चीनी मिलों में फंसे 1 लाख 30 हज़ार मज़दूरों को घर भेजेगी महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र सरकार ने  अपने राज्य के गरीब मजदूरों के हित मे कदम उठाने की घोषणा की है।

महाराष्ट्र सरकार ने 17 अप्रैल की शाम को  एक आदेश निकालकर राज्य की विभिन्न चीनी मिलों में फंसे तकरीबन 1 लाख 30 हजार मजदूरों को उनको गांव में भेजने का फैसला किया है। साथ ही साथ मजदूरों की जांच करवाने का भी फैसला किया गया है।

जिन मजदूरों की रिपोर्ट निगेटिव आएगी, उन्हें ही घर भेजा जाएगा।

ज्यादातर मजदूर महाराष्ट्र के बीड ज़िले के हैं। इस ज़िले से मजदूर सूबे के अलग-अलग चीनी मिल में रोजगार के लिए जाते हैं।

पलायन की बड़ी वजह यह भी है कि यहां हर साल भयंकर सूखा पड़ता है, जिसकी वजह से लोगों को रोजी-रोटी की तलाश में मजदूरी के लिए जाना पड़ता है।

इसके महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में रह रहे प्रवासी लोगों को बड़ी राहत दी है।

महाराष्ट्र राज्य आवास विभाग ने शुक्रवार को मकान मालिकों से कम से कम तीन महीने तक किरायेदारों से किराया वसूली को टालने के लिए कहा है।

तीन महीने के किराया ना देने पर भी मकान मालिक उन्हें मकान से खाली करने के लिए नहीं कह सकते हैं। अगर मकान मालिक ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना मामलों की जांच में तेजी लाने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) से पूल टेस्टिंग, रैपिड टेस्टिंग और प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति मांगी थी लेकिन अभी तक नहीं मिली है।

इसके बावजूद महाराष्ट्र पिछले दो दिनों से कोरोना से होने वाली मौतों में आई कमी से राहत महसूस कर रहा है।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने दावा किया है कि महाराष्ट्र को पर्याप्त संख्या में एन-95 मास्क और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट नहीं मिले हैं।

उन्होंने कहा कि आठ लाख एन-95 मास्क और 50 लाख पीपीई किट मांगे गए थे लेकिन केवल एक लाख मास्क और 30,000 किट मिले हैं।

(गिरीश मालवीय के फ़ेसबुक पोस्ट का संपादित अंश।)

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटरऔर यूट्यूबको फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं।)