लॉकडाउन में मज़दूर किसान धरने में आ जाएं, लंगर और रहने की व्यवस्था हम करेंगेः संयुक्त किसान मोर्चा

https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2021/04/tikait-chadhuni.jpg

दिल्ली में लॉकडाउन लगाए जाने से प्रवासी मज़दूरों के घर जाने का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। किसान मोर्चा के नेताओं ने प्रवासी मज़दूरों से अपील की है कि अगर उन्हें खाने रहने की कोई परेशानी होती है तो वो अपने परिवार के साथ दिल्ली बॉर्डर पर लगे धरने में आ सकते हैं, मोर्चा उनकी ज़िम्मेदारी उठाएगा।

दिल्ली के आसपास प्रवासी मजदूरों के वापस घर जाने को लगी होड़ पर सयुंक्त किसान मोर्चा ने गहरी चिंता व्यक्त की है। किसान नेताओं ने प्रवासी मजदूरों से अपील की है कि वे अपने जीवन को खतरे में न डाले व जब तक किसानों का धरना चल रहा है, तब तक प्रवासी मजदूर भी यहां शामिल हो सकते हैं। किसान व अन्य सामाजिक कल्याण के संगठन यहां पर सभी प्रवासी मजदूरों के रहने व खाने का इंतज़ाम कर रहे हैं। किसान नेताओं ने सांझा संघर्ष लड़ने की भी अपील की।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि बीते साल की तरह इस पर भी सरकार ने कोरोना का हौवा खड़ा कर लॉकडाउन और कर्फ्यू आयद करने की कोशिशें शुरू कर चुकी है। ऐसे में पहले से ही मुसीबत के शिकार मज़दूरों के भूखों मरने की नौबत आ गयी है।

उन्होंने एक बयान में कहा है कि जिन प्रवासी मज़दूरों को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल पा रही और उन्हें घर भी जाने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है, वे किसान धरने में आएं, यहां खाने, इलाज़ और रहने की पूरी व्यवस्था की जाएगी।

उधर गाज़ीपुर बॉर्डर पर लगे किसान धरने की ओर से आनंद विहार और कौशाम्बी बस स्टेशनों पर लंगर का प्रबंध किया गया है और भाकियू (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने खुद खाने की पैकेट बना कर प्रवासी मज़दूरों के लिए लंगर रवाना किए।

https://www.facebook.com/WorkersUnity18/videos/2837109049935489

राकेश टिकैत ने कहा कि जो मज़दूर अपने घरों को जाने के लिए निकले हैं और उन्हें कोई साधन नहीं मिल रहा, उनका गाज़ीपुर धरने पर स्वागत है, उनके खाने पीने और रहने की व्यवस्था किसान करेंगे।

अधिकांश मज़दूर दिल्ली से यूपी, बिहार, बंगाल उड़ीसा और झारखंड की ओर जा रहे हैं। दिल्ली में लॉकडाउन लगने के कारण उन्हें घर जाने में परेशानी हो रही है। लेकिन यूपी में लॉकडाउन नहीं है इसलिए किसी तरह लोग कौशाम्बी बस स्टेशन पर पहुंच रहे हैं और वहां बसों का इंतज़ार कर रहे हैं।

किसान मोर्चे की ओर से हुई इस पहलकदमी से  आनंद विहार और कौशाम्बी में फंसे मज़दूरों के चेहरे पर थोड़ी राहत देखी जा सकती है, क्योंकि 19 अप्रैल की रात और 20 अप्रैल को पूरे दिन और रात किसान मोर्चे ने लंगर लगाकर लोगों को खाना खिलाया।

वर्कर्स यूनिटी से बात करते हुए कई मज़दूर इस बात पर खुश थे कि जहां केजरीवाल और मोदी की सरकारें सिर्फ ज़बानी जमा खर्च कर रही हैं, किसान मोर्चा कम से कम मज़दूरों के साथ आकर खड़ा हुआ है।

इस बीच संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बयान जारी कर कहा है कि किसान संत धन्ना भगत जी की जयंती टीकरी बॉर्डर धरने पर मनाई गई। धन्ना भगत के मूल गाँव से मिट्टी लायी गयी व उनकी याद में मंगलवार को कार्यक्रम हुए। धन्ना भगत न सिर्फ किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, उन्होंने अन्य सामाजिक मुद्दों जैसे शिक्षा, दहेज प्रथा, लैंगिक समानता व अन्य मुद्दों पर जागरूकता भी फैलाई।

मोर्चे ने एक बार फिर फसल की सरकारी खरीद पर सरकारी हीलाहवाली पर निशाना साधा और कहा कि जब से गेहूं की खरीद शुरू हुई है, केंद्र सरकार द्वारा लगातार नव उदारवादी नीतियों को थोपने का प्रयास किया जा रहा है। पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के कई हिस्सों में बाजार में समय से बारदाना (बड़े बैग) नहीं पहुँच रहे हैं जिससे कई दिन तक किसान को मंडी में रहना पड़ रहा है व हतोत्साहित होकर निजी व्यापारियों को बेचना पड़ रहा है।

मोर्चा ने अरोप लगाया है कि सरकार खुद मंडी व्यवस्था को कमज़ोर कर रही है व फिर इनके खराब होने का हवाला देकर खत्म करने के दावे करती है। जबर्दस्ती सीधी अदायगी व भूमि रिकॉर्ड मांगना भी इसी दिशा में कदम है जिनका किसान डटकर विरोध करेंगे।

सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों मजदूरों का वापस दिल्ली आना प्रारंभ हो गया है। मंगलवार को टीकरी बॉर्डर पर भारी संख्या में किसान पहुंचे। सिंघु मोर्चे पर भी वे किसान पहुंचने लगे हैं जिनकी फसल की कटाई व बिकाई हो गई है।

बयान के अनुसार, कोरोना महामारी व इसके प्रभाव में लगाये जा रहे लॉकडाउन से सयुंक्त किसान मोर्चा चिंतित है। सामान्य जनतक सुविधाओं को तो नुकसान हो ही रहा है, यह लॉकडाउन किसानों के लिए भी इस समय बहुत नुकसान दायक है। इस समय फसलों की कटाई हो रही है। इस प्रक्रिया में लगे अनेक वाहन व यंत्र कभी खराब हो रहे हैं। उन वर्कशॉप व उपकरण की दुकानों तक भी किसान की पहुँच न होना निश्चित तौर पर किसान की फसल व भविष्य का नुकसान है।

‘आन्दोलनों के दौरान हुए सम्पत्ति के नुकसान की वसूली विधेयक, हरियाणा’ को रद्द करने के की मांग के साथ भारत के राष्ट्रपति के नाम किसान संगठनों द्वारा सोनीपत व अन्य जगहों पर आज 20.04.2021 को साझा ज्ञापन दिया गया और विरोध प्रदर्शन किया गया।

सयुंक्त किसान मोर्चा, एक जन अधