कबीरा कंपनी हादसाः मृतक मज़दूर के परिजनों को मुआवज़ा मिला पर इंसाफ़ नहीं

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By दीपक

बीते 16 अक्टूबर को फ़रीदाबाद में जिस मज़दूर की मौत हुई थी, उसके परिजनों को मुआवज़े के तौर पर 9 लाख रुपये देने पर मालिक रज़ामंद हो गया है लेकिन अभीतक पूरा पैसा नहीं मिला है।

इसके अलावा कंपनी में पर्याप्त सुरक्षा उपाय न किए जाने और ईएसआई आदि न बनाने को लेकर कोई ठोस मुकदमा भी दर्ज नहीं किया गया।

ख़बर के अनुसार, फरीदाबाद, सेक्टर -24 प्लॉट नंबर 284-285, कंपनी कबीरा में रोहित नाम का एक मज़दूर (उम्र 34 साल) पिछले 2 साल से वेल्डर का काम कर रहा था।

कंपनी में लोहा लक्कड़ का काम होता है। 6 अगस्त को कंपनी में ही वेल्डिंग करते वक्त एक लोहे की रॉड रोहित के ऊपर गिर गई जिससे उसे गंभीर चोट लगी।

गौरतलब है कि कंपनी के कई मजदूर कंपनी मालिक से कई बार लोहा उठाने वाली क्रेन की कंप्लेंट कर चुके थे। मज़दूरों के अनुसार, यह क्रेन खराब हो चुकी थी और इसे या तो मरम्मत करान या इसको बदल देने के लिए मज़दूरों ने कहा था।

इसके बावजूद कंपनी मालिक ने अपने मुनाफे के चलते इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और आखिरकार यह हादसा हो गया।

पहले तो कंपनी ने तुरंत रोहित को प्राइवेट अस्पताल में दिखाया और इस बीच 2 साल से जो ईएसआई नहीं बना था, 6 अगस्त को ही रोहित का ईएसआई कार्ड बनवा दिया जाता है।

कुछ दिनों बाद रोहित को ईएसआई हॉस्पिटल तीन नंबर में शिफ्ट कर दिया गया। पहले से ही सीरियस या खराब स्थिति और खराब हो गई। परिवार के लोगों द्वारा काफी कहासुनी करने के बाद रोहित को फिर एशियन हॉस्पिटल में दिखाया गया लेकिन 16 अक्टूबर को रोहित का देहांत हो गया।

रोहित के पांच छोटे बच्चे हैं और परिवार को न्याय दिलाने के लिए शुभचिंतकों, आस-पड़ोस के लोगों और कंपनी के साथ वाले व कुछ मज़दूर संगठन के लोगों ने परिवार का साहस बढ़ाया।

सबसे पहले पुलिस में मुकदमा करने के लिए संघर्ष किया गया। सुबह 8:00 बजे से कहते कहते 2:30 बजे पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया।

शायद यह इसलिए भी किया गया क्योंकि पुलिस की इस कार्रवाई ने कंपनी मालिक को इतना वक्त दे दिया कि उसने काम कर रहे मजदूरों की 12 बजे कंपनी से छुट्टी कर दी, ये अफवाह फैलाते हुए कि पुलिस आ रही है लाठी चार्ज हो सकता है कोई भी मजदूर कंपनी गेट के पास दिखना नहीं चाहिए। कंपनी 12 बजे ही बंद कर दी गई।

कंपनी मालिक अपने मुनाफे के चलते कंपनी में काम आ रही बड़ी मशीनों की ना तो रिपेयरिंग करते हैं और ना ही मजदूरों को काम करते वक्त कुछ सेफ्टी के उपकरण दिए जाते हैं।

सामाजिक सुरक्षा के दायित्व से बचने के लिए भी न तो ईएसआई काटी जाती है और न ही पीएफ काटा जाता है। दुर्घटना होने पर सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत और घूस के दम पर आनन-फानन में ईएसआई बनाई जाती है ताकि अब मुआवजे का या कुछ देने की जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ा जा सके और मजदूर के परिवार को सरकारी फेर में फंसा दिया जाए।

16 अक्टूबर को जब डेड बॉडी लेकर कंपनी गेट पहुंचा गया तो कंपनी में छुट्टी हो चुकी थी कंपनी बंद हो चुकी थी। शोर शराबा मोहल्ला होने के बाद पुलिस कंपनी गेट पर आई और परिवार जन को समझाने लगी अब मुकदमा दर्ज हो गया है अब यह सब बंद करो परंतु परिवार जन नहीं माने और कंपनी गेट पर ही डटे रहे।

पार्षद जयवीर खटाना आए और परिवार वालों ने उनसे भी यही कहा कि हमारी मालिक से बात करा दो मुलाकात करा दो। काफी देर बाद गुलाटी कंपनी के मालिक, पार्षद जयवीर खटाना और पुलिस व परिवार के पांच जनों के बीच मालिक से फोन पर वीडियो कॉल कर के साथ बातचीत हुई।

बातचीत के बाद समझौता हुआ कि  कंपनी परिवार को 9 लाख रुपये देगी, जिसमें दो लाख तुरंत और सात लाख रुपये 7 दिन के अंदर दे दिया जाएगा।

मालिक का रोब देखिए, वह मजदूर को इतना भी देने को तैयार नहीं है और अपने वादे से मुकरना चाहता है। फिर कहासुनी हुई दबाव डाला गया। अंततः 7 दिन बाद सेक्टर 12 कोर्ट पर वकील की मौजूदगी में लिखा पढ़ी के बाद मालिक ने दो चेक दिए। आगे यह वक्त ही बताएगा कि कब तक यह पैसा मृतक के परिवार को मिलता है या इसके लिए भी अभी संघर्ष बाकी है।

जिस कंपनी मालिक पर एक मज़दूर की हत्या का मुकदमा चलना चाहिए था, जिस पर मजदूर का ईएसआई और पीएफ न जमा करने का मुकदमा चलना चाहिए था, जिस पर अधिकारियों को घूस देकर दुर्घटना होने के बाद आनन-फानन में ईएसआई बनाने का मुकदमा चलना चाहिए था, जिस पर घायल मजदूर का ढंग से इलाज न कराने पर उसकी मौत हो जाती है इसका मुकदमा चलना चाहिए था, जिस कंपनी मैं दुर्घटनाग्रस्त हो रहे मजदूरों और बाद में मौत होने पर ऐसी कंपनी का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए था।

वह कंपनी मालिक बड़े घमंड के साथ नौ लाख रुपये में इतने बड़े अपराध से बच जाता है। कोर्ट में लिखा लेता है कि अब तेरा मेरे बीच में कोई संबंध नहीं।

यह मालिक की जीत है और कंपनी विधिवत चालू है। पुलिस भी शांत, श्रम अधिकारी भी शांत और शासन-प्रशासन भी शांत, फिर कोई दूसरा मज़दूर फिर किसी दुर्घटना का शिकार होने के लिए तैयार है!

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