शिव कुमार ने बताई टॉर्चर की दर्दनाक कहानी, दोषी पुलिसकर्मियों पर सख़्त कार्रवाई हो

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भारत में पुलिस और न्यायिक हिरासत में यातना की कहानी नई नहीं है, यह ब्रिटिश काल से शुरू एक ऐसी प्रथा है जो आज आजादी के 70 साल बाद भी बदस्तूर जारी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी की रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में साल 2021-22 में न्यायिक हिरासत में 2,152 लोगों की मौत हुई जबकि 155 लोगों की मौत पुलिस कस्टडी में हुई।

हिरासत में यातना की  कई कहानियां हैं जिन्हें  सुनकर रूह काँप उठता है। ऐसी एक कहानी मजदूर नेता शिव कुमार की भी है। पढ़िए  उनकी दर्दनाक आपबीती।

हरियाणा के सोनीपत में मज़दूरों की आवाज बुलंद करने वाले मज़दूर अधिकार संगठन (एमएएस) के सदस्य शिव कुमार को 16 जनवरी को पुलिस अवैध हिरासत में रखा गया था। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से टॉर्चर किया।

पुलिस ने शिव कुमार के साथ दरिंदगी की सारी हदों को पार कर दिया।  वर्कर्स यूनिटी की टीम ने शिव कुमार से उनके ऊपर हुए अत्याचारों पर विशेष बातचीत की। आइए जानते हैं क्रांतिकारी आंदोलनकारी पर क्या कुछ बिता?

शिव कुमार ने बताया कि उनको उन्हें सात दिन तक अवैध हिरासत में रखा गया था। उसके बाद अगले और 10 दिनों के लिए रिमांड में भेज दिया गया। जहां उनके साथ शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से प्रताड़ित किया। इस बात की पुष्टि जिला और सत्र न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में भी किया है।

ज्ञात हो कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा गठित जांच समिति ने दलित मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार पर पिछले साल ग़ैरक़ानूनी तरीके से हिरासत में लेने और उस दौरान बुरी तरह टॉर्चर करने के आरोपों की पुष्टि की है।

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एम्स में चल रहा था इलाज

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, शिव कुमार की ग़ैरकानून गिरफ़्तारी, अवैध हिरासत और टॉर्चर के साक्ष्य मिले हैं। यहां तक जब 10 दिन की रिमांड दी गई, उस दौरान पांच बार मेडिकल चेकअप हुआ और उसमें पुलिस की मिलीभगत से रिपोर्ट लिखी गई।

इस जाँच रिपोर्ट पर शिव कुमार ने सहमति जाहिर की है।

अपनी एक आंख कि रोशनी खो चुके शिव ने बताया कि जब उनको हिरासत में लिया गया था, उस समय उनकी आँखों का इलाज एम्स में चल रहा था। उन्होंने बताया कि 16 जनवरी 2021 को जब पुलिस ने उनको फैक्ट्री गेट से उठाया था, उस समय उनके पेंट की जेब में आंख की दवा थी, जिसको कुछ घंटों में अपनी आँखों में डालते थे। लेकिन अवैध हिरासत के समय ही पुलिसवालों ने शिव कुमार से वो दवा छीन ली थी और उनका चश्मा भी वापस नहीं किया ।

शिव ने बताया कि आँखों में नियमित दवा न डालने के कारण उनकी आँखों की रोशनी चली गई।

शिव कुमार के साथ हरियाणा पुलिस ने सारी हदों को पार कर दिया। शिव ने बताया कि पुलिसवालों के जघन्य टॉर्चर को भूल पाना नामुमकिन है। पुलिस वाले उनके हाथ और पैर के नाखूनों पर मोटे मोटे डंडों से मारते थे। जिसके कारण उनके नाखूनों पर बड़े बड़े घाव भी होगये थे।

इतना ही नहीं पुलिसवाले उनके पैरों के तलवों पर लगातार डंडे मरते थे जिसके कारण उनके पैरों ने सही के काम करना भी बंद कर दिया। शिव ने बताया कि वह एक किलोमीटर भी पैदल नहीं चल पाते हैं। अब वह ज्यादा समय तक एक जगह बैठ भी सकते। जब सो कर उठते हैं, तो पैर पूरी तरह से अकड़ और सुन्न हो जाते हैं। जिसके बाद बहुत देर तक वो चल भी नहीं पाते।

सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) चंडीगढ़ द्वारा तैयार मेडिकल जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए, जस्टिस दीपक गुप्ता ने निष्कर्ष निकाला है कि शिव कुमार के शरीर के विभिन्न हिस्सों पर 8 चोटें थीं, जिसमें बाई जांघ, दाहिनी जांघ, दाहिना पैर, बाएं पैर और दाहिनी कलाई थी। बाएं हाथ के अंगूठे और तर्जनी के नाखूनों में नीले-काले रंग का निशान दिखाई दिया।

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खतरनाक बीमारी ने घेरा

हिरासत में दी गई यातनाओं के कारण उनको Post-traumatic stress disorder (PTSD) जैसी खतरनाक बीमारी ने घेर लिया है। शिव ने बताया कि इस बीमारी के कारण उनको आत्महत्या करने के ख्याल आते हैं। शिव कुमार अब छोटी छोटी बातों पर भावुक हो जाते हैं और रोने लगते हैं।

शिव ने कहा कि वो इस बीमारी से काफी परेशान हैं। उनकी मांग है कि जिन 8-10 पुलिसवालों ने उनके साथ मारपीट की थी, उनको कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए।

पंचकुला के जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस, घटना के दौरान चिकित्सा अधिकारियों और घटना के समय सोनीपत में तैनात एक न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी ज़िम्मेदार ठहराया है।

दीपक गुप्ता की रिपोर्ट पर विस्तृत ख़राब वर्कर्स यूनिटी ने अपनी वेबसाइट और प्रकाशित की है।

शिव कुमार हरियाणा स्थित सोनीपत में मज़दूर अधिकार संगठन (MAS) के सदस्य हैं। वो पिछले कई सालो से मज़दूरों के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे रहे हैं। जब शिव कुमार को पुलिस ने अवैध हिरासत में लिया था, उस समय वह सोनीपत के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मज़दूरों को लॉकडाउन का बकाया वेतन दिलाने के लिए फ़ैक्ट्री गेट प्रदर्शन कर रहे थे।

शिव ने बताया कि उस दौरान 17 राउंड हवाई फ़ायरिंग की थी, जिसका वीडियो आज भी एमएसए के कार्यकर्ताओं के पास मौजूद है, ऐसा उनका दावा है।

पुलिसवालों ने शिव की चप्पलों से पिटाई की। उनको कुर्सी से बांध कर पानी में बैठा दिया जाता था। फिर उनके मुँह पर गीला कपड़ा रख कर पाइप से पानी मारा जाता था।

शिव ने बताया कि उस समय मैं सांस भी नहीं ले पता था। मुझे डर लगता था की कभी भी जान जा सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसा उनके साथ लगभग रोज किया जाता था।

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आखिर क्या पूछना थी पुलिस

शिव ने बताया कि पुलिस उनसे 12 जनवरी वाली घटना के बारे के जानना चाहती थी। जिसके बारे में उनको ज्यादा कुछ नहीं मालूम था। उन्होंने कहा कि जिस दिन कुंडली में मज़दूरों और पुलिस के बीच में झड़प हुई थी, उस दिन वह बहुत बाद में घटना स्थल पर पहुंचे थे। वहां हाथापाई हो रही थी। जब मज़दूरों के बचाव में MAS के कार्यकर्ता आगे आये तो पुलिस ने सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। जिसमें कि MAS की सदस्य नवदीप कौर को घटना स्थल से ही गिरफ्तार किया गया था। जबकि शिव कुमार को घटना के कुछ दिनों बाद सोनीपत स्थित राई में KFC की दुकान के सामने मूवेबल टॉयलेट्स के पास से अवैध हिरासत में लिया गया था।

अंत में शिव ने बताया कि वह आज भी मज़दूरों कि समस्यायों को लेकर सोनीपत के उसी थाने में जाते है, जहां उनके साथ टॉर्चर हुआ था। वहां पुलिस वालों में बिलकुल भी पछतावा नज़र नहीं आता। उन्होंने बताया कि बस फर्क इतना है कि जहां पहले हमारे साथ आम व्यवहार किया जाता था, उसे प्रतिकूल बदलाव आया हैं।

शिव कुमार के साथ किये गए अत्याचार की दास्तां बिलकुल उस हिंदी सिनेमा की तरह है, जिसमें एक विलन पुलिसवाला फिल्म के हीरो को थाने में बुरी तरह मारता है, लेकिन दर्शक कुछ नहीं कर सकते। वह केवल इंतज़ार करते है कि कभी न कभी हीरो अपराधियों को सजा जरूर दिलवाएगा।

(कॉपीः शशिकला सिंह)

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