मज़दूर बस्तियों को तोड़ने के पक्ष में रेलवे की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

दिल्ली से  सटे  फरीदाबाद के  एसी नगर और कृष्णा नगर बस्ती के मज़दूर परिवारों की बस्तियों को तोड़ने के पक्ष में रेलवे  द्वारा  दायर  याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

इन  बस्तियों को तोड़ने के मामले में सभी मजदूरों ने मिलकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर दी थी। जिसके बाद दोनों ही बस्तियों के मजदूरों को पंजाब – हरियाणा हाई कोर्ट ने स्टे देकर राहत प्रदान की थी।

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हाई कोर्ट द्वारा दिए गए स्टे के बाद रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में झुग्गियां हटाने की  याचिका दायर की थी। रेलवे की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के  न्यायधीश सूर्यकांत और  जेबी परदीवाल  की पीठ  ने कहा  है कि बिना हाईकोर्ट के निर्णय दिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता है।

मामले को पुनः HC भेजा गया

कोर्ट का कहना है कि अभी मजदूर परिवारों का पुनर्वास भी नहीं हुआ है। ऐसे में रेलवे को पहले पॉलिसी बनानी चाहिए और मज़दूरों के पुर्नवास की व्यवस्था करनी चाहिए फिर आगे की प्रक्रिया की जा सकती है। रेलवे की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि रेलवे को इस मामले को पुनः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेजना चाहिए।

सामाजिक न्याय एवं अधिकार समिति (एसी नगर) के विजय कुमार का कहना है कि बस्ती कि जमीन अभी डिस्प्यूट लैंड की श्रेणी में है, इसका फैसला होना चाहिए। उनका कहना है कि कभी फरीदाबाद नगर निगम इसे अपनी जमीन बताता है, तो कभी रेलवे अपनी जमीन बता देता है।

कृष्णा नगर के राहुल कुमार का सवाल है कि हरियाणा सरकार ने बस्तियों को नियमित करने की घोषणा की थी। फिर किन कारणों से हमारी बस्ती को नियमित करने की श्रेणी से वंचित कर दिया गया ? उनका कहना है कि सरकार को इस बात को भी स्पष्ट करने की जरुरत है।

मज़दूर संगठन ने की पुनर्वास की मांग

भूमि एवं आवास के मुद्दे पर लंबे समय से कार्य कर रहे मजदूर आवास संघर्ष समिति के संयोजक निर्मल गोराना अग्नि ने कहा कि सरकारों का काम सृजन की दिशा में होना चाहिए न की जबरन बेदखली करे। जबकि रेलवे के पास मजदूर परिवारों को बसाने के लिए पुनर्वास की ठोस कोई योजना नहीं है। उनका कहना है कि फरीदाबाद में रेलवे  पटरियों के किनारे बसे हजारों मजदूर परिवार हैं, जिन्हे बिना पुनर्वास के रेलवे विस्थापित नहीं कर सकती है।

ज्ञात हो कि फरीदाबाद के गायकवाड नगर में बनी बस्तियों को सात साल पहले रेलवे द्वारा उजाड़ दिया गया था। इतना ही नहीं , बीते दो साल पहले संजय नगर बस्ती को उजाड़ दिया गया था। निर्मल का आरोप है कि रेलवे में अभी तक इन बस्तियों में रहे वाले मजदूर परिवारों को पुनर्वास नहीं किया है।

उनका कहना है कि जबकि विस्थापित हुए परिवारों में से 80 फीसदी से अधिक मजदूर कई वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत आवेदन कर चुके हैं।

मोदी सरकार ने वर्ष 2022 तक देश में सभी बेघरों को घर देने का वादा किया था। लेकिन आज भी लाखों परिवार हरियाणा में पुनर्वास के लिए दर दर भटक रहे हैं।

निर्मल का कहना है कि यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है, इसलिए हरियाणा सरकार सर्वे करवा  कर कच्ची बस्तियों का डाटा तैयार करके उन्हे नियमित करें  और पुनर्वास की पुरानी योजनाओं में संशोधन करके नई योजना बनाए एवं तत्काल जीरो इविक्शन पॉलिसी लागू करें।

रेलवे का नोटिस

गौरतलब है कि हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित एसी नगर और कृष्णा नगर बस्ती फरीदाबाद की सबसे बड़ी बस्ती है। यहां ऐसी नगर बस्ती में 196 मज़दूरों के परिवार रहते हैं , वही कृष्णा नगर बस्ती में 185 मजदूर परिवारों का वास है।

इन सभी परिवारों के घरों को तोड़ने के लिए फरवरी 2021 में नॉर्दन रेलवे द्वारा नोटिस जारी करते हुए तत्काल ही घर खाली करने को कहा गया था। इतना ही नहीं रेलवे इन बस्तियों की जमीन को अपनी जमीन बता रहा था।

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इस संबंध में दोनों ही बस्तियों के मजदूर परिवारों ने रेलवे कार्यालय में जाकर आवश्यक दस्तावेज जमा करवाएं जिनमें मजदूर परिवारों द्वारा एसी नगर एवं कृष्णा नगर में पिछले 30 वर्षों से रहने के प्रूफ दिए थे, किंतु रेलवे ने मजदूरों से जमीन के पट्टे मांगे जो मजदूरों के पास नहीं थे। इसलिए रेलवे ने इस जमीन को अपनी जमीन बताते हुए एक-एक सप्ताह के भीतर मजदूरों को जमीन से बेदखल करने की ठानी थी।

रेलवे इस रवैये से परेशान हो कर सभी मज़दूर परिवावालों के सदस्यों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में मामला दायर किया था। जिसपर हाई कोर्ट ने स्टे देकर राहत प्रदान की थी।

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