केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दिया किसानों के भारत बंद को समर्थन, 1 अप्रैल को जलायेंगे श्रम कानून की प्रतियां

केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने किसानों के भारत बंद के आहृान को अपना समर्थन दिया है।

ट्रेड यूनियनों के साझा मंच ने  24 से 26 मार्च तक तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शनों के द्वारा पूरे भारत में शुरू हुए जिसमें 4 श्रम कोडों, तीन कृषि कानूनों और विद्युत (संशोधन) अधिनियम 2021 को रद्द करने की मांग की है।

मंच ने कहा कि एमएसपी की गारंटी प्रदान करने के लिए एक कानून बनाने, चौतरफा निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सरकारी विभागों में विनिवेश पर रोक लगाने, भारतीय रेलवे, रक्षा, कोयला, तेल, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, दूरसंचार, आदि क्षेत्रों के निजीकरण पर तुरंत रोक लगाई जाये।

इसके साथ ही ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने कहा कि “लॉकडाउन के दौरान वेतन और अन्य लाभों का भुगतान जारी रखने और किसी भी कर्मचारी को ना निकालने के सरकार के अपने पूर्व के आदेश को सुनिश्चित किया जाये साथ ही सार्वभौमिक राशन प्रणाली और गरीब परिवारों को वित्तीय सहायता सुनिश्चित की जाये।”

मंच ने  मनरेगा में कार्यदिवस 200 तक बढ़ाने और शहरी भारत में रोजगार गारंटी योजना शुरू करने के साथ-साथ सरकार द्वारा स्वीकृत पदों को भरने आदि की मांग भी सामने रखी।

संयुक्त मंच ने बताया कि किसानों द्वारा 26 मार्च के “भारत बंद” के आहृान को ट्रेड यूनियनों द्वारा विभिन्न एकजुटता कार्यक्रमों के माध्यम से समर्थन दिया जाएगा।

1 अप्रैल को जलायेंगे श्रम कानून की प्रतियां

संयुक्त मंच से जुड़े यूनियनों ने अपने बयान में कहा कि “हम  मोदी सरकार के अहंकारी और नकारात्मक रवैये की आलोचना करते है।  सरकार ने ट्रेड यूनियनों की मांग को दरकिनार कर श्रम कोडों को लागू करने पर कायम है और उन पर नियमावली बना रही है।”

सभी ट्रेड यूनियनों ने एक स्वर में ये फैसला लिया है कि 1 अप्रैल को श्रम कोड जलाने या फाड़ने का राष्ट्रव्यापी दिवस मनाया जाएगा।

संयुक्त मंच ने चुनाव में जा रहे राज्यों के लोगों से अपील की है कि वे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को निर्णायक रूप से शिकस्त देकर करारा जवाब दें क्योंकि यह सरकार केवल देसी-विदेशी कॉर्पोरेट घरानों के हित में काम कर रही है।

ट्रेड यूनियन के नेताओं ने कहा कि “सरकार मज़दूरों द्वारा मेहनत से जीते गए सभी श्रम कानूनों को खत्म कर रही है, किसानों के हित के खिलाफ कृषि कानूनों को लागू कर रही है, उनकी भूमि को कॉरपोरेट के हवाले कर रही है।”

उन्होंने आगे बताया कि  सरकार कृषि उपज को कॉर्पोरेट नियंत्रण को सौंप रही है और आम आदमी के हित के खिलाफ जमाखोरी को बढ़ावा दे रही है। आम जनता की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल रही है।

सरकार मूल्य वृद्धि, मंदी, बेरोजगारी को नियंत्रित करने में विफल रही है। वह मौजूदा कामगारों की सामाजिक सुरक्षा और पेशागत स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को कमजोर कर रही है, नियत अवधि रोजगार को थोप रही है और मजदूरी में गिरावट ला रही है।

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