पंतनगर वोल्टास में मज़दूर कंपनी के अंदर धरने पर बैठे, समर्थन में आया श्रमिक संयुक्त मोर्चा

voltas sidkul

उत्तरखंड के पंतनगर स्थित सिडकुल में वोल्टास लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के श्रमिकों ने मंगलवार से हड़ताल शुरू कर दी है। मज़दूर काम बंद करके कंपनी के भीतर बैठे हैं।

जबकि अवैध गेटबन्दी के शिकार मज़दूर कम्पनी के बाहर धरनारत हैं। उधर श्रमिक संयुक्त मोर्चा ने वोल्टास गेट पर बैठक कर श्रमिक हित में आंदोलन तेज करने का आह्वान किया।

ज्ञात हो कि 2 अप्रैल से मज़दूरों की हड़ताल शुरू होनी थी लेकिन कंपनी के एचआर प्रबंधक की श्रमिक संयुक्त मोर्चा अध्यक्ष से बातचीत के बाद हड़ताल को 3 दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था और कंपनी के भीतर टूल डाउन आंदोलन शुरू हुआ था। लेकिन प्रबंधन की हठधर्मिता कायम रहने के कारण अंततः समस्त मज़दूर वैधानिक हड़ताल पर जाने को मजबूर हुए।

संघर्षरत वोल्टास मज़दूरों के धरना स्थल कंपनी गेट पर श्रमिक संयुक्त मोर्चा ने अहम बैठक करके वोल्टास मज़दूरों के साथ अपनी संग्रामी एकजुटता दिखलाई। सिड़कुल की विभिन्न यूनियनों के साथ मोर्चा अध्यक्ष दिनेश तिवारी व महासचिव चंद्र मोहन लखैड़ा ने कहा कि सिड़कुल में मज़दूरों का शोषण ज्यादा तेज हो गया है। श्रमिक समस्याओं के लिए गठित प्रशासनिक कमेटी आपने वायदे से मुकर चुकी है और मालिक बेखौफ हैं।

बैठक में यह बात उभर कर आई कि भगवती-माइक्रोमैक्स के मज़दूर छँटनी का वाद कोर्ट से जीत चुके हैं लेकिन कार्यबहाली नहीं हो रही है। गुजरात अंबुजा के प्रबंधन पर पीएफ घोटाले का मुकदमा दर्ज होने के बावजूद गिरफ़्तारी नहीं हो रही है। जबकि इंटरार्क मज़दूरों पर फर्जी मुक़दमें कायम हैं। कई कंपनियों के माँगपत्र बेवजह लटके हैं और कोरोना की मार मज़दूरों पर पड़ रही है।

मोर्चा अध्यक्ष दिनेश तिवारी व कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह ने सभा को संबोधित किया। कहा कि जल्द ही श्रमिक समस्याओं का हल नहीं निकलता है तो इसको लेकर बड़े आंदोलन की ओर मोर्चा जाएगा। इस बीच अन्य यूनियनें भी समर्थन में पत्र जारी करेंगी।

बैठक में श्रमिक संयुक्त मोर्चा के साथ इंटरार्क, भगवती-माइक्रोमैक्स, नेस्ले, राणे मद्रास, करोलिया लाइटिंग, बजाज मोटर्स, ब्रिटानिया, वोल्टास, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र आदि संगठन के प्रतिनिधि शामिल रहे।

3 साल से 9 मज़दूर बाहर

यूनियन अध्यक्ष मनोज कुमार और महामंत्री दिनेश चंद्र पंत ने बताया कि 10 दिसंबर 2017 को नए वेतन समझौते के लिए यूनियन ने मांग पत्र दी थी। तब से प्रबंधन ने दमनकारी नीति अपनाई, स्थायीकरण की माँग की गई थी तो अस्थाई मज़दूरों को निकाल दिया। पूर्व में मिलने वाली सुविधाओं और वेतन में तरह-तरह की कटौती जारी रही। एक श्रमिक को झूठे आरोपों में फंसा कर पहले निलंबित और फिर बर्खास्त किया।

इसके बाद 25 सितंबर, 2019 को यूनियन अध्यक्ष, महामंत्री और संगठन मंत्री सहित आठ श्रमिकों की अवैध गेट बंदी की, जिसे प्रबंधन ने बाद में कथित ले ऑफ बताया। डीएलसी महोदय द्वारा उसे अवैध घोषित करने के बाद 14 फरवरी 2020 को उसने कथित काम की कमी का बहाना लेकर उक्त 8 श्रमिकों की सेवा समाप्त कर दी। ऐसे में श्रमिकों का आंदोलन लगातार जारी रहा और प्रबंधन की हठधर्मिता व दमन जारी रहा।

यूनियन ने कहा कि कंपनी के भीतर गैर कानूनी रूप से ठेका और नीम ट्रेनी श्रमिकों से उत्पादन का काम कराया जा रहा है। यूनियन के अनुरोध पर उत्तराखंड की श्रम आयुक्त महोदया ने जांच के आदेश दिए। लेकिन श्रम अधिकारियों द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। श्रम अधिकारी शुरू से ही मामले को उलझाने का प्रयास करते रहे जिससे भी श्रमिकों का उत्पीड़न अभी तक बरकरार है।

मज़दूरों ने कहा कि जब तक समस्त 9 श्रमिकों की कार्यबहाली सहित माँगपत्र व अन्य विवादों का समाधान नहीं हो जाता है, तब तक वैधानिक हड़ताल जारी रहेगा।

(मेहनतकश  से साभार)

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