लेबर कोड के खिलाफ दिल्ली में 13 नवंबर को यूनियनों का विशाल प्रदर्शन

हैदराबाद तेलंगाना में  लेबर कोड, निजीकरण तथा सरकार की मजदूर-विरोधी नवउदारवादी नीतियों के खिलाफ रविवार, 31 जुलाई को मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) का दक्षिण भारतीय क्षेत्रीय कन्वेंशन डिस्टेंस एजुकेशन ऑडिटोरियम, ओस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद में जोशो-खरोश के साथ संपन्न हुआ और 13 नवंबर को देश की राजधानी दिल्ली में विशाल प्रदर्शन का आह्वान किया गया।

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कन्वेन्शन में मज़दूर विरोधी चारो श्रम संहिताएं रद्द करके मज़दूर हित में श्रम कानूनों में संशोधन करने, सार्वजनिक व सरकारी कंपनियों-संपत्तियों पर रोक लगाने व बुनियादी उद्योगों का राष्ट्रीयकरण करने,  महँगाई पर रोक लगाने, सबको स्थाई रोजगार देने,  ट्रेड यूनियन व आंदोलन के अधिकारों पर हमले बंद करने, मज़दूर आंदोलनों व जनवादी शक्तियों का दमन बंद करने, एक हजार रुपये न्यूनतम दैनिक मज़दूरी और सभी बेरोजगारों को रुपए पंद्रह हजार मासिक भत्ता देने, नीम ट्रेनी, स्कीम, गिग, प्लेटफ़ॉर्म, घरेलू आदि समस्त मज़दूरों को कामगार का दर्ज देने, कार्यस्थल व सामाजिक सुरक्षा मजबूत करने; समान काम पर समान वेतन देने, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य व खाद्य सुरक्षा मजबूत करने और जाति-धर्म, लिंग आधारित भेदभाव व नफरत की राजनीति बंद करने आदि की मांग बुलंद हुई।

मासा की ओर से हैदराबाद में यह दूसरा क्षेत्रीय कन्वेंशन था, जिसे मासा की दक्षिण भारतीय कमेटी ने आयोजित किया। इससे पूर्व पहला क्षेत्रीय कन्वेन्शन 2 जुलाई को कोलकाता में हुआ था, जिसे पूर्वी भारतीय कमेटी ने किया था। तीसरा क्षेत्रीय कन्वेंशन उत्तर भारतीय कमेटी की ओर से 28 अगस्त को दिल्ली में होगा।

कन्वेंशन की शुरुआत आईएफसीयू के साथियों द्वारा प्रस्तुत क्रांतिकारी गीत के साथ हुआ जिससे पूरे हॉल में उत्साह का संचार हुआ।
कन्वेन्शन में मानवाधिकार कर्मी साथी हरगोपाल ने विस्तार से बताया कि आज किस तरीके से पूँजी के वर्चस्व के बढ़ने के साथ मजदूरों पर तरह-तरह के आघात और हमले तेज हो गए हैं। ऐसे में मज़दूर वर्ग की व्यापक एकता के साथ बड़े संघर्ष की जरूरत है और मासा इस दिशा में नई उम्मीद जगाता है।

कर्नाटका के वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता और कर्नाटका जनशक्ति के ऑनरेरी प्रेसिडेंट कॉमरेड ने विस्तार से बताया कि 4 श्रम संहिताएं क्यों मज़दूर विरोधी हैं, किस तरह से यह मज़दूरों के लंबे संघर्षों के दौरान हासिल अधिकारों को छीन कर बंधुआ बनाएंगे। उन्होंने सत्ताधारियों की विभाजनकारी नीतियों के ऊपर भी बात रखते हुए कहा कि जातिगत और धर्म के आधार पर देश की जकड़बंदी का इस्तेमाल करके मज़दूरों को बांटा जा रहा है।

एसडब्लूसीसी पश्चिम बंगाल के कॉमरेड अमिताव भट्टाचार्य ने सन 2016 में मासा के गठन से लेकर आज तक की विकास यात्रा की विस्तार से चर्चा की और बताया कि क्यों आज मज़दूर वर्ग पर विकट हमलों के दौर में और नई श्रम संहिताएं थोपे जाने व निजीकरण के खिलाफ एक निरंतर, जुझारू व निर्णायक लड़ाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मासा इसी लड़ाई को आगे बढ़ाने की दिशा में देशभर के विभिन्न संघर्षशील ट्रेड यूनियनों, मज़दूर संगठनों का एक साझा प्लेटफार्म बनकर उभरा है।

सोशलिस्ट वर्कर सेंटर तमिलनाडु के कॉमरेड विनायकम ने मज़दूरों पर लगातार तेज हो रहे हमलों, छिनती नौकरियों, घटती आमदनी, बेलगाम महँगाई, बेरोजगारी की चर्चा करते हुए एकजुट होने की जरूरत पर बल दिया।

न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट तमिलनाडु से कॉमरेड अमितदा ने आज के दौर में जुझारू संघर्ष की जरूरत को रेखांकित किया। न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट से सुदेश कुमार ने हिंदुत्ववादी फासीवाद के हमलों और साथ ही कॉरपोरेट पूँजी के हमले के खिलाफ व्यापक एकता बनाने पर जोर दिया।

आईएफटीयू तेलंगाना की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष एस बेंकटेश्वर राव ने मज़दूरों पर आज के दौर में हो रहे तरह-तरह के हमलों पर विस्तार से बात रखी। निजीकरण की चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार किस तरीके से देश की सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों को बेच रही है। साथ ही उन्होंने बताया कि आज के इस कठिन दौर में मासा जैसे प्लेटफार्म की जरूरत पहले से कई गुना ज्यादा बढ़ गई है।

आईएफटीयू आंध्रा से अध्यक्ष कॉमरेड मोहन ने विभिन्न क्षेत्रों के मज़दूरों को एक प्लेटफ़ॉर्म पर लाने की ज़रूरत बताई। साथ ही मज़दूर-मेहनतकश को बांटने के खिलाफ भी संघर्ष तेज करने को रेखांकित किया।

जन संघर्ष मंच हरियाणा से कॉमरेड रघुवीर ने मज़दूर आंदोलन को तोड़ने वाली शक्तियों से मज़दूर आंदोलन को मुक्त करके मज़दूर वर्ग के वास्तविक लड़ाई में बदलने का आह्वान किया।

कन्वेंशन को मज़दूर सहायता समिति से कॉमरेड विशाल, मज़दूर सहयोग केंद्र से कॉमरेड अमित, ग्रामीण मज़दूर यूनियन बिहार से कॉमरेड संतोष आदि ने भी संबोधित किया।

कन्वेंशन में पैदा ऊर्जा से 13 नवंबर,2022 को दिल्ली में एकजुट प्रदर्शन का आह्वान किया गया।

इस कन्वेंशन में विभिन्न क्षेत्र के मजदूरों ने विशेष रुप से कोयला क्षेत्र की यूनियन, लोडिंग अनलोडिंग यूनियन, सफाई कर्मचारी यूनियन, टाइल्स वर्कर्स यूनियन आदि के साथ बड़ी संख्या में मज़दूरों ने भागीदारी की।

कन्वेंशन का संचालन आईएफटीयू, कर्नाटका श्रमिक शक्ति, एसडब्ल्यूसी तमिलनाडु के प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से किया।

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