
भावी पीढ़ियों के नाम- बर्तोल्त ब्रेख्त की कविता
सचमुच कितना अन्धेरा समय है जिसमें जी रहा हूं मैं! निष्कपटता अब एक अर्थहीन शब्द भर है। एक सौम्य माथा परिचायक है हृदय की कठोरता का। वह जो हंस पा …
भावी पीढ़ियों के नाम- बर्तोल्त ब्रेख्त की कविता पूरा पढ़ेंWorkers Unity Website
सचमुच कितना अन्धेरा समय है जिसमें जी रहा हूं मैं! निष्कपटता अब एक अर्थहीन शब्द भर है। एक सौम्य माथा परिचायक है हृदय की कठोरता का। वह जो हंस पा …
भावी पीढ़ियों के नाम- बर्तोल्त ब्रेख्त की कविता पूरा पढ़ें(रोके दाल्तोन का जन्म 1935 में एल-सल्वादोर में हुआ था। वे ग्वाटेमाला, मेक्सिको, चेकोस्लोवाकिया और क्यूबा में कई वर्षों तक राजनीतिक निर्वासन में रहे। अपने देश में उन्हें कई बार …
“मत पुकारना कभी मेरा नाम जब तुम जान जाओ कि मेरी मृत्यु हो चुकी!” – एल-सल्वादोर के विद्रोही कवि रोके दाल्तोन की 6 कविताएं पूरा पढ़ेंयुगांडा के प्रमुख कवि सोलोमन ओचो-ओबुरु की 10 छोटी कविताएं। (1) जब आप सो रहे हों जब आप सो रहे हों एक आंख ज़रूर जगी होनी चाहिये क्योंकि जब ख़तरा …
जब आप सो रहे हों एक आंख ज़रूर खुली रहनी चाहिए – ओचो ओबुरु की 10 कविताएं पूरा पढ़ेंअरबी-अमरीकी कवि हयान चरारा की परवरिश मिशिगन डेट्रायट में हुई है। उनका परिवार लेबनान से आकर अमरीका में बसा था। उनकी शिक्षा दीक्षा न्यूयार्क यूनिवर्सिटी में हुई है। वेन स्टेट …
“मैं हूं एक अमरीकी, मैं एपल पाई खाता हूं, मैं बेसबॉल देखता हूं” – हयान चरारा की कविता पूरा पढ़ें(युवा कवि ख़ालिद ए. ख़ान की ये कविताएं बग़ावती तेवर लिए हुए होती हैं। कला के लिए कला या कविता के लिए कविता चाहे अपनी जगह सही हो, लेकिन अगर …
भूख से बड़ा बागी कुछ नहीं होता इस दुनिया में!- ख़ालिद ख़ान की कविताएं पूरा पढ़ेंइस बरस में लोग अपने घर की छत देखते हैं उम्र की घड़ियाँ ठहरती नहीं हैं लेकिन कुछ पल लोग अपने बीते दिनों की याद में बिताते हैं अपने बच्चों …
पचपन बरस की मज़दूरी पेट में नहीं सीने में दुखती है पूरा पढ़ें