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भावी पीढ़ियों के नाम- बर्तोल्त ब्रेख्त की कविता

सचमुच कितना अन्धेरा समय है जिसमें जी रहा हूं मैं! निष्कपटता अब एक अर्थहीन शब्द भर है। एक सौम्य माथा परिचायक है हृदय की कठोरता का। वह जो हंस पा …

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Punjab Farmer

जब आप सो रहे हों एक आंख ज़रूर खुली रहनी चाहिए – ओचो ओबुरु की 10 कविताएं

युगांडा के प्रमुख कवि सोलोमन ओचो-ओबुरु की 10 छोटी कविताएं। (1) जब आप सो रहे हों जब आप सो रहे हों एक आंख ज़रूर जगी होनी चाहिये क्योंकि जब ख़तरा …

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hayan charara

“मैं हूं एक अमरीकी, मैं एपल पाई खाता हूं, मैं बेसबॉल देखता हूं” – हयान चरारा की कविता

अरबी-अमरीकी कवि हयान चरारा की परवरिश मिशिगन डेट्रायट में हुई है। उनका परिवार लेबनान से आकर अमरीका में बसा था। उनकी शिक्षा दीक्षा न्यूयार्क यूनिवर्सिटी में हुई है। वेन स्टेट …

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workers resting at a shelter in Bhopal

भूख से बड़ा बागी कुछ नहीं होता इस दुनिया में!- ख़ालिद ख़ान की कविताएं

(युवा कवि ख़ालिद ए. ख़ान की ये कविताएं बग़ावती तेवर लिए हुए होती हैं। कला के लिए कला या कविता के लिए कविता चाहे अपनी जगह सही हो, लेकिन अगर …

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truck driver

पचपन बरस की मज़दूरी पेट में नहीं सीने में दुखती है

इस बरस में लोग अपने घर की छत देखते हैं उम्र की घड़ियाँ ठहरती नहीं हैं लेकिन कुछ पल लोग अपने बीते दिनों की याद में बिताते हैं अपने बच्चों …

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