भिलाई प्लांटः बिना गैस पाइप लाइन बंद किए हो रही थी मरम्मत, वेल्डिंग से लगी आग में 9 वर्करों की मौत

सेल के भिलाई स्टील प्लांट में मंगलवार को एक भीषण ब्लास्ट में आधिकारिक रूप से 9 मज़दूरों की मौत हो गई।

हालांकि वर्करों का कहना है कि ये संख्या 13 या उससे भी अधिक हो सकती है।

भिलाई के एक मज़दूर कार्यकर्ता कलादास देहेरिया ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि वर्कर कोक ओवन बैटरी कॉम्प्लेक्स नंबर 11 की गैस पाइप लाइन की मरम्मत कर रहे थे।

लेकिन प्रोडक्शन प्रभावित न हो, इसलिए गैस पाइप लाइन को ब्लॉक नहीं किया गया था जबकि स्टैंडर्ड प्रैक्टिस ब्लॉक करना है।

Bhilai Steel Plant
बुरी तरह झुलसे वर्करों की सूची, जिनका इलाज हो रहा है। साभारः कलादास देहेरिया

फैक्ट्री बहुत पुरानी है इसलिए पाइपलाइन जर्जर हो गई है। ऐसे में वेल्डिंग के समय निकली चिंगारी ने लीक होती गैस को पकड़ लिया।

जिस समय विस्फ़ोट हुआ, 26 वर्कर काम कर रहे थे। बाकी मज़दूर बुरी तरह झुलस गए हैं जिनका भिलाई के अस्पताल में इलाज चल रहा है।

ये सभी सरकारी कंपनी सेल के परमानेंट वर्कर थे।

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 14 मज़दूर बुरी तरह झुलस गए हैं जिनमें आठ 50 या उससे अधिक झुलस गए हैं।

इनमें एक असिस्टेंट मैनेजर भी हैं और पांच फ़ायर ब्रिगेड के कर्मचारी हैं।

ये भी पढ़ेंः यूपी के बिजनौर में पेट्रो केमिकल फैक्ट्री में विस्फोट से 6 मज़दूरों की मौत, मुआवज़ा एक नया नहीं

Bhilai Steel Plant
भिलाई स्टील प्लांट में भीषण हादसा। तस्वीर साभारः कलादास देहेरिया।

प्लांट में 30 हज़ार ठेका मज़दूर

भिलाई में ही रहने वाले छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मज़दूर कार्यकर्ता समिति के सदस्य कलादास देहेरिया ने बताया कि ब्लास्ट के बाद फ़ायर ब्रिगेड के लोगों को एक मज़दूर का सिर्फ सिर मिला है, शरीर का बाकी हिस्सा नहीं मिला।

इस आधार पर उन्होंने कहा कि मृतकों की संख्या अधिक भी हो सकती है। हालांकि पूरे परिसर को सील कर दिया गया है।

उन्होंने संदेह जताया कि मैनेजमेंट कुछ मौतों को छिपा भी सकता है।

फिलहाल राज्य केंद्र सरकार ने मृतकों के एक आश्रित को स्थाई नौकरी और मुआवज़ा देने का ऐलान किया है।

और राज्य सरकार ने पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।

प्लांट में क़रीब 20,000 परमानेंट वर्कर हैं और 30 हज़ार ठेका मज़दूर हैं।

कंपनी अपनी वेबसाइट में दावा करती है कि उसे देश में बेस्ट इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट का 11 बार प्रधानमंत्री पुरस्कार मिल चुका है।

ये भी पढ़ेंः बवाना इंडस्ट्रीयल क्षेत्र फैक्टरी में आग लगने से मजदूरों की जलकर हुई मौत पर प्राथमिक जांच रिपोर्ट

Bhilai steel Plant
तस्वीर साभारः कलादास देहेरिया

क्या एनटीपीसी और बिजनौर से कुछ नहीं सीखा?

अभी पिछले महीने ही यूपी के बिजनौर में एक पेट्रोकैमिकल फैक्ट्री में विस्फ़ोट से 6 वर्कर मारे गए थे।

पिछले साल ही यूपी के एनटीपीसी के ऊंचाहार प्लांट में विस्फ़ोट से 47 लोग मारे गए थे।

इन सारे मामलों में प्रशासन ने किसी को ज़िम्मेदार नहीं पाया!

असल में मज़दूरों की ज़िंदगी, उनकी आर्थिक सामाजिक स्थिति भारत के राजनीतिक बहस का हिस्सा है ही नहीं।

इसीलिए लगभग सभी पार्टियों की ट्रेड यूनियनें होने के बावजूद न तो राजनीतिक पार्टियां ऐसे मसलों को संज्ञान में लेती हैं और न ही उनसे संबद्ध ट्रेड यूनियनें।

अगर ऐसा होता तो गुड़गांव दिल्ली से दूर नहीं है। इसी के पास मानेसर में एक कंपनी है एसपीएम।

ये भी पढ़ेंः ‘जिन पांच सफ़ाई मज़दूरों की मौत हुई, वो अमरीकी कंपनी जेएलएल के मुलाज़िम थे’

गुड़गांव की एक कंपनी में पांच साल में चार मज़दूर मरे

पिछले पांच सालों में इसमें चार मज़दूर मर गए। अभी पिछले जून में ही एक मज़दूर धूप में काम करते करते खड़े खड़े बेहोश हो गया और मर गया।

शत्रुघ्न नामका एक वर्कर कन्वेयर बेल्ट में फंस कर मर गया। रात्रि की पाली की इस घटना में बेल्ट को काटने से मैनेजमेंट ने मना कर दिया।

क्योंकि इससे प्रोडक्शन प्रभावित होता।

मारुति के मानेसर प्लांट में अभी कुछ दिन पहले ही मैनेजमेंट के दबाव की वजह से मानसिक तनाव में आए एक ट्रेनी इंजीनियर ने गला काटकर खुदकुशी की कोशिश की।

ऑटोमेशन, प्रोडक्शन बढ़ाने का दबाव, इससे उपजे तनाव, मुनाफा बढ़ाने के लिए ठेकेदारी सिस्टम और सुरक्षा उपायों को नज़रअंदाज़ करने से हो रही औद्योगिक दुर्घटनाएं दिनों दिन बढ़ रही हैं।

उपरोक्त तीनों दुर्घटनाएं मेंटेनेंस के दौरान हुईं और तीनों में ये पता चला कि सुरक्षा के उपाय इसलिए नहीं किए गए क्योंकि उत्पादन प्रभावित होगा।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। इसके फ़ेसबुकट्विटरऔर यूट्यूबको फॉलो कर सकते हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.