कर्नाटक सरकार क्यूँ तैयार कर रही है गिग वर्करों के लिए नए नियम?

delivery boys under a tree shade in a traffic jam

हमारे देश में अगर हाल में सबसे तेजी से बढ़ने वाला कोई क्षेत्र है, तो वह है गिग और प्लेटफॉर्म वर्करों का क्षेत्र जैसे कि डिलीवरी बॉय्ज़ और बाइक या टैक्सी ड्राइवर का श्रम बाजार।

तपती दुपहरी हो या आधी रात के बाद का सन्नाटा, सड़कों पर यह गिग वर्कर हमेशा मौजूद रहते हैं लेकिन अभी तक इनको मजदूर का दर्जा या श्रम कानूनों के तहत संरक्षण नहीं मिलता है।

सरकार की पॉलिसी थिंक टैंक, नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक गिग वर्करों की संख्या दोगुनी हो कर ढाई करोड़ तक पहुँच सकती है जो कि कुल श्रम बाजार का 4 फीसदी हिस्सा होगा।

चूंकि नए लेबर कोड में गिग वर्करों के लिए प्रावधान बनाए जाने की योजना है, जिसके तहत कर्नाटक राज्य सरकार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के कल्याण के लिए नए नियम तैयार कर रही है।

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थिंक टैंक Ola Mobility Institute और नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी सहित हितधारकों की सलाह से राज्य का श्रम विभाग एक महीने के समय में कोड के तैयार होने की उम्मीद कर रहा है।

हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा नए श्रम कानूनों के लागू होने की तारीख को सूचित करने के बाद इसे लागू किया जाएगा।

Economic Times की खबर के मुताबिक इसी तरह कई दूसरे राज्य सामाजिक सुरक्षा संहिता (COSS) के अध्याय IX के तहत गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए अपनी कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार कर सकते हैं।

अडिश्नल लेबर कमिशनर जी मंजूनाथ ने कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों के पास COSS ढांचे के भीतर नियम बनाने की शक्तियां हैं क्योंकि श्रम संविधान की समवर्ती सूची में है।

लेबर डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने कहा कि कम से कम 24 राज्यों ने COSS के तहत नियमों का मसौदा तैयार किया है क्योंकि कोड में राज्यों के संबंध में गिग और प्लेटफॉर्म के लिए कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए उन्हें असंगठित मजदूरों को कवर करने वाली कल्याणकारी योजनाओं में शामिल किया जा रहा है।

COSS में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के कई संदर्भ हैं लेकिन केवल केंद्रीय योजनाओं के संबंध में।

उदाहरण के लिए, धारा 114 (1) और 109 (1) के लिए केंद्र को गिग और प्लेटफॉर्म वर्करों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को अधिसूचित करने की आवश्यकता है, जबकि धारा 109 (2) में राज्य सरकारों को असंगठित मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने की आवश्यकता है।

केंद्र धारा 109(1) और 114(1) के तहत जीवन और विकलांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा, शिक्षा, शिशु गृह और अन्य लाभों जैसे क्षेत्रों को कवर करते हुए कल्याणकारी योजनाएं तैयार करता है।

जबकि राज्य संहिता की धारा 109(2) के तहत भविष्य निधि, रोजगार चोट लाभ, आवास, बच्चों के लिए शैक्षिक योजना, मजदूरों के लिए कौशल उन्नयन और वृद्धाश्रम से संबंधित कानून आते हैं।

कर्नाटक ने गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए कानून बनाने के लिए हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत शुरू की थी, लेकिन जब केंद्र ने एक नया श्रम कानून पेश करने का फैसला किया तो इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

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