जंतर-मंतर पर 200 किसानों ने लगाई ”किसान संसद”, 40 किसान संगठन समेत 20 राज्यों के किसान हुए शामिल

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देश के इतिहास में पहली बार लोगों ने राजधानी दिल्ली में एक साथ दो संसदों को चलते हुए देखा। एक तरफ संसद में मानसून सत्र तो वहीं दूसरी तरफ जंतर मंतर पर किसान संसद।

महीनों से नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने गरुवार को जंतर मंतर पर अपनी संसद लगाई। किसान संसद में 40 किसान संगठनों समेत करीब 20 राज्यों के किसान शुमार रहे। संसद की तर्ज पर किसान संसद में स्पीकर डीप्टी स्पीकर समेत 200 सदस्य मौजूद थे जिन्होंने किसान कानून पर एक एक कर अपना पक्ष रख।

अलग-अलग संगठनों और राज्यों से आए किसानों ने किसान संसद में सुबह 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक अपना पक्ष रखा। किसान संसद’ की शुरुआत आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि देकर हुई। किसान संसद को दो सत्रों में बांटा गया था। लंच से पहले के सत्र में किसान संसद में अध्यक्ष (स्पीकर) की जिम्मेदारी किसान नेता हनन मौला ने संभाली जबकि डीप्टी स्पीकर की ज़िम्मेदारी मंजीत सिंह राय संभाली।

दूसरे सत्र में योगेन्द्र यादव ने स्पीकर जबकि हरमीत कादियान ने डीप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी संभाली। दोनों सत्रों में पहले स्पीकर और डीप्टी स्पीकर ने अपना पक्ष रखा और उसके बाद एक-एक किसान संगठन और राज्यों से आए किसानों को बोलने का मौका दिया जिन्होंने केन्द्रीय कृषि के संबंध में जानकारी साझा की। साथ ही ये भी बताया कि ये कृषि कानून कैसे किसानों के खिलाफ है और उससे पूंजीपतियों को फायदा पहुंचेगा।

किसान संसद में बोलते हुए ज्यादातर किसान नेताओं ने कहा कि नया कृषि कानून प्रभावी होने से मंडियां खत्म हो जाएंगी। किसानों को इससे नुकसान होगा और पूंजीपतियों की तिजोरी किसानों की फसल कमाएं रुपयों से भर जाएगी।

देश में बेतहाशा बढ़ी हुई मंहगाई की गूंज देश की संसद के साथ साथ जंतर मंतर पर आयोजित किसान संसद में भी सुनाई दी। किसान संसद में पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमत, दाल से लेकर सब्जी की कीमतों में लगी आग की चर्चा हुई। किसान संसद में बोलते हुए दो दर्जन से ज्यादा किसानों ने मंहगाई पर चर्चा की और बताया कैसे मंहगाई के मुद्दे पर सरकार फेल साबित हुई।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सांसद किसानों के हक में संसद के भीतर आवाज नहीं उठाते तो चाहे वह किसी भी दल के हों, उनके क्षेत्र में उनका पुरजोर विरोध होगा।

मोल्लाह ने कहा कि ‘आज 3 कानूनों के पहले कानून APMC पर चर्चा हुई। इसके बाद हम कानून को संसद में खारिज करेंगे और संसद से अपील करेंगे कि ‘किसान संसद’ की बात मानकर कानून खारिज करे।’

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, ‘‘यह एक अनैतिक सरकार है। हमें अंदेशा है कि हमारे नंबर उन लोगों की सूची में शामिल हैं, जिनकी जासूसी करायी जा रही है।’’

जंतर मंतर पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सांसदों को चेतावनी दी है। उन्‍होंने कहा, ”सांसद चाहे किसी भी दल के हों, अगर वह संसद के भीतर किसानों की आवाज नहीं उठाएंगे तो उनके संसदीय क्षेत्र में उनकी आलोचना होगी।”

वहीं दूसरी तरफ किसान आंदोलन के समर्थन में सांसदों ने सुबह गांधी प्रतिमा पर पार्टी लाइन से हटकर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं केरल के 20 सांसदों ने किसान संसद का दौरा कर अपना समर्थन भी दिया।

वहीं इस पूरे किसान संसद के दौरान पुलिस ने मीडिया को दूर रखने की कोशिश की गई। संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली पुलिस की इस हरकत को शर्मनाक करार दिया है।

जंतर मंतर पर आयोजित किसान संसद 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक चलेगी. इस दौरान रोजाना 200 लोग इस किसान संसद में हिस्सा लेने के लिए सिंधु बार्डर से आएगें। इस किसान संसद में शामिल होने के लिए रोजाना 200 किसानों को अनुमति होगी। ये सभी किसान 40 किसान संगठन के साथ साथ तकरीबन 20 राज्यों के किसान संगठन के प्रतिनिधि होंगे।

रोजाना 200 नए सदस्यों को किसान संसद में शामिल होने का मौका मिलेगा। किसान संसद में शामिल होने वाले 200 लोगों कई नई लिस्ट रोजाना पुलिस को दी जाएगी। लिस्ट में शामिल नामों को ही किसान संसद में आने की इजाजत होगी।

बता दें कि 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक चलने वाली किसान संसद में दो दिन महिला किसानों के लिए आरक्षित रहेंगे। 26 जुलाई और 9 अगस्त को महिला किसानों की किसान संसद में मौजूदगी रहेगी। किसान संसद में महिलाओं के लिए आरक्षित दिनों में कोई भी पुरुष नहीं होगा। स्पीकर से लेकर डीप्टी स्पीकर और किसान संसद सदस्य के सभी सदस्यों के रूप में महिला किसान शामिल होंगी।

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