बीजेपी विधायक सासंद या तो किसानों को समर्थन करें या होगा सामाजिक बहिष्कारः किसान मोर्चा

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संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा है कि बीजेपी विधायक, सांंसद किसान आंदोलन के समर्थन में आ जाएं और अपने पद को त्याग दें वरना उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।

मंगलवार को  राजस्थान के हनुमानगढ़ में जिला परिषद की बैठक में सासंद निहालचंद को आना था, जहां बड़ी संख्या में किसान जमा हो गए। किसानों के जायज सवालों से डरे भाजपा सासंद बैठक स्थल आये ही नहीं।

मोर्चे ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह संदेश उन सभी आधारहीन तर्कों का जवाब भी है जो कहते हैं कि किसान आंदोलन बस एक राज्य में है। उधर भाजपा नेता विजय सांपला का भी पंजाब के फगवाड़ा में घेराव व विरोध किया गया।

जब से केंद्र सरकार द्वारा किसान विरोधी तीन कानून पेश किए गए हैं, किसान इनके खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। किसानों ने इन कानूनों की हिमायत या समर्थन करने वाले नेताओं व दलों का विरोध प्रदर्शन भी किया। सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने भाजपा व इसके सहयोगी दलों व नेताओ का सामाजिक बहिष्कार भी किया हुआ है।

राजनैतिक नैतिकता के विचार को ध्यान में रखते हुए किसानों ने भाजपा व सहयोगी दलों के कई नेताओं को मजबूर किया है कि वे अपनी स्थिति बदलें व पार्टी छोड़कर किसानों का समर्थन करें। देश के कई हिस्सों में भाजपा व अन्य दलों के नेताओ ने किसान विरोधी कानूनो के खिलाफ चल रहे संघर्ष को समर्थन देते हुए अपना पद छोड़ा है।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने भाजपा व सहयोगी दलों के सांसदों, विधायकों व अन्य नेताओं से अपील की है कि किसानों के संघर्ष का समर्थन करते हुए अपने पद व स्थिति को छोड़ें। भाजपा में रहते हुए भी कई नेताओं ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है , वहीं कई नेता सरकारी एजेंसियों के डर से किसानों के समर्थन में लगाये जाने से भयभीत हैं। मोर्चे ने अपने बयान में कहा है कि किसान आन्दोलन के समर्थकों को सरकार द्वारा नोटिस भेजे गए हैं।

बयान के अनुसार, किसानों का यह आंदोलन सहमति या असहमति से कहीं अधिक मानव अधिकारों और किसानों के प्रति संवेदनशील का मुद्दा है। इसे किसी घमंड की लड़ाई की बजाए सामाजिक मुद्दा समझा जाए। भाजपा के नेताओं की हम अपील करते है कि किसानों के प्रति एक सवेंदनशील रवैया रखते हुए अपने पदों से इस्तीफा दे व किसानों के संघर्ष को मजबूत करें।

सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पांच अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया गया। देर रात तक आयी सूचनाओं में हुसैनगंज, पटना, नालंदा, दरभंगा, हाजीपुर भोजपुर जालौन-उरई, पटना, नालंदा, मुजफ्फरपुर, उदयपुर, सीकर, झुंझुनूं, सतना, हैदराबाद, दरभंगा, आगरा, रेवाड़ी, पलवल  और नोएडा में भी किसानों के प्रदर्शन की खबरें हैं।

मिट्टी सत्याग्रह यात्रा दिल्ली पहुंची

131 दिन से दिल्ली में चल रहे अनिश्चितकालीन किसान आंदोलन के समर्थन में देश भर में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा निकाली गई, यात्रा के माध्यम से 3 किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने, सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल और और केंद्र सरकार की किसान – मजदूर विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ जागरूकता पैदा की गई।

मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 30 मार्च को दांडी (गुजरात) से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची थी। यात्रा के दौरान तथा देश भर से 23 राज्यों की 1500 गांव की मिट्टी लेकर किसान संगठनों के साथी दिल्ली पहुंच चुके हैं।

शहीद भगत सिंह के गांव खटखट कलां, शहीद सुखदेव के गांव नौघरा जिला लुधियाना, उधमसिंह के गांव सुनाम जिला संगरूर, शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाभरा, झाबुआ, मामा बालेश्वर दयाल की समाधि बामनिया, साबरमती आश्रम, सरदार पटेल के निवास, बारदोली किसान आंदोलन स्थल, असम में शिवसागर, पश्चिम बंगाल में सिंगूर और नंदीग्राम, उत्तर दीनाजपुर, कर्नाटक के वसव कल्याण एवम बेलारी, गुजरात के 33 जिलों की मंडियों, 800 गांव, महाराष्ट्र के 150 गांव, राजस्थान के 200 गांव, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के 150 गांव,उत्तर प्रदेश के 75 गांव ,बिहार के 30 गांव, हरियाणा के 60 गांव, पंजाब के 78 गांव , उड़ीसा के नवरंगपुर जिले के ग्राम पापडाहांडी की मिट्टी जहां 1942 में अंग्रेजों ने 19 सत्याग्रहियों की हत्या की थी।

संबलपुर के शहीद वीर सुरेंद्र साय, लोअर सुकटेल बांध विरोधी आंदोलन के गांव एवम ओडिसा के अन्य 20 जिलों के 20 गांव की मिट्टी , छत्तीसगढ़ के बस्तर के भूमकाल आंदोलन के नेता शहीद गुंडाधुर ग्राम नेतानार ,दल्ली राजहरा के शहीद शंकर गुहा नियोगी सहित 12 शहीदों के स्मारक स्थल और धमतरी जिला के नहर सत्याग्रह की धरती कंडेल से मिट्टी, मुलताई जहां 24 किसानों की गोलीचालन में शहादत हुई, मंदसौर में 6 किसानों की शहादत स्थल की मिट्टी , ग्वालियर में वीरांगना लक्ष्मीबाई के शहादत स्थल, छतरपुर के चरणपादुका जहां गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय 21 आंदोलनकारी शहीद हुए उन शहीदों की भूमि की मिट्टी सहित मध्यप्रदेश के 25 जिलों के 50 ग्रामों की मिट्टी लेकर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची।

दिल्ली के नागरिक 20 स्थानों की मिट्टी के साथ बॉर्डर पर पहुंचेंगे। कई राज्यों से मिट्टी सत्याग्रह यात्राएं भी बोर्डरों पर पहुंची और हर बॉर्डर पर शहीद किसान स्मारक बनाये गए है

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