क्या आनंद विहार से स्पेशल ट्रेनें चलाने की तैयारी कर रही है सरकार? ग्राउंड रिपोर्ट

anand vihar railway station

एक मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने और आनन फानन में इससे संबधित आदेश जारी करने के बाद गृहमंत्रालय ने तीन मई को एक और स्पष्टीकरण जारी कर बता दिया है कि स्पेशल ट्रेनें मज़दूरों के लिए नहीं हैं।

लेकिन बीबीसी हिंदी वेबसाइट ने सरकार की ट्रेन चलाने की तैयारियों की ख़बर लिखी है।

रविवार को कई इलाक़ों से मज़दूर आनंद विहार रेलवे स्टेशन की ओर जाते दिखे।

वर्कर्स यूनिटी ने अपनी पड़ताल में पाया कि आनंद विहार रेलवे स्टेशन या जीआरपी प्रशासन को इस तरह की कोई सूचना नहीं मिली है।

लेकिन रेलवे स्टेशन के बाहर जीआरपी ने तैयारियां पूरी कर ली हैं।

स्टेशन के प्रवेश द्वार पर रस्सियां बांध दी गई  हैं और उनके अंदर सफेद रंग के गोल घेरे भी बना दिए गए हैं।

रेलवे मज़दूरों से वसूलेगी खर्चा

लेकिन स्टेशन के अंदर सन्नाटा पसरा हुआ है। रेलवे कर्मचारियों ने दबी ज़ुबान में बताया कि उन्हें ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है लेकिन हो सकता है कि एक दो दिन में ट्रेनें यहां से रवाना की जाएं।

उधर ख़बर मिल रही है कि रेलवे ने गाइड लाइंस जारी कर परिचालन का खर्च राज्य सरकार से वसूलेगी। हालांकि मज़दूरों को पैसे देकर टिकट खरीदने पड़ रहे हैं।

रेलवे ने नोटिस जारी कर ये भी कहा है कि मज़दूरों से वो स्लीपर क्लास के चार्ज के अलावा 50 रुपये अधिक लेगा।

रेलवे ने जारी दिशा निर्देश में कहा है कि ये स्पेशल ट्रेनें 500 किलोमीटर से अधिक दूरी की यात्रा के लिए चलाई जाएंगी और हर ट्रेन में अधिकतम 1200 यात्री सफर कर सकते हैं।

ये ट्रेनें नॉन स्टाप होंगी और यात्रियों के खाने पीने का इंतज़ाम संबंधित राज्य सरकारें करेंगी, राज्य सरकारें ही जाने वालों की लिस्ट बनाएगी और बाकी की ज़िम्मेदारी उसी की होगी यानी पहुंचने के बाद हेल्थ चेकअप आदि।

जानी मानी वेबसाइट द क्विंट की एक ख़बर के अनुसार, एक मई को मुंबई से चली स्पेशल श्रमिक ट्रेन में 90 सीटें खाली रह गईं क्योंकि मज़दूरों के पास पैसे नहीं थे और कई मज़दूरों को स्टेशन से वापस जाना पड़ा।

anand vihar railway station

किराया न लेने की मांग तेज़

ट्रेड यूनियनें और मज़दूर ट्रेन यात्रा के लिए पैसा वसूले जाने का विरोध कर रहे हैं और कई नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी ट्विटर पर मोदी सरकार और रेलवे की आलोचना की है।

आलोचना इस इस बात पर भी हो रही है कि सूरत से जो स्पेशल ट्रेन चली उसे बीजेपी के नेताओं ने बीजेपी का झंडा दिखाकर रवाना किया गया।

आलोचकों का कहना है कि लॉकडाउ के डेढ़ महीने बाद अब जब मज़दूरों को घर जाने दिया जा रहा है उनसे पैसे वसूलना जायज नहीं है क्योंकि उनके पास सारी बचत स्वाहा हो चुकी है।

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन से पहले अमीर लोगों को विदेश से मुफ्त में लाया गया, जबकि उनके साथ कोरोना वाइरस आने का जोखिम था। सिर्फ वुहान से ही इन्हें लाने में सरकार ने 6 करोड़ रु खर्च किए।

अमरीका का आरोप है कि चीन का वुहान शहर ही वो जगह है जहां से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला।

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