दो वक्त के निवाले को जूझ रहे होटल मजदूर, बरेली में दो महीने की तनख्वाह बगैर 5000 से ज्यादा की नौकरी खत्म

By आशीष सक्सेना

जिन्होंने ने मेहमानों की आवभगत कर खाने का इंतजाम करने में मेहनत की, आज वे भी दो वक्त के निवाले को जूझ रहे हैं। पूर्वी व पश्चिमी उत्तरप्रदेश के साथ ही उत्तराखंड का आंगन कहे जाने वाले बरेली शहर में होटल कर्मचारियों को रोटी के लाले पड़ गए हैं। शहर के नामचीन होटल ओबेरॉय आनंद के कर्मचारियों ने आज उपश्रमायुक्त को ज्ञापन देकर इंसाफ की गुहार लगाई।

बरेली होटल एंड रेस्टोरेंट इम्लाइज यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने डीएलसी को ज्ञापन देकर बताया कि लॉकडाउन ने उनको सडक़ पर ला दिया। होटल प्रबंधन ने तीस मजदूरों को इस विश्वव्यापी महामारी के दौर में नौकरी से निकाल दिया।

सीटू से संबद्ध यूनियन के मंत्री व होटल ओबेरॉय के कर्मचारी अतुल शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन से पहले लगभग 70 कर्मचारी थे, जिनमें से चार को रिटायरमेंट दे दिया गया और तीस को निकाल दिया। कर्मचारियों को अप्रैल महीने की आधी तनख्वाह दी गई, जबकि मई महीने में फूटी कौड़ी भी नहीं मिली।

आधिकांश होटलों-रेस्टोरेंट में तो मार्च के बाद किसी को वेतन ही नहीं दिया गया है। बरेली शहर में 200 से ज्यादा होटल हैं, जिनमें 10 हजार से ज्यादा लोग काम करते रहे हैं। लॉकडाउन लगने के बाद तनख्वाह न मिलने से किराए पर रहने वाले गांवों को चले गए, जिनमें उत्तराखंड के भी काफी लोग थे।

सभी होटलों ने आधे से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाल दिया है और वेतन देने से इनकार कर रहे हैं। फिलहाल जिन होटलों में स्थायी कर्मचारी हैं, वे ही बचे हैं। उनको भी आधी तनख्वाह की शर्त पर रखा गया है। ऐसे में रोजमर्रा की जरूरत पूरी करने को निकाले गए या तनख्वाह बगैर गुजारा चलाने को सभी हाथ-पांव मार रहे हैं।

कोई ठेला लगाकर या साइकिल पर सब्जी-फल बेचने की कोशिश कर रहा है तो कोई आसपास की किसी फैक्ट्री में काम करने को दौड़ रहा है। बाल-बच्चों वालों के सामने तो बहुत ही समस्या आ गई है, किराया और बिजली का बिल कहां से दें।

होटलों के प्रबंधन का हाल ये है कि कर्मचारियों की संख्या की सही जानकारी उनके अलावा किसी पर नहीं है, श्रम विभाग तक पर नहीं। यूनियन के लोगों को भी ये जानकारी नहीं लेने दी जाती, उन्हें अंदर तक नहीं आने दिया जाता। कर्मचारी भी इस डर से नहीं मिल पाते कि कहीं इतनी सी बात पर नौकरी से न निकाल दिया जाए।

अतुल शर्मा बताते हैं, होटल ओबेरॉय को प्रशासन ने कोरंटीन सेंटर भी बनाया था। कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले जिला अस्पताल के स्टाफ के अलावा भी काफी लोगों को यहां ठहराया गया।

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