गूगल के सैकड़ों वर्करों ने बनाई यूनियन

ओकलैंड : गूगल के चार सौ से ज्यादा इंजीनियरों और अन्य वर्करों ने एक यूनियन बनाई है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल में किसी यूनियन का बनना काफी अलग है. टेक इंडस्ट्री के लिए ये नई परंपरा है. ऐसा माना जा रहा है कि सैलरी को लेकर गूगल कर्मचारियों की समस्याओं, उत्पीड़न और नैतिकता जैसी बढ़ती मांगों के बाद ये यूनियन टॉप लीडरशिप के साथ कर्मचारियों के तनाव को और ज्यादा बढ़ाने का काम कर सकती है.
गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट है और अब यूनियन का नाम ‘एल्फाबेट वर्कर्स यूनियन‘ है. इस यूनियन ने पिछले ही महीने अपने लीडर का चुनाव भी किया था. ये यूनियन अमेरिका के कम्युनिकेशन वर्कस से जुड़ा हुआ है. जो अमेरिका और कनाडा में टेलीकम्युनिकेशन एंड मीडिया से जुड़े कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है. हालांकि, ये एक पारंपरिक यूनियन जैसी बिल्कुल नहीं है. जिसमें मांग की जाती है कि कंपनी किसी कॉन्ट्रैक्ट के लिए समझौता करने बातचीत की टेबल पर आए. एल्फाबेट वर्कर्स यूनियन कथित तौर पर ‘अल्पसंख्यक‘ यूनियन है, जो पूरी कंपनी के 2 लाख 60 हजार से भी ज्यादा फुल टाइम और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों के एक छोटे से हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है. कर्मचारियों का कहना है कि इसका मुख्य उद्देश्य किसी कॉन्ट्रैक्ट पर सौदेबाजी नहीं, बल्कि गूगल में एक्टिविज्म को एक स्ट्रक्चर प्रदान करना है.न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में गूगल में काम करने वाले सैन फ्रांसिस्को के एक इंजीनियर और यूनियन के नेता चीवी षाॅ ने कहा कि, ये यूनियन मैनेजमेंट पर दबाव बनाने के लिए एक टूल की तरह है, जिससे ऑफिस में काम करने के दौरान होने वाली समस्याओं का समाधान हो सके. कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनका जवाब ये यूनियन है. क्या लोगों को सही सैलरी मिल रही है? ऐसे सवालों के दायरे से आगे बढ़कर उनके जवाब मांगना ही यूनियन का काम है.
दूसरी ओर इस मामले को लेकर गूगल के पीपुल ऑपरेशंस डायरेक्टर कारा सिल्वस्टीन ने कहा, हमने हमेशा ही इस दिशा में काम किया है कि हमारे कर्मचारियों के लिए एक सपोर्टिव और बेहतरीन वर्कप्लेस तैयार हो. हमारे कुछ कर्मचारियों ने श्रम अधिकारों का इस्तेमाल किया है, जिनका हम सम्मान करते हैं. लेकिन जैसा कि हमने हमेशा से किया है, हम आगे भी अपने सभी कर्मचारियों के साथ सीधे संपर्क में रहेंगे.
गूगल में बनी इस नई यूनियन से साफ है कि सिलिकॉन वैली में कर्मचारी लगातार एक्टिविज्म की तरफ बढ़ रहे हैं. जहां पिछले कुछ सालों से पहले ये देखा जाता था कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर और अन्य टेक कर्मचारी ऐसे राजनीतिक और रणनीतिक मामलों से दूरी बनाए रखते थे, वहीं अब अमेजन, पनटरेस्ट, सेल्सफोर्स जैसी कई कंपनियों के कर्मचारी लगातार भेदभाव, सैलरी और यौन उत्पीड़न को लेकर लगातार आवाज उठा रहे हैं.सॉफ्टवेयर कंपनियों में कम वेतन मुद्दा नहीं, क्योंकि यहां अच्छा वेतन मिलता है. लेकिन कर्मचारियों और प्रबंधन में अक्सर समाज, राजनीति और वैचारिक विवाद सामने आते रहे हैं, इनमें यौन शोषण और कार्यस्थल पर विविधता व भेदभाव शामिल है. गूगल में यूनियन द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के नैतिक उपयोग, खुद चलने वाली कारों और इंटरनेट सर्च परिणामों में भेदभाव जैसे मुद्दों को प्रबंधन के सामने उठाने का अनुमान लगाया जा रहा है. गूगल के वर्करों ने एकाधिक मौकों पर मुददों को लेकर पहले भी एकजुटता दिखाई है. 2018 में गूगल के 20 हजार कर्मचारी एक साथ कार्यालय से बाहर निकल आए और संस्थान द्वारा यौन शोषण के मामलों पर अपनाए जा रहे रवैये के खिलाफ विरोध व्यक्त किया था. इसी तरह जब गूगल ने रक्षा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) पर काम शुरू किया तो कर्मचारियों ने इसे अनैतिक मानते हुए अंदरूनी स्तर पर विरोध किया. ऐसे ही जब अमेरिकी कस्टम विभाग ने गूगल के साथ एआई तकनीक के जरिये प्रोजेक्ट शुरू किया तो कर्मचारियों ने फिर विरोध किया था.

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