उत्तराखंड: 30 दिनों की हड़ताल के बाद आशाओं ने मुख्यमंत्री का किया घेराव, उग्र आंदोलन की चेतावनी

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खटीमा (उत्तराखंड)। वेतन, मानदेय सहित 12 सूत्रीय मांगों को लेकर 30 दिनों से हड़ताल के बावजूद सरकार की उपेक्षा के बाद आज मंगलवार को भारी संख्या में प्रदेश की आशाएं मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय खटीमा कूच कर जबरदस्त हुंकार भारी। आशाओं को पुलिस प्रशासन ने तहसील गेट पर रोक दिया था। बाद में छह सदस्यीय शिष्टमंडल की सीएम से वार्ता हुई। जहाँ सीएम द्वारा 20 दिनों में समाधान के आश्वासन के बाद उन्होंने चेतावनी के साथ आंदोलन स्थगित कर दिया।

उल्लेखनीय है कि कोरोना के विकट दौर में भी जान जोखिम में डालकर काम करने के बावजूद न वेतन है, न ही कोई सुविधा। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री की 10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि की घोषणा भी कागजी साबित हुआ, जिससे उनमें भारी आक्रोश पनपता रहा।

23 जुलाई 2021 को आशाओं ने राज्य भर में ब्लॉकों में प्रदर्शन मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा था लेकिन सरकार ने एक नहीं सुनी, 30 जुलाई को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया गया तब भी सरकार खामोश रही। इसलिए 2 अगस्त से पूरे उत्तराखण्ड राज्य में आशा वर्कर्स का अनिश्चितकालीन कार्यबहिष्कार करने पर मजबूर होना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि कोरोना के विकट दौर में भी जान जोखिम में डालकर काम करने के बावजूद न वेतन है, न ही कोई सुविधा। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री की 10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि की घोषणा भी कागजी साबित हुआ, जिससे उनमें भारी आक्रोश पनपता रहा।

आंदोलन आशाओं की दो प्रमुख यूनियनों ‘ऐक्टू’ से संबद्ध ‘उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन’ व ‘सीटू’ से संबद्ध ‘उत्तराखण्ड आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन’ के संयुक्त आह्वान पर पूरे राज्य में हो रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खटीमा दौर की घोषणा होते ही आशा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री धामी के कैंप कार्यालय कूच करने की घोषणा कर दी थी। जिसके तहत मंगलवार को बड़ी संख्या में कुमाऊं मंडल व पूरे प्रदेश के विभिन्न स्थानों से बसों में सवार होकर आशा कार्यकता खटीमा पहुँचने के सिलसिला शुरू हो गया।

सीएम का घेराव करने खटीमा जा रही आशाओं को कई जगह पुलिस ने रोकने की भी कोशिश की। टनकपुर-बनबसा की आशाओं को पुलिस ने रोक दिया और उन्हें बसों जबरन बाहर निकाला। इससे खफा आशाओं ने बनबसा जगबुड़ा पुल पर नारेबाजी कर धरना किया। इसके बावजूद भारी संख्या में आशाएं खटीमा पहुँच गईं।

आशा कार्यकर्ता खटीमा के नागरिक अस्पताल से जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए सीएम कैंप कार्यालय को रवाना हुई परंतु पुलिस प्रशासन ने उन्हें तहसील गेट पर रोक लिया। जिसके बाद आशाएं गेट पर ही धरने पर बैठ गई। एसएसपी दलीप कुंवर ने आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता कर उनके शिष्टïमंडल को सीएम से मिलाने की बात कही।

देर शाम स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने आशाओं को जानकारी दी कि सीएम धामी ने आशा कार्यकत्रियों के प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिये बुलाया है। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल के नेतृत्व में सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीएम से मुलाकात के लिये हेलीपैड पर पहुंचा। यहां बातचीत में सीएम ने आशाओं को भरोसा दिलाया कि 20 दिन के भीतर उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिया जायेगा।

इसके बाद आशाओं ने 20 दिन के लिए आंदोलन स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा यदि समय रहते मांगों का निदान नहीं हुआ तो वह देहरादून कूच करने के साथ उग्र आंदोलन को बाध्य होंगी।

इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल, जिलाध्यक्ष ममता पानू, जरनल सेकेट्री कैलाश पांडे, रीता कश्यप, कुलविंदर कौर, गीता नैनवाल, विमला उप्रेती, रिंकी जोशी, भगवती बोरा, मुन्नी बिष्ट, इंद्रा देऊपा, गीता, पिंकी, राजेश्वरी जोशी, चंद्रकला देवी, भागीरथी देवी, हीरा, नंदा कापड़ी, गोविंदी, कमला, सुनीता, रेखा जोशी, अनीता, पुष्पा देवी, पदमा देवी, विद्या, केके बोरा सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।

(साभार-मेहनतकश)

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