दलित मज़दूर नेता नवदीप कौर पर 14 धाराएं, टॉर्चर और यौन उत्पीड़न के आरोप, दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग

navdeep kaur sonipat Kundali

सिंघु बॉर्डर के पास कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मज़दूरों के बकाया वेतन दिलाने के लिए संघर्ष करने वाली मज़दूर नेत्री नवदीप कौर पर हरियाणा पुलिस ने 14 धाराएं लगाई हैं।

मज़दूर अधिकार संगठन (एमएएस) ने आरोप लगाया है कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने 12 जनवरी को गिरफ़्तार करने के बाद रात में  महिला पुलिसकर्मी की गैरमौजूदगी में टॉर्चर किया और यौन उत्पीडन के साथ प्रताड़ित किया।

इस घटना से जहां कुंडली क्षेत्र के मज़दूरों में रोष है, वहीं कई संगठनों ने नवदीप कौर की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही की मांग की है।

कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रेप्रेशन ने बयान जारी करते हुए कहा कि किसानों और खेतिहरों के विरोध प्रदर्शन में मजदूर अधिकार संगठन के टेंट पर 12 जनवरी को हरियाणा पुलिस ने जबरन घुस कर 24 वर्षीय दलित महिला मज़दूर नोदीप कौर को गिरफ्तार कर लिया। फिर उसे कुंडली पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उसके खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर (FIR) दर्ज किये गए, एफआईआर 25/2021 और 26/2021।

बयान में कहा गया है कि पहली एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 148, 149, 186, 332, 352, 384, 379B और 307 के तहत और दूसरी धारा 148, 149, 323, 452, 384 और 506 के तहत; जिसमें घातक हथियार से लैस होते हुए, गैरकानूनी असेंबली, दंगाई सहित कई तरह की धाराएँ, जिसमे सरकारी अधिकारी के साथ मारपीट, आपराधिक बल, अतिचार, जबरन वसूली, छीनना, आपराधिक धमकी और हत्या करने का प्रयत्न जैसे धाराएँ हैं।

ये एफआईआर एक पुलिस इंस्पेक्टर और M/S एलएकमेच कंपनी, जो मजदूरों का वेतन नहीं दे रहे है, के अकाउंटेंट के बयानों पर आधारित हैं।

सीएएसआर के बयान के अऩुसार, पुलिस हिरासत में रहते हुए, नवदीप कौर को पुरुष पुलिस अधिकारियों द्वारा बेरहमी से पीटा गया, जिसमें उसके जननांगों पर भी आघात किये गये हैं, जो यौन हिंसा है।

बयान में कहा गया है कि पंजाब के एक भूमिहीन किसान परिवार की युवा दलित महिला नवदीप कौर को गिरफ़्तारी के बाद करनाल जेल भेज दिया गया है जहाँ वह दो सप्ताह की न्यायिक हिरासत में है। इस बीच, कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में और भी श्रमिकों पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है।

पूरा बयान पढ़ें

नवदीप प्रबंधन द्वारा श्रमिकों के उत्पीड़न, श्रमिकों के बकाया वेतन, लंबित मजदूरी और महिला श्रमिकों के शोषण के मुद्दों को उठाती रही हैं। यूनियनों के ना होने के कारण, श्रमिक बड़े पैमाने पर अनुबंध पर काम कर रहे हैं।

गृह मंत्रालय के आदेश संख्या 40-3/2020-DM-I(ए) दिनांक 29 मार्च, 2020 के बावजूद लॉकडाउन के दौरान मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया।

वे फैक्ट्री मालिकों और ठेकेदारों द्वारा संचालित कुंडली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (KIA) नामक संस्था के क्विक रेस्पॉन्स टीम (QRT) नामक अतिरिक्त कानूनी सशस्त्र बल (लोकल गुंडों) के हाथों हिंसा और संयुक्त हमले के खतरों का आये दिन सामना करते हैं।

क्यूआरटी का एकमात्र उद्देश्य श्रमिकों को डराना, क्रूरता करना और हिंसा के माध्यम से, प्रत्येक कार्यकर्ता के संवैधानिक रूप से गारंटीकृत यूनियनों के निर्माण के प्रयासों को रोकना है।

पिछले कुछ वर्षों में, कुंडली में पुरुषों और महिलाओं सहित पूर्व और वर्तमान कार्यकर्ताओं के संगठन, एमएएस से संबंधित लोगों को कंपनी और उनके निजी सशस्त्र बल का सामना करना पड़ा है। लॉकडाउन के दौरान हरियाणा राज्य से खाद्यान्न राहत सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रवासी कामगार इकट्ठे हुए थे। इन प्रयासों के बाद लोकल फैक्ट्री गुंडों और हिन्दू जाग्रति मंच नाम के समूहों द्वारा पहली बार मज़दूर अधिकार संगठन पर उनकी मीटिंग के दौरान हमला किया गया।

तालाबंदी हटाए जाने के बाद, कुंडली में श्रमिकों की स्थिति मजदूरी का भुगतान नहीं होने के कारण दयनीय थी और एमएएस ने श्रमिकों के मामलों को उठाकर अपने प्रयासों से उनके भरोसे जीतने का कार्य किया है।

