महान क्रांतिकारी लोक गायक विट्ठल राव ग़दर नहीं रहे, अपने गाने से तेलंगाना आंदोलन को पहुंचाया था शीर्ष पर

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तेलुगू भाषा के जानेमाने लोक गायक विट्ठल राव ‘ग़दर’ का 74 साल की उम्र में रविवार को हैदराबाद में निधन हो गया. उनकी उम्र 74 साल थी.

अलग तेलंगाना राज्य बनाने की मांग से उभरी तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने श्रद्धांजलि दी है. उल्लेखनीय है कि इस आंदोलन के प्रमुख चेहरा ग़दर रहे थे.

हैदराबाद के अपोलो अस्पताल में फेफड़ों और मूत्राशय में संक्रमण का इलाज चल रहा था. उनके निधन पर कांग्रेस, केसीआर समेत कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं, फ़िल्म कलाकारों और आम लोगों ने शोक जताया है.

विट्ठल राव ‘ग़दर’ का असल नाम गुम्मडी विट्ठल राव था. उनके परिवार में उनकी पत्नी विमला, उनका एक बेटा सुर्यूडू और बेटी वेनेल्ला हैं.

बीआरएस पार्टी ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि “तेलंगाना गीत को दुनियाभर में प्रसिद्धि दिलाने वाले और अपने गीत के माध्यम से तेलंगाना राज्य की विचारधारा का प्रसार करने वाले ग़दर (गुम्मडी विट्ठल राव) की मृत्यु के बारे में जानकर मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को बहुत दुख हुआ और उन्होंने निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया.”

ग़दर को श्रद्धांजलि देते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा, “तेलंगाना के प्रतिष्ठित कवि, गीतकार और उग्र कार्यकर्ता गुम्मडी विट्ठल राव के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. तेलंगाना के लोगों के प्रति उनके प्यार ने उन्हें हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए अथक संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया. उनकी विरासत हम सभी को प्रेरणा देती रहेगी.”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, “गुम्मडी विट्ठल राव सबसे कमजोर वर्गों की आकांक्षाओं के लिए एक आशा बने रहेंगे. उनकी कविता, जोशीले गीत और सामाजिक न्याय के पक्ष में सक्रियता हमेशा तेलंगाना और उसके लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगी. हम उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं और हमारी संवेदनाएं उनके परिवार और अनुयायियों के साथ हैं.”

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने लिखा, “तेलंगाना के लोक गायक ग़दर के निधन से एक युग का अंत हो गया है.”

उनका जन्म साल 1949 में अविभाजित आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के मेदक ज़िले के तूप्रान के एक दलित परवार में हुआ था. ग़दर का असली नाम गुम्मडी विट्ठल राव था.

ग़दर ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद कुछ समय तक बैंक कर्मचारी के रूप में काम किया.

इसके बाद उन्होंने 1984 में बैंक की नौकरी छोड़ कर जन नाट्य मंडली के लिए काम किया था. किसान आंदोलन से उपजे नक्सल आंदोलन में लंबे समय तक सक्रिय रहे, अंडरग्राउंड भी रहे। लेकिन बाद से समय में  वो चुनाव से परिवर्तन को भी अहमियत देने लगे और कांग्रेस के साथ हो गए.

बाद के दिनों में वो अम्बेडकरवादियों के साथ भी रहे.

साल 2009-2014 के तेलंगाना आंदोलन के दौरान, ग़दर के गीत ‘अम्मा तेलंगानामा’ ने कई लोगों को प्रभावित किया था.

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