवज़ा देने की सहमति दी।
शव अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया गया। पुलिस ने आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज किया। लगभग क़रीब 55 मज़दूरों को दंगा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाने के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
पुलिस ने आरोप लगाया है कि अमरेश प्रसाद शराब के नशे में थे।
वर्कर्स यूनिटी तमिल की टीम को पुलिस ने रोका
इस घटना की ख़बर लगते ही वर्कर्स यूनिटी तमिल एक टीम कट्टपल्ली रवाना हो गई थी लेकिन पुलिस ने लेबर कैंप तक पहुंचने से पहले ही उन्हें रोक दिया और जबरन वहां से वापस भेज दिया।
इस टीम में शामिल सदस्यों ने कहा कि मज़दूरों के साथ क्या घटित हुआ, कितने मज़दूरों को गिरफ़्तार किया गया, ठेकेदार पर क्या कार्रवाई की गई, इन सबके बारे में न तो पुलिस ने कुछ बताया और ना ही ठेकेदार से बात करने दी।
वर्कर्स यूनिटी टीम के पास एफ़आईआर की कॉपी है, जिसमें
एक सदस्य ने बताया कि पुलिस ने चेतावनी भरा बर्ताव किया। वर्कर्स यूनिटी तमिल तमिलनाडु में वर्करों के हालत की रिपोर्टिंग करती रही है और उसे यहां वर्कर्स यूनिटी तमिल के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है।
मज़दूरों को सुरक्षित कार्यस्थल, उचित मुआवज़ा और न्याय का अधिकार होना चाहिए। इस मामले में मज़दूरों की न्यायपूर्ण माँगें महत्वपूर्ण थीं, विशेष रूप से उनके साथी की आकस्मिक मृत्यु पर उचित कार्रवाई और मुआवज़ा। इसका विरोध कानून और व्यवस्था को चुनौती देने वाला नहीं, बल्कि असुरक्षित काम के हालात के ख़िलाफ़ मजबूरी में ही आक्रोश फूट पड़ा।
शव की सुपुर्दगी और मुआवज़ा तय होने के बावजूद, मज़दूरों में असुरक्षा और नाइंसाफ़ी की भावना बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह मज़दूरों की परिस्थियों को समझते हुए मज़दूर कल्याण समिति या समन्वय निकाय बनाए, जो दुर्घटनाओं की जांच, मुआवज़ा वितरण और कार्यस्थल सुरक्षा प्रोटोकॉल सुनिश्चित कर सके। इससे भविष्य में ऐसे दुखद हादसों की संभावना और तनाव दोनों कम होंगे।
एफ़आईआर में क्या लिखा है?
यह एफ़आईआर अमरेश प्रसाद का भाई बताने वाले दुर्गा कुमार पुत्र सत्येंद्र कनौजिया ने कटूर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई है। इसके अनुसार-
“मैं वर्तमान में महाराष्ट्र में चौकीदार के रूप में कार्यरत हूँ। मेरे भाई अमरेश प्रसाद/35 विवाहित हैं और उनकी दो बेटियाँ हैं। इस स्थिति में, वह पिछले 45 दिनों से कट्टुपल्ली में विजय एनर्जी नामक कंपनी एमएफएफके में वेल्डर के रूप में काम कर रहा है।
वह कावेरी वर्कर्स सेटलमेंट में रहकर काम कर रहा था। वह 01-09-2025 की रात लगभग 08.30 बजे कावेरी सेटलमेंट में फर्श पर जाते समय फर्श से नीचे गिर गया। तुरंत, अधिकारियों ने कंपनी के एम्बुलेंस चालक कीर्ति कुमार को सूचित किया और वह तुरंत अमरेश प्रसाद को इलाज के लिए स्टेनली सरकारी अस्पताल ले गया।
अधिकारियों ने उसकी जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया और मुझे बताया कि शव को मुर्दाघर में रख दिया गया है। मैं व्यक्तिगत रूप से आज, 02/09/25 को कंपनी के कावेरी निवास पर आया, पुलिस स्टेशन गया और शिकायत दर्ज कराई। कंपनी के कैंप बॉस, चेलंदरपांडियन ने तमिल में लिखा और पढ़ा था कि मैंने क्या कहा था इसके बाद केस संख्या 243/2025 यू/एस 194 बीएनएसएस में एक प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई।”
तमिलनाडु में औद्योगिक अशांति के मामले
तमिलनाडु भारत के पावरहाउस कहा जाता है। यहां बड़े पैमाने पर उद्योग लगे हैं, यहां कई बंदरगाह हैं, गारमेंट उद्योग, ऑटो उद्योग, एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का बिज़नेस बहुतायत में है। यहां बड़े पैमाने पर उत्तर भारत के हिंदी, बांग्ला, असमिया, उड़िया, झारखंडी भाषा बोलने वाले मज़दूर काम करते हैं।
लेकिन तमिल भाषा वाले इस राज्य में बाहरी मज़दूरों के लिए श्रम क़ानूनों को लागू नहीं किया जाता और उनसे बाहरी की तरह सुलूक किया जाता है। इस वजह से वहां ठेके पर काम करने वाले उत्तर भारतीय मज़दूरों को छोटे छोटे मुद्दों के लिए भी जेल में डाल दिया जाता है।
पिछले कुछ समय में उत्तर भारतीय प्रवासी मज़दूरों और प्रशासन के बीच कई झड़पें हुई हैं।
मज़दूर यूनियन एक्टू के मुताबिक़, इरोड में एक बिहारी मज़दूर कामथ राम की ट्रक हादसे में मौत से तनाव फैल गया था। मज़दूरों ने शव को ले जाने से रोका और न्याय की माँग की, लेकिन पुलिस ने लाठीचार्ज किया और 40 मज़दूरों को हिरासत में लिया।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, चेन्नई के थिरुवल्लूर में बांग्ला भाषी मज़दूरों के साथ भी एक ऐसी घटना घटी। मुर्शीदाबाद के रहने वाले एक बंगाली मज़दूर को बंगाली बोलने के कारण स्थानीय लोगों ने बेरहमी से पीटा। स्थानीय पुलिस ने आरंभ में कोई कार्रवाई नहीं की, मज़दूरों को ही पुलिस स्टेशन जाना पड़ा न्याय की गुहार लगाने।
टेक्सटाइल उद्योग का गढ़ कहे जाने वाले तमिलनाडु के तिरुपुर में एक मज़दूर की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। संजीव कुमार नाम के यह मज़दूर एक गारमेंट यूनिट में काम करते थे। शिकायत के बाद भी जब तमिलनाडु पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो मज़दूरों ने पुलिस पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया क्योंकि उन्हें संदेह था कि यह हत्या थी।
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