फरीदाबाद में मज़दूर बस्ती के 300 घरों पर बुलडोजर चलाया, बेघर लोगों का लघु सचिवालय पर प्रदर्शन

protest against demolition in faridabad

कोरोना की महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बहाने फरीदाबाद जिले में कई वर्षों से बसी हुई खोरी गांव की मजदूर को उजाड़ने के ख़िलाफ़ लघु सचिवालय पर बेघर लोगों ने प्रदर्शन किया।

दो अप्रैल, 2021 को नगर निगम ने खोरी गांव के निवासियों को बिना नोटिस दिए अचानक 9 बुलडोजर एवं भारी मात्रा में पुलिस बल लेकर गरीब मजदूरों की बस्ती पर हमला कर दिया जिससे हजारों मजदूर बेघर हो गए।

महिलाएं एवं बच्चे प्रशासन एवं नगर निगम के आगे घर न गिराने की गुहार लगाते रहे लेकिन प्रशासन के दम पर नगर निगम ने करीब 300 से ज्यादा घरों पर बुलडोजर चला दिया।

बीते साल सितंबर 2020 में जब कोरोना के मामलों की संख्या देश में ज्यादा थी तभी फरीदाबाद में बसे हुए खोरी गांव जो एक मजदूर बस्ती है,  पर नगर निगम फरीदाबाद की बुरी निगाहें पड़ी और आनन-फानन में नगर निगम फरीदाबाद ने खोरी गांव के 100 से ज्यादा घरों पर बुलडोजर चला दिया, जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था।

मजदूर फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की दिशा में बढ़ने लगे साथ ही मजदूरों ने बैठक कर हरियाणा में स्लम रिहैबिलिटेशन स्कीम की कट ऑफ डेट जो की 2003 है, को बढ़ाकर 2015 करने की मांग उठाई और इसका एक आवेदन नगर निगम एवं उपायुक्त फरीदाबाद को दिया गया।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इसके बावजूद नगर निगम बार-बार मजदूरों की बस्तियों पर हमला करने से बाज नहीं आ रहा है।

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मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित फिर ढहाया

मज़दूर बस्ती को उजाड़ने के ख़िलाफ़ बंधुआ मुक्ति मोर्चा, वर्किंग पीपुल्स चार्टर, राष्ट्रीय मजदूर आवास संघर्ष समिति जैसे जन संगठनों ने खोरी गांव के मजदूरों एवं रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन खोरी गांव के साथ मिल कर उपायुक्त फरीदाबाद एवं नगर निगम के संयुक्त आयुक्त को पत्र भेजकर इस कार्यवाही का विरोध जताया।

आज दिनांक 6 अप्रैल 2021 को खोरी गांव निवासियों ने खोरी गांव वेलफेयर एसोसिएशन, बंधुआ मुक्ति मोर्चा, वर्किंग पीपुल्स चार्टर एवं राष्ट्रीय मजदूर आवास संघर्ष समिति के बैनर तले प्रातः काल से विरोध प्रदर्शन शुरू किया।

यह विरोध प्रदर्शन लघु सचिवालय फरीदाबाद के सम्मुख किया गया। इस प्रदर्शन में आए सैकड़ों मजदूर परिवारों ने ने नगर निगम के कमिश्नर, हरियाणा की सरकार एवं केंद्र की सरकार से अपील की है कि उनके द्वारा प्रस्तावित की गई मांगों को तत्काल पूरा किया जाए अन्यथा विशाल स्तर पर मजदूर सड़कों पर प्रदर्शन करेंगे ।

बंधु मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल गोराना ने कहा कि मामला जब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है फिर नगर निगम कोर्ट के अंतिम आदेश के बिना भला कैसे इतना बड़ा निर्णय स्वयं के बल पर ले सकता है? यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है और नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।

जबरन बेदखली पर सवाल खड़ा करते हुए निर्मल गोराना ने कहा कि हरियाणा की सरकार को पहले मजदूरों के पुनर्वास हेतु 2003 में लागू की गई रिहैबिलिटेशन पॉलिसी में बदलाव करके 2015 तक बसे लोगों को पुनर्वास प्रदान करने की योजना बनाने की हरियाणा की सरकार को सख्त ज़रूरत है।

इसी क्रम में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधि सलीम खान ने जबरन बेदखली को तत्काल बंद करने की अपील की।

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बिना चिह्नित किए चलाया बुलडोजर

चंडीगढ़ हाई कोर्ट में एक जनहित याचिकाकर्ता रहे खोरी गांव में रहने वाले गोवाड़ा प्रसाद ने बताया कि नगर निगम को बेदखली से पहले 3 महीने का नोटिस जारी करना चाहिए था और खोरी निवासियों के दस्तावेजों की जांच कर पहले घरों को चिह्नित करना चाहिए ना कि जो सामने आए उसे तोड़ दिया जाए। यह नगर निगम की तानाशाही जिसकी आज कई मजदूर नेताओं ने कड़ी निंदा की।

श्रीमती फुलवा ने बताया कि अगर जबरन बेदखली को नगर निगम ने नहीं रोका और इस पर नगर निगम के कमिश्नर ने लगाम नहीं लगाई तो मजदूर बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरेंगे और हरियाणा सरकार के खिलाफ संघर्ष करेंगे। आने वाले दिनों में एक बड़ा धरना आयोजित करने की भी घोषणा की गई।

आयोजित धरने में दिल्ली हाईकोर्ट के कई अधिवक्ता एवं यंग लॉयर्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। बेघर और बेदखल हुए मजदूर मिनी सचिवालय के सामने हरियाणा सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए नजर आए तथा सरकार को मजदूरों की मांगे पूरे करने हेतु 2 माह का समय दिया गया अन्यथा मजदूर विशाल स्तर पर फिर से धरना प्रदर्शन करेंगे।

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मजदूरों की मांगें

  1.  जबरन बेदखली तत्काल बंद की जाए
  2.  बेदखली के 3 माह पूर्व एक नोटिस जारी किया जाए एवं जीनगर हो जिन घरों को चिन्हित किया जाता है उन्हें नोटिस दिया जाए साथ ही उन घरों के मुखिया से उनके दस्तावेज एकत्रित किए जाए ताकि मजदूरों के मानवाधिकारों का उल्लंघन ना हो।
  3.  हरियाणा में स्लम में रहने वाले मजदूरों के पुनर्वास के लिए बनी हुई योजना में कट ऑफ डेट 2003 को बदलकर कट ऑफ डेट 2015 किया जाए साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा स्लम में रहने वाले मजदूरों के पुनर्वास हेतु बनाई गई योजना की तर्ज पर हरियाणा में स्लम रिहैबिलिटेशन पॉलिसी लागू की जाए।
  4.  जिन मजदूरों मजदूरों को बेदखल किया गया उन्हें तत्काल भोजन स्वास्थ्य एवं आश्रय की सुविधा प्रदान की जाए।
  5. फरीदाबाद एसडीएम ने लघु सचिवालय से बाहर आकर धरने पर बैठे मजदूरों से मुलाकात की एवं उनसे मेमोरेंडम लेकर मजदूरों को आश्वासन दिया कि वह उनके घर जाएं प्रशासन जल्दी ही नगर निगम के साथ बैठक कर धरने पर बैठे हुए मजदूरों की मांगों पर विस्तृत रूप से चर्चा करेगा एवं मजदूरों के हित में कदम बढ़ाएगा साथी मजदूरों के मानवाधिकारों की रक्षा करना उनका प्रथम कर्तव्य रहेगा।

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