मारुति यूनियन के पूर्व मुख्य पदाधिकारियों समेत 3 नेताओं राममेहर, सर्वजीत और प्रदीप को ज़मानत

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बीते क़रीब 10 साल से जेल में बंद मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन मानेसर के पूर्व प्रधान राममेहर, पूर्व सेक्रेटरी सर्वजीत और प्रदीप गुज्जर को सोमवार को ज़मानत मिलने से मारुति मज़दूरों में खुशी की लहर है।

आजीवन कारावास भुगत रहे 13 मज़दूर नेताओं में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से अबतक सात को ज़मानत मिल चुकी है और चार मज़दूर नेता अभी भी जेल में हैं, जिनके जल्द रिहा होने की उम्मीद बढ़ गई है।

उल्लेखनीय है कि दो मज़दूर नेताओं पवन दहिया और जिया लाल की बीते साल असामयिक मौत हो चुकी है।

अपने अगुवा नेताओं के रिहा होने के मौके पर मज़दूर नेताओं और यूनियन के सदस्यों में भावुक माहौल था। इन नेताओं के जेल जाने के बाद बनी प्राविज़नल कमेटी के अगुवा नेताओं में से एक रामनिवास ने फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट लिखते हुए इसे मारुति मज़दूर आंदोलन में एक ऐतिहासिक दिन कहा।

रामनिवास ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा है, “18 जुलाई 2012 के तुरन्त बाद ही यूनियन नेतृत्व के साथ 148 मजदूरों को जेल में डाल दिया गया था। पुलिसिया दमन के खिलाफ संघर्ष करो जारी रखने के लिए प्रोविजनल कमेटी का गठन किया गया जिसकी अगुवाई में संपूर्ण आंदोलन चला जिसमें मैं भी एक हूं।”

वो आगे लिखते हैं, “बिना समझ के ही, हमने यह ठान लिया था कि जब तक हमारे साथी जेल से बाहर नहीं आते तब तक हम मैदान में डटे रहेंगे । हमें यह अहसास नहीं था कि यह लड़ाई इतनी लंबी चल सकती है । जब गुड़गांव कोर्ट के एक अधिवक्ता ने बताया कि 6 महीने से पहले इन साथियों की जमानत नहीं होगी तब उन पर गुस्सा भी आया और कहा कि कैसा हो सकता है? क्योंकि हमने बड़े बड़े आंदोलन कुछ दिनों में महीनों में जीते थे तो 6 महीने हमारे लिए बहुत लंबा समय था लेकिन धीरे-धीरे जिस तरीके से लड़ाई आगे बढ़ती गई दिन महीनों में, महीने साल में और साल सालों में बदलते गए। देखते ही देखते 10 साल गुजर गए।”

उन्होंने लिखा है, “साढे 3 साल तक किसी को भी जमानत नहीं मिली। फिर धीरे-धीरे जमानत मिलना शुरू हुई और सेशन कोर्ट गुड़गांव द्वारा चल रहे केस पर अपना अंतिम निर्णय 10 मार्च 2017 को सुनाया गया जिसमें 117 श्रमिकों को बाइज्जत बरी करार दिया गया, 31 को सजा सुनाई गई जिनमें 5 मजदूरों को 5 साल की सजा, जियालाल व यूनियन नेतृत्व सहित 13 श्रमिकों को आजीवन कारावास की सजा व अन्य को जितनी सजा वो काट चुके थे उसी में रिहा किया गया।”

इस लंबी लड़ाई में अगुआ मज़दूर नेताओं के सामने आने वाली मुश्किलों के बारे में रामनिवास ने लिखा है, “प्रोविजनल कमेटी के साथी भी अपने निजी जीवन की समस्याओं के चलते घर चले गए और आर्थिक परिस्थितियों के आगे संघर्ष छोड़ना पड़ा। लेकिन खुद से ही किया गया है वादा कि जब तक हमारे सभी साथी नहीं आते हैं तब तक हम मैदान छोड़कर नहीं जाएंगे। मुझे आज भी याद है और संघर्ष के मैदान में डटे हुए हैं।”

वो लिखते हैं, “2021 में 2 मज़दूर नेता जियालाल और पवन दहिया हमारे बीच नहीं रहे। रामबिलास, सुरेश, संदीप और योगेश को पहले ही हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। 21 फरवरी को राममेहर (प्रधान), सर्वजीत (सेक्रेट्री) और प्रदीप की ज़मानत याचिका पर सुनवाई थी। कुछ दिन से ही घबराहट हो रही थी और मन में हलचल थी कि क्या होगा? सबसे ज्यादा चैलेंज इस बार था, क्योंकि ये दोनों मुख्य पदाधिकारी थे और प्रशासन व प्रबन्धन की नज़र लगी हुई थी। लेकिन तीनों साथियों की जमानत पर अपार खुशी है और खुद पर गर्व भी। आज भी जो साथी किसी न किसी तरीके से मारुति आंदोलन से जुड़े रहे हैं, हम सभी को बधाई देते हैं। लाल सलाम!”

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