खोरी गांव के मज़दूर परिवारों को घर देने के बदले अभी कोई किश्त नहीं देनी हैः सुप्रीम कोर्ट

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दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित खोरी गांव के निवासियों को घर आवंटन के तत्काल बाद ही पहली किश्त देने की बात को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है और कहा है कि जब स्थाई आवंटन होगा उस समय किश्त तय किया जा सकता है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फरीदाबाद की अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे खोरी गांव को नगर निगम फरीदाबाद द्वारा पिछले 3 माह पूर्व बुलडोजर से ज़मीदोज़ कर दिया था।

इसमें 10000 से ज्यादा परिवार बेदखल कर दिए गए जो कि आज भी पुनर्वास के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के कन्वेनर निर्मल गोराना ने बताया कि 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में खोरी गांव रेजिडेंट वेलफेयर एससिएशन वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया एवं सरीना सरकार बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में सुनवाई करते हुए ये महत्वपूर्ण फैसला दिया है।

साथ ही पीएलपीए लैंड के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत चर्चा के लिए 15 नवंबर को सुनवाई की तारीख तय की है।

संघर्ष समिति के सदस्य मोहम्मद शकील ने बताया कि नगर निगम ने आवास आवंटन की प्रथम किस्त 17000 से 10,000 रुपये बताई है जोकि फाइनल आवंटन के समय ली जानी है। विस्थापित परिवारों को अभी कोई भी राशि या किस्त प्रोविजनल एलॉटमेंट के समय नहीं देनी है।

उन्होंने कहा कि नगर निगम की तरफ से खोरी गांव से विस्थापित मज़दूर परिवारों को 17000 रुपये की प्रथम किस्त नगर निगम में जमा कराने हेतु आदेश जारी किए गए हैं जो कि मजदूर परिवारों के लिए वर्तमान में असंभव है।

मलबे से भी लोगों को हटाने का आरोप

निर्मल गोराना ने कहा कि पिछले 3 दिन से नगर निगम फरीदाबाद खोरी गांव में मलबे के ढेर पर रह रहे विस्थापित परिवारों को बेदखल करने के लिए भरकर प्रयास कर रही है और इसी दौरान मलबे के ढेर से कई परिवारों को बेदखल कर दिया गया है जबकि यह तमाम परिवार अपने आवश्यक दस्तावेज नगर निगम को जमा करवा चुके हैं फिर भी इन्हें प्रोविजनल एलॉटमेंट के रूप में भी आवास नहीं मिला है।

अभी तक नगर निगम को 3764 आवेदन खोरी गांव की ओर से प्राप्त हो चुके हैं और नगर निगम ने 1481 आवेदन अस्वीकृत कर दिये हैं और 771 को नगर निगम ने स्वीकृत किया है।

मजदूर आवास संघर्ष समिति ने मांग की है कि 1481 आवेदन जो अस्वीकृत किए गए हैं उन आवेदनकर्ता परिवारों को अस्वीकृति के संबंध में आदेश जारी किए जाने चाहिए ताकि जिन परिवारों के आवेदन अस्वीकृत हुए हैं या रिजेक्ट हुए हैं उन्हें भी अपील करने का मौका मिले।

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