किसान विरोधी भाजपा को सजा दे जनता, संयुक्त किसान मोर्चा ने की अपील

rakesh tikait

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बुधवार को मुरादाबाद और बरेली में प्रेस वार्ता करके मतदाताओं से आगामी विधानसभा चुनाव में किसान विरोधी भाजपा सरकार को सजा देने की अपील की है।

किसान नेताओं ने कहा कि यदि भाजपा सत्ता में लौटी तो किसान विरोधी कानून लौट सकते हैं। किसान नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के साथ 9 दिसंबर 2021 को जो समझौता किया था उससे भाजपा सरकार पीछे हट गई है। भाजपा सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा को देशभर में 31 जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाना पड़ा तथा यूपी मिशन की घोषणा करनी पड़ी।

किसान नेताओं ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 57 किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के साथ जुड़े हैं जो अपने कार्य क्षेत्रों में जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर, पर्चे बांटकर और नुक्कड़ सभाएं कर, किसान विरोधी भाजपा को हटाने की गांव गांव में अपील कर रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश के लिए जारी चुनावी घोषणापत्र में भाजपा ने किसानों से जो वादे किए हैं वह पिछले 2017 के चुनाव में भी किए गए थे लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया। ना तो किसानों को एमएसपी मिली है, ना ही किसानों की आय दुगनी हुई है ।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने भाजपा के घोषणापत्र को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा कि भाजपा ने गन्ना किसानों को लुभाने के लिए 2017 के अपने घोषणा पत्र में 14 दिनों के भीतर गन्ने का भुगतान किया जाएगा। लेकिन गन्ना किसानों का आज भी वर्ष 2017-18 का 20 करोड़ रूपये बकाया है, 2020-21 का 3,752 करोड़ रुपए बकाया है। ब्याज का एक पैसा भी नहीं दिया गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के मार्च 2017 आदेश के बावजूद बीते दस साल में भुगतान में देरी होने पर किसानों को 8,700 करोड़ रुपये का जो ब्याज बनता था वो नहीं दिया गया है।
2017 में भाजपा सरकार ने वायदा किया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम एस पी) पर किसानों की धान की खरीदारी की व्यवस्था करेंगे तथा आलू, प्याज को न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाया जाएगा। लेकिन अभी तक आलू, प्याज की एमएसपी पर खरीद की घोषणा नहीं हुई। पिछले पाँच वर्षों के दौरान धान के उत्पादन के एक तिहाई से भी कम की सरकारी खरीद की गयी है। गेहूँ में स्थिति और भी ख़राब थी और उत्पादन की 6 बोरी में एक बोरी से भी कम की खरीदी हुई।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बताया कि भाजपा ने 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में 20 हजार करोड़ के कोष के साथ मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई फंड की स्थापना करने का संकल्प लिया था लेकिन पिछले पांच साल में मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई फंड की स्थापना नहीं की गई। फिर भी इस बार 5,000 करोड़ की लागत के साथ मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू करने का वादा दोहरा दिया गया है।

2017 में किसानों से उदय योजना के तहत 2022 तक प्रदेश के 10 लाख किसानों को मुफ्त में पंप सेट दिए जाने का वादा किया था लेकिन अब तक मात्र 6,068 एनर्जी एफिशिएंट पंप ही लगाए गए है। फिर से 2022 में किसानों को प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प प्रदान करने की घोषणा की जा रही है। इसी तरह पिछले 5 साल में एक भी फूड पार्क बनाए बिना 6 फूड प्रोसेसिंग पार्क का वादा दोहरा दिया गया है।

भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली देने का वादा किया है जबकि 2017 में भी सभी खेतों में कम दरों पर पर्याप्त बिजली पहुंचाने की व्यवस्था की जाने का संकल्प लिया था । लेकिन पिछले पांच साल में पर्याप्त बिजली नहीं मिली, ऊपर से रेट बढ़ गए। उत्तर प्रदेश की बिजली दरें देश में सबसे अधिक हैं। पाँच वर्षों के कार्यकाल में योगी सरकार ने किसानों से नलकूपों हेतू ग्रामीण मीटर्ड बिजली के दर 1 रुपया यूनिट से बढ़ाकर 2 रुपये यूनिट कर दी। फिक्स चार्ज में अप्रत्याशित वृद्धि कर 30 रुपये से 70 रुपये कर दिया। बिना मीटर वाले कनेक्शन में चार्ज 100 रुपये से बढाकर 170 रुपये कर दिया।

किसान नेताओं ने कहा कि जिन किसानों को एमएसपी से आधे दामों पर फसल बेचनी पड़ी है तथा जिन्होंने रात रात भर जागकर आवारा पशुओं से अपनी फसलें बचाई हैं ,वे किसान अवश्य ही भाजपा को सबक सिखाने के लिए उसके खिलाफ वोट करेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को हन्नान मोल्ला, योगेंद्र यादव, जगजीत सिंह डल्लेवाल, राकेश टिकैत, शिवकुमार शर्मा (कक्काजी), एवं डॉ सुनीलम ने संबोधित किया।

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