किसान आन्दोलन के दिल्ली सीमा, कुंडली के निकट आने से किसान-मजदूर एकता के नारे लगे। संघर्ष के लिए समर्थन जुटाते हुए, कुंडली में कार्यकर्ताओं ने रैलियों और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया। इसी तरह, मजदूरों के किसान आंदोलन के समर्थन को देखकर किसान अपने संघर्ष में मजदूरों की मदद के लिए आगे आए। किसानों की मदद से, एमएएस 300 से अधिक श्रमिकों के लिए सफलतापूर्वक मजदूरी प्राप्त करने में सक्षम हुआ।

इस एकता को निशाना करने हेतु, कारखाने के मालिकों और ठेकेदारों ने क्यूआरटी को खुला हाथ दे दिया और इसके बाद श्रमिकों पर हिंसक हमलों में और अधिक वृद्धि हुई। क्यूआरटी ने विशेष रूप से उन श्रमिकों को निशाना बनाना शुरू किया जो अपनी थका देने वाली रोजाना जीवन के बाद सीमा पर शिविर लगा रहे किसानों की सहायता कर रहे थे।

दो जनवरी को, जब श्रमिक अपनी बकया मजदूरी की मांग ले कर कंपनी पहुंचे, तो क्यूआरटी ने श्रमिकों पर गोलियां चलाईं। एमएएस सदस्य तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराने गए। कुंडली पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया। मजदूरों ने इसके बाद सोनीपत में पुलिस अधीक्षक को एक आवेदन भेजा। फिर भी पुलिस ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। पलट, पुलिस ने श्रमिकों के खिलाफ ‘जबरन वसूली’ के आरोप लगाए। जबकि क्यूआरटी ने स्वीकार किया कि उन्होंने “आत्मरक्षा” में गोली चलाई, पुलिस ने किसी भी गोलीबारी से इनकार किया।

फिर, 12 जनवरी को, श्रमिक मजदूरी के भुगतान की मांग के लिए कारखाने गए। उनकी समस्या सुनने के बजाय, उन्हें क्रूर लाठीचार्ज व गोलीबारी का सामना करना पड़ा और महिला कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ, यहां तक कि विरोध प्रदर्शन के दौरान महिलाओं के कपडे फाडे गए। जब विभिन्न दबावों के जरिये किसान आंदोलन से मजदूरों और उनकी एकता को तोड़ने का प्रयास विफल हो गया, तो उन्होंने नोदीप कौर को गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ भद्दे आरोप लगाए। आज, सही तरीके से बकाया-मजदूरी मांगने वालों को निशाना बनाया जा रहा है, पुलिस हिरासत में यौन उत्पीड़न और बेरहमी से पीटा गया है।

इसके अलावा, एक युवा दलित महिला को लक्षित करना, जिसने श्रमिकों की उचित मांगों के लिए आवाज उठाने की हिम्मत की उसके साथ वर्दी में पुरुषों की सबसे क्रूर, बर्बर व महिला विरोधी व्यवहार के साथ यौन हिंसा का सहारा लिया गया है। पुलिस की सजा से मुक्ति, ब्राह्मणवादी, पितृसत्तात्मक, हिंदुत्व के आधार पर मजबूती से खड़ी है। फैक्ट्री मालिकों, प्रबंधन, उनके सशस्त्र बल, हिंदू जागृति मंच जैसे स्थानीय समूहों और हरियाणा पुलिस के बीच मिलीभगत है।

इस बीच, नोदीप कौर जैसे कार्यकर्ता-कार्यकर्ताओं को जहां एक तरफ हिरासत में ले यौन हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है, वहीँ दूसरी तरफ मीडिया में उनके खिलाफ भद्दा अभियान भी चलाया जा रहा है। कॉरपोरेट-राज्य की सांठगांठ की हताशा मजदूर-किसान एकता के संकेत पर अपना फन उठाती है। ब्राह्मणवादी हिंदुत्ववादी फासीवादी ताक़तों की जब पुलिसी मदद नाकाम हो गयी तब महिला विरोधी, दलित-विरोधी, मज़दूर-विरोधी और किसान-विरोधी राज्य ने इसे एकतरफा राजकीय दमन में बदल दिया।

केआईए कारखाना मालिकों और ठेकेदार, उनके निजी सशस्त्र बल और हरियाणा पुलिस की भूमिका को मजदूर-किसान एकता के खिलाफ खतरे के रूप में देखा जाना चाहिए। यह संघर्ष बढ़ते समर्थन के बीच किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए किए गए अथक प्रयासों में एक है।

कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रेप्रेशन (CASR), नवदीप कौर और उसके जैसे श्रमिकों के खिलाफ हरियाणा पुलिस के इन घिनौने कार्यों की निंदा करती है, उसे तत्काल मुक्त करने और श्रमिकों को जानबूझ कर निशाना बनाये जाने की प्रक्रिया की समाप्ति की मांग करती है।

CASR स्पष्ट रूप से नवदीप कौर पर की गई हिरासत में यौन हिंसा की निंदा करती है और वर्दीधारी अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करती है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.