अपनी छोटी सी कमाई को कैसे बड़ा करें, कहां निवेश करना होगा सही?

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महीने की पहली तारीख को हर मज़दूर सोचता है किस तरह से अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा बचाया जाये। मगर कम सैलरी होने के कारण थोड़ा से पैसा बचाना भी बहुत मुश्किल लगता है।

हर कामगार यह चाहता है कि वह अपनी आमदनी से परिवार की मूलभूत सुविधाओं को पूरा कर सके और उसका एक छोटा सा हिस्सा बचत के लिए रखे।

हम सभी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि आज का थोड़ा-थोड़ा निवेश आपका कल बेहतर बना सकता है। हर वर्ग का मज़दूर अपनी आय को बढ़ाने के लिए जीतोड़ मेहनत करता है, लेकिन महीने भर में जो पैसे हाथ में आते हैं वो बेहद कम ही होते हैं।

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तो हम आपको कुछ तरीके बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप कम सैलरी में भी अच्छी बचत कर सकते हैं। बस बशर्ते आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में…

महीने का बजट बनाना जरूरी

सबसे पहले जरूरी है कि आप अपने महीने भर का बजट बना लें। आपके लिए कौन सी चीज जरूरी है और कौन सी नहीं, ये तय करें और उस हिसाब से अपने महीने का बजट तैयार करें।

जो जरूरी हो उन्हीं चीजों को अपने बजट में शामिल करें। वहीं, सामान खरीदें जो आपके काम का हो, फिजूल खरीदारी से बचें।

कहां-कहां किया जा सकता है निवेश

अगर आप कम सैलरी में भी बचत करना चाहते हैं, तो आपको अपनी सैलरी में से कुछ न कुछ निवेश जरूर करना चाहिए। आप LIC, बैंक में एफडी या किसी अन्य तरीके से भी सेविंग कर सकते हैं।

याद रखें कि निवेश शुरू करने के लिए बहुत बड़ी धन राशि कि ज़रूरत नहीं होती है, जरुरी यह है कि आप अपने सैलरी में से हर महीने कितना पैसा बचा पाते हैं।

कहीं भी किसी भी रूप में निवेश करना जरुरी है। अगर आप इस इंतज़ार में बैठे रहेंगे कि जब ज़्यादा बचत होगी तब निवेश करेंगे, तो ऐसा कर पाना आज के दौर में मुश्किल है।

सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF)

लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले लोगों के लिए यह स्कीम बहुत ही बेहतरीन ऑप्शन है। इसमें भी आपको टैक्स छूट मिलती है। इस स्कीम में आप अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए भी निवेश कर सकते हैं।

इस स्कीम में निवेश के लिए न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये (वार्षिक) के साथ PPF खाता खोला जा सकता है। इसकी मैच्योरिटी अवधि 15 साल है।

PPF पर दी जाने वाली ब्याज दर 7.1 फीसदी प्रति वर्ष (चक्रवृद्धि वार्षिक) है। हालांकि, यह हर तिमाही में वित्त मंत्रालय द्वारा नोटिफाई किया जाता है। इसलिए ब्याज दर में बदलाव हो सकता है।

सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)

जैसा कि इसके नाम का तात्पर्य है, यह डाकघर योजना ऐसे लोगों के लिए डिजाइन की गई है, जो अपनी बेटी के भविष्य के लिए पैसे बचाना चाहते हैं।

अभिभावक दस वर्ष से कम आयु की अपनी बालिका की ओर से सुकन्या समृद्धि योजना खाते खोल सकते हैं। यह योजना 7.6 फीसदी प्रति वर्ष की ब्याज दर की पेशकश कर रही है।

इसे न्यूनतम जमा राशि 250 रुपये और अधिकतम 1,50,000 रुपये जमा के साथ खोला जा सकता है। खाता खोलने के बाद अधिकतम 15 वर्षों के लिए जमा किया जा सकता है। इस स्कीम से आप टैक्स कटौती से बच सकते हैं।

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS)

जब वृद्धावस्था में पैसे बचाने की बात आती है, तो NPS और PMVVY के बीच यह छोटी बचत योजना एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है।

यह ऐसे वरिष्ठ नागरिक, सेवानिवृत्त सिविल कर्मचारियों के लिए है, जो 55 वर्ष से अधिक लेकिन 60 वर्ष से कम आयु के हैं और सेवानिवृत्त सैन्य कर्मी जो 50 वर्ष से अधिक, लेकिन 60 वर्ष से कम आयु के हैं, वह SCSS खाता खोल सकते हैं।

योग्य निवेशक वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) में लमसम राशि जमा कर सकते हैं। इसमें न्यूनतम जमा राशि 1,000 रुपये और अधिकतम 15 लाख या रिटायर्मेंट पर प्राप्त राशि जमा कर सकते हैं।

खाता खोलने की तारीख से 5 साल के बाद एक वरिष्ठ नागरिक बचत योजना मैच्योर हो जाती है।

हालांकि, खाता धारक के पास मैच्योर होने के बाद खाते को अतिरिक्त 3 साल तक बढ़ाने का विकल्प होता है। 7.4 फीसदी  प्रति वर्ष की दर से ब्याज देने के कारण एससीएसएस सबसे फायदेमंद निवेश विकल्पों में से है।

विशेष रूप से एफडी और बचत खाते जैसे पारंपरिक निवेश विकल्पों की तुलना में यह बेस्ट है।

8 सालों की तुलना में महंगाई दर सबसे ऊपर

गौरतलब है कि भारत में इस साल महंगाई दर आठ साल के सबसे ऊंचे स्तर पर चल रही है।

पिछले साल अप्रैल 2021 में महंगाई दर 4.23 फीसदी थी। इस बार महंगाई दर के इतना ऊपर जाने का सब से बड़ा कारण खाने पीने की चीजों के बढ़े हुए दाम हैं। उनमें 8.38 फीसदी महंगाई दर दर्ज की गई है, जब की एक महीना पहले यह दर 7.68 फीसदी थी।

लगभग हर चीज के दाम में उछाल आया है। खाने के तेल के दाम एक महीने में 17.28 फीसदी बढ़ गए, सब्जियों के दाम 15.41 फीसदी, मसालों के दाम 10.56 फीसदी और मांस-मछली के दाम 6.97 फीसदी बढ़ गए हैं।

इन परिस्तिथियों में सैलरी का थोड़ा सा भी हिस्सा बचा पाना मज़दूर व मध्य वर्गी परिवार के लिए काफी मुश्किल साबित होता है।

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