आखिर बीमा कर्मचारियों ने क्यूं ठुकराया मैनेजमेंट के वेतन बढ़ोतरी का ऑफर?

General Insurer’s (Public Sector) Association of India (GIPSA) और विभिन्न कर्मचारी संघों के बीच पिछले पांच साल से लंबित वेतन बढ़ोतरी को लेकर बातचीत की शुरुआत में ही खटास महसूस हो रही है।

IANS की खबर के मुताबिक GIPSA ने 15 फीसदी बढ़ोतरी का वादा करने के बावजूद पिछले महीने कर्मचारियों को 7 फीसदी की बढ़त का लॉलीपॉप देने की कोशिश की।

बीमा कंपनी कर्मचारी यूनियनों ने इसे प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है।

सार्वजनिक क्षेत्र के सामान्य बीमा कर्मचारियों के लिए वेतन संशोधन 1 अगस्त, 2017 से देय था।

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GIPSA चार मल्टीलाइन गैर-जीवन बीमा कंपनियों, जैसे कि General Insurance Corporation (GIC Re), की लॉबी बॉडी है।

4 अप्रैल 2019 को मुंबई में हुई एक बैठक में GIPSA के तत्कालीन अध्यक्ष ने उन्हें LIC के कर्मचारियों को दिए गए वेतन से बेहतर यानी 15 फीसदी वेतन संशोधन का आश्वासन दिया था।

संजय झा, सचिव स्थायी समिति (General Insurance, All India Insurance Employees Association-AIIEA) ने कहा, “GIPSA ने प्रस्ताव दिया 7 फीसदी वेतन बिल में बढ़ोतरी बिना पिछले 5 साल के एरियर के, या फिर वेतन में 5 फीसदी बढ़ोतरी और 2 फीसदी एरियर।

झा ने कहा कि AIIEA और अन्य यूनियनों ने इस ‘निराशाजनक’ प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

National Confederation of General Insurance Officers Association (CONFED) and All India President of New India Assurance Officers Association के अध्यक्ष विजय शर्मा ने कहा, “2017 में कंपनियों की वित्तीय स्थिति अच्छी थी। मैनेजमेंट के पास इस तरह की पेशकश करने का कोई कारण नहीं है। शायद यह वेतन संशोधन में और देरी करने के लिए किया गया है।”

शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों को कम से कम 15 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है, जैसा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के कर्मचारियों को दिया गया था।

AITUC ने जॉइन्ट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन (JFTU) के मैनेजमेंट के प्रस्ताव को ठुकराव का समर्थन किया है।

AITUC की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर ने कहा कि GIC के कर्मचारियों के लिए लागू अंतिम समझौता 2012 से 2017 तक प्रभावी था। अगला समझौता अगस्त, 2017 से देय है और अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है। यानी 59 महीने!

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