BSNL के “विनाशकारी” निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों में गुस्सा, दिल्ली में 3 दिन का धरना

BSNL PRIVATISATION

राज्य-संचालित भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के कर्मचारी जल्द से जल्द इस दूरसंचार दिग्गज की 4जी सेवाएं शुरू करने और दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा बकाया राशि का निपटान करने की अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर से दिल्ली में धरना आयोजित करने जा रहे हैं, ये तीन दिवसीय धरना अगले महीने 6 सितंबर से शुरू होने जा रहा है।

ऑल यूनियंस एंड एसोसिएशन्स ऑफ़ बीएसएनएल (एयूएबी) द्वारा केंद्र सरकार के दूरसंचार कंपनी की संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए रखने की नवीनतम पहल के खिलाफ आयोजित राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के कुछ दिनों बाद इस धरने-प्रदर्शन का आह्वान किया गया है।

बीएसएनएल कर्मचारी यूनियन (बीएसएनएलईयू) के तत्वावधान में आयोजित हुए इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारी कर्मचारियों का आरोप था कि निजी खिलाड़ियों के हाथों में संपत्तियों को सौंपने का फैसला सार्वजनिक क्षेत्र के दूरसंचार उद्यम के लिए एक “प्राणघातक” साबित होने जा रहा है।

इस सप्ताह की शुरुआत में, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने चार साल के लिए राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) का अनावरण किया, जो सरकार के आधारभूत ढांचे की संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करता है। इसके तहत परियोजनाओं में स्वामित्व सौंपे बिना निर्दिष्ट अवधि के लिए निजी खिलाड़ियों के हाथों में राजस्व के अधिकारों को हस्तांतरित करने का मुद्दा शामिल है।

हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार व्यवहारिक रूप से यह कदम निजीकरण की ओर ले जाने वाला है। इस कदम से छह लाख करोड़ रूपये की रकम जुटा लेने की रुपरेखा में कई अन्य क्षेत्रों की संपत्तियों के साथ-साथ देश में मौजूद सड़कों, रेलवे, बिजली, खनन, उड्डयन, बंदरगाह, वेयरहाउस, स्टेडियमों जैसी संपत्तियों के मुद्रीकरण को शामिल किया गया है। जहाँ तक दूरसंचार का प्रश्न है, तो उसके लिए केंद्र ने बीएसएनएल और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के 14,917 टावरों के साथ-साथ भारतनेट के 2.86 लाख किमी लंबे ऑप्टिक फाइबर्स को भी निजी हाथों में सौंपने के लिए चिन्हित किया है।

बीएसएनएलईयू के अध्यक्ष अनिमेष मित्रा ने सोमवार को न्यूज़क्लिक को बताया कि केंद्र द्वारा लिए गए हालिया फैसले को बीएसएनएल और एमटीएनएल के निजीकरण की “शुरुआत” के तौर पर समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा “कर्मचारियों के बीच में इस बात की आशंका काफी लंबे समय से बनी हुई थी। सरकारी दूरसंचार कंपनियों को पुनर्जीवित करने की सारी बातें महज “आँख में धूल झोंकने वाली” साबित हुई हैं।

इससे पहले, अक्टूबर 2019 में तत्कालीन केंद्रीय संचार मंत्री, रवि शंकर प्रसाद के द्वारा एक पुनरुद्धार योजना की घोषणा की गई थी, जिसमें बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन और अन्य कदमों के साथ ऋण पुनर्गठन के लक्ष्य को रखा गया था, ताकि “रणनीतिक” कंपनियों का रखरखाव कर अगले कुछ वर्षों में एक बार फिर से लाभकारी स्थिति में लाया जा सके।

इसके बाद उस वर्ष के अंत में तकरीबन 80,000 कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्त होने का विकल्प चुनने का मौका दिया गया था, ताकि पुनरुद्धार योजना के हिस्से के तौर पर कंपनी के वेतन मद में कमी लाई जा सके। हालाँकि, अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन के अभाव को देखते हुए दूरसंचार कर्मचारियों का आरोप है कि इसका वित्तीय पुनरुद्धार एक “दिवा-स्वप्न” बनकर रह गया है।

कर्मचारियों की तरफ से यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र की ओर से बीएसएनएल द्वारा अपनी 4जी सेवाओं की शुरुआत करने की राह में “जानबूझकर रोड़े” खड़े किये जा रहे हैं। मित्रा की ओर से सोमवार को दावा किया गया कि “बीएसएनएल पहले से ही अपनी 4जी सेवाओं को शुरू करने के लिए मोबाइल टावरों को अपग्रेड करने की कोशिश में लगा हुआ था। लेकिन अब, उन्हें मुद्रीकृत करने की अपनी योजना के साथ केंद्र ने एक नया रोड़ा खड़ा कर दिया है।”

वर्तमान में, बीएसएनएल जो कि दिल्ली और मुंबई में एमटीएनएल नेटवर्क के रखरखाव का काम करती है, के पास अपने तकरीबन 68,000 टावर स्थापित हैं। इसके साथ ही मित्रा का तर्क था कि भारतनेट के ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क मुद्रीकरण के साथ-साथ “देश का समूचा हाई स्पीड इन्टरनेट ढांचा” भी निजी कॉर्पोरेट को दे दिया जाने वाला है। उनका कहना था कि “टेलिकॉम कमर्चारी हरगिज भी इसके पक्ष में नहीं हैं और वे इसके खिलाफ अपने विरोध को जारी रखेंगे।”

सिर्फ कर्मचारियों की ओर से ही नहीं, बल्कि कई राजनीतिक मोर्चों का भी आरोप है कि एनएमपी दरअसल, राष्ट्रीय संपत्तियों को “बेचने” की योजना के सिवाय कुछ नहीं है, जो कि देश के लिए “विनाशकारी” साबित होने जा रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीआई-एम) के अपने मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में एक संपादकीय में कहा है कि, “भाजपा के नेतृत्ववाली एनडीए सरकार ने असल में ‘जोखिम-रहित संपत्तियों के मुद्रीकरण के वाग्जाल वाले छलावे के साथ’ भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की बिकवाली की अपनी योजना का ऐलान किया है।”

(साभार- न्यूजक्लिक)

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