अग्निपथ योजना: जनता को भ्रमित बताकर स्कीम को मास्टरस्ट्रोक घोषित करने में लगा आईटी सेल

agnipath protesters torch train in Hyd

अग्निवीर योजना को लेकर बढ़ते आक्रोश के बीच सोशल मीडिया पर आईटी सेल सरकार के इस कदम को पहले से ही मास्टरस्ट्रोक घोषित करने के लिए कैम्पैन चला रहा है।

आक्रोशित युवाओं और प्रदर्शनकारियों को दिगभ्रमित से लेकर गुंडातत्व तक की उपाधि दे दी गई है।

अग्निवीर योजना को लेकर बढ़ते आक्रोश के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इससे जुड़े मिथकों को तोड़ने के लिए एक बयान जारी किया है जिसमें कि योजना से मिलने वाले लाभों के “तथ्यों” को उजागर करने की कोशिश की गई है।

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काफी विरोध के बाद आवेदन की अधिकतम उम्र 21 साल से बढ़ा कर 23 कर दी गई है।

सैनिकों को चार साल के लिए टेम्परारी बेसिस पर रखा जाएगा और उसके बाद 75% लोगों की छटनी कर दी जाएगी।

लोग कयास लगा रहे हैं कि रिटायर होने के बाद युवाओं का भविष्य असुरक्षित हो सकता है।

मिथक बनाम सरकारी तथ्य

गृह मंत्रालय ने इसके जावाब में कहा है कि रिटायर होने के बाद सेवानिधि पैकेज के तहत मिलने वाले लगभग 12 लाख रुपए से युवा अपना रोजगार या बिजनस शुरू कर सकते हैं।

हालांकि बाजार में रेट आसमान छू रहे हैं। नया दुकान किराये पर लेने के लिए दिए जाने वाली पगड़ी भी आजकल 12 लाख रुपए से ज्यादा होती है।

बयान में ये भी कहा गया है कि उद्यमियों को लोन मुहैया कराया जाएगा लेकिन बैंकों में बिना कोलैटरल के लोन नहीं मिलता है।

ANI की खबर के अनुसार अधिकारियों का दावा है कि आने वाले सालों में भर्तियाँ अभी के मुकाबले तीन गुना होंगी।

बताते चलें कि सेना में होने वाली भर्तियाँ पिछले दो साल से रुकी हुई हैं।

मोदी सरकार लगातार पेंशन पर हमला बोले हुए है।

बड़ी संख्या में भर्तियों की आस लगाए बैठे युवाओं में सेवा से पेंशन और स्वास्थ लाभ को हटाए जाने के कारण आक्रोश है।

गृह मंत्रालय ने बयान में कहा कि रिटायर होने के बाद जो युवा आगे पढ़ने की ललक रखते हैं उन्हें 12वीं कक्षा के समतुल्य सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

इसके अलावा उन्हें CAPF और राज्य पुलिस में भी प्राथमिकता देने की बात कही गई है।

बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था का आलम

मोदी सरकार ने हाल ही में डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया है।

हालांकि चुनाव से पहले उन्होंने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था।

मार्च 2019 में श्रम मंत्रालय ने खुलासा किया था कि बेरोजगारी 45 साल के सबसे खराब स्तर पर पहुँच चुकी थी।

विशेषज्ञों का कहना है कि नोटबंदी और आनन फानन में लागू किये गए जीएसटी नियमों से अर्थव्यवस्था पहले से ही चरमरा चुकी थी।

लेकिन कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था की पूरी तरीके से कमर टूट गई।

इस बीच कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें कई ट्रेनों को फूक दिया गया।

आईटी सेल और मेनस्ट्रीम मीडिया का प्रॉपेगंडा

कुछ पत्रकारों का कहना था कि इस हिंसा से बाहरी निवेश पर असर पड़ सकता है।

पिछले दो साल से रुकी हुई भर्तियों के साथ बढ़ती बेरोजगारी से कथित तौर पर 62 युवाओं ने आत्महत्या कर ली है।

आईटी सेल इस योजना के लिए समर्थन जुटाने के लिए फर्जी लोगों को आवेदक बता कर दुशप्रचार कर रही है।

फर्जी ट्वीट और वॉट्सऐप पर विषाक्त मेसेजों का अंबार लगा हुआ है।

कई पत्रकार ट्विटर पर इस योजना के विरोध कर रहे लोगों को सर्टिफिकेट बांटते फिर रहे हैं कि वह सेना में भर्ती होने लायक ही नहीं हैं।

प्रदर्शनकारियों को वामी बता कर के डिसक्रेडिट किया जा रहा है।

सरकार का कहना है कि ये दावा गलत है कि इस योजना से सैन्य बल की क्षमता पर असर पड़ेगा।

उदाहरण में दूसरे देशों का हवाला दिया गया जहां सैन्य सेवा जरूरी है।

लेकिन आए दिन की सैनिकों को पर्याप्त खाना और जरूरी सामान ना मिलने की खबरों से इन दावों पर वाजिब संदेह उठता है।

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