मिसाइल टैंक बनाने वाले 82 हज़ार कर्मचारी 12 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

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रक्षा उत्पादन बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की 41 इकाईयों की फ़ेडरेशनों ने मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ 12 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फ़ेडरेशनों का कहना है कि कोरोना के हालात देखते हुए और नोटिस पीरियड के चलते नोटिस और हड़ताल के बीच नौ हफ़्ते का गैप रखा गया है।

आम तौर पर नोटिस पीरियड छह हफ़्ते का होता है।

रक्षा क्षेत्र के कर्मचारी ऑर्डनेंस फ़ैक्ट्रीज़ बोर्ड (ओएफ़बी) का निगमीकरण किए जाने का विरोध कर रहे हैं।

सभी इकाईयां 4 अगस्त को हड़ताल का नोटिस सरकार को भेजेंगी।

बीते मंगलार को रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन मामलों के विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी।

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सरकार से बातचीत विफल

इस मीटिंग में ऑल इंडिया डिफ़ेंस इम्प्लाईज़ फ़ेडरेशन (एआईडीईएफ़), भारतीय प्रतिरक्षा मज़दूर संघ और इंटक से संबद्ध इंडियन नेशनल डिफ़ेंस वर्कर्स फ़ेडरेशन (आईएनडीडब्लूयएफ़) के यूनियन नेता शामिल हुए थे।

इस मीटिंग में कानफ़ेडरेशन ऑफ़ डिफ़ेंस रिकग्नाइज़्ड एसोसिएशन (सीडीआरए) के नेता भी शामिल थे। कर्मचारियों के अलावा सीडीआरए आर्डनेंस फ़ैक्ट्रियों का एक संघ है।

इस मीटिंग के बाद इन ट्रेड यूनियन नेताओं की एक बैठक बुधवार को हुई और गुरुवार को फैसले की घोषणा की गई।

चारों फ़ेडरेशनों की ओर जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि डिफ़ेंस प्रोडक्शन विभाग के सचिव के साथ बातचीत से ये साफ़ हो गया है कि सरकार निगमीकरण करने पर अमादा है। इसलिए सर्वसम्मति से अनिश्चितकालीन हड़ताल का फैसला लिया गया।

सेक्रेटरी को बता दिया गया है कि अगर 31 जुलाई तक सरकार की ओर से कोई बातचीत नहीं की जाती है तो चार अगस्त को हड़ताल की नोटिस भेज दी जाएगी।

इन 41 फ़ैक्ट्रियों में कुल 82,000 कर्मचारी काम करते हैं।

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कोयला क्षेत्र की यूनियनों की हड़ताल को समर्थन

आत्मनिर्भर भारत पहलकदमी के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 16 मई को ओएफ़बी के निगमीकरण की घोषणा की थी।

संयुक्त बयान में ये भी कहा गया है कि कोयला क्षेत्र की यूनियनों और फ़ेडरेशनों ने 18 अगस्त को एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल की अपील की है। रक्षा क्षेत्र की ट्रेड यूनियनें इसका समर्थन करेंगी और स्थानीय स्तर पर विरोध दर्ज कराएंगी।

कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के हवाले करने का कोयला खनिकों की ट्रेड यूनियनें विरोध कर रही हैं।

अगस्त में ही बैंकों की यूनियनों ने भी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।

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