मारूति आंदोलन की 10वीं सालगिरह: मज़दूर संघ ने निकाली रैली, डीसी को ज्ञापन सौंप झूठे मुकदमे वापस लेने की मांग

मारूति दमन और आंदोलन को हुए 10 साल के उपलक्ष्य में सोमवार को मारूति सुजुकी मजदूर संघ (MSMS) के बैनर तले मजदूरों ने राजीव चौक से लेकर डीसी ऑफिस तक जोरदार नारेबाज़ी के साथ रैली निकाली और डीसी ऑफिस पर सभा का आयोजन किया।

मारूति मजदूरों की बर्खास्तगी बहाल करने, मजदूरों पर लगाए गए झूठे मुकदमें रद्द करने, मजदूर विरोधी श्रम संहिता रद्द करने, ठेका प्रथा खत्म करने आदि मांगों को लेकर हुए प्रदर्शन ने पूरे क्षेत्र में मज़दूरों पर बढ़ते दमन को एक चुनौती दी।

इस दौरान डीसी गुरुग्राम के मार्फत देश के राष्ट्रपति के नाम आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 13 मजदूरों की सजा रद्द करने तथा झूठे मुकदमे वापस लेने, मजदूर विरोधी लेबर कोड को रद्द करने सभी निकाले गए मजदूरों को काम पर वापस लेने, स्थाई काम पर स्थाई रोजगार तथा समान काम का समान वेतन लागू करने, एमपीएम कंपनी में एक मजदूर साथी की मृत्यु की खबर देने पर मजदूरों पर लगाए गए झूठे मुकदमे रद्द करने और ठेका प्रथा रद्द करने जैसी 6 मांगों का ज्ञापन भेजा गया।

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कार्यक्रम में मारूति सुजुकी मजदूर संघ के घटक (मारुती सुजुकी मानेसर प्लांट, गुडगांव प्लांट, सुजुकी पॉवर ट्रेन, बाइक प्लांट, बेलसोनिका ऑटोकंपोनेंट इंडिया एंप्लॉयस यूनियन), होंडा, हीरो, आई जे एल बावल।

मुंजाल शोआ, मुंजाल किरियू की यूनियनें, व मजदूर सहयोग केंद्र, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, संग्रामी श्रमिक कमेटी, मज़दूर पत्रिका, एआईयूटीयूसी, एटक आदि मज़दूर यूनियन, जानेमाने लेखक और सांस्कृतिक कर्मी शमशुल इस्लाम और युवा संगठन शामिल हुए।

सभा में मारूति मज़दूर संघ की यूनियन के साथियों ने मारूति संघर्ष को याद करते हुए वर्तमान मोदी सरकार द्वारा मजदूरों पर किए जा रहे हमलों और मज़दूर विरोधी नीतियों का विरोध किया।

नए लेबर कोड और मज़दूरों की सुनवाई न होने के ख़िलाफ़

मारुति गुडगांव प्लांट के महासचिव साथी राजेश ने नए श्रम कानून के खिलाफ एकजुट संघर्ष को इस वक्त की सबसे बड़ी मांग बताया

अन्य वक्ताओं ने इस बात की सराहना की कि नौकरी चले जाने और दमन के बाद भी इतने सालो से मारूति मज़दूर आंदोलन में डटे हुए है और संघर्षशील यूनियन के रूप में अपना स्थान बनाए हुए है।

बेलसोनिका यूनियन के प्रधान अजीत नें ठेका, स्थायी व मजदूरों के बीच किये जा रहे विभाजनों से ऊपर उठ कर वर्गीय एकता बनाने पर ज़ोर दिया।

नेताओं ने नापिनों ऑटो का उदाहरण देते हुए कहा की आज किसी एक कम्पनी का विवाद मात्र उसी कम्पनी के अन्दर के संघर्ष से नहीं निपटता।

प्लांट स्तर के संघर्षों की सफलता भी पूरे क्षेत्र में सभी यूनियनों और मज़दूरों की एकता पर टिकी है।

ठेका, अपरेंटिस व ट्रेनी मज़दूरों के साथ एकता बनाना और उन्हें संघर्ष में जोड़ना आज बेहद ज़रूरी है।

कर्यबहाली के लिए बनाना होगा मनेजमेंट पर दबाव

प्रोविजनल कमेटी के साथी रामनिवास ने कहा की आज कंपनी में स्थाई मज़दूरों को मिल रहे अधिकारों के पीछे भी 2011-12 के आंदोलन और सभी टर्मिनेन्ट और जेल में बंद साथियों के योगदान को याद रखना चहिए।

वर्तमान में लेबर कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे बर्खास्त मज़दूरों की कार्यबाहली के विषय में उन्होंने याद दिलाया कि मारुति मैनेजमेंट बड़े गर्व के साथ 2011 तक बोला करती थी कि बर्खास्त किए गए मज़दूरों को वापस नहीं लेगी, पर 4 जून 2011 की हड़ताल के बाद उन्हें फौरन मज़दूरों को वापस लेना पड़ा था।

इसी तरह आज भी कार्यबाहली के संघर्ष में प्रबंधन पर दबाव बनाने की ज़रुरत है।

मारुति प्रोविजनल कमेटी के साथी खुशीराम ने बोला कि इन दस सालों में यूनियन, कंपनी के अंदर काम कर रहे मज़दूरों, जेल में बंद मज़दूर साथी, टर्मिनेंट साथी और प्रोविजनल कमेटी की एकता और तालमेल से ही आंदोलन को इस मुकाम पर लाया जा सका है।

अंततः मारूति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के प्रधान पवन ने संघर्ष को मजबूती से आगे चलाने के संकल्प के साथ सभा के समापन की घोषणा की।

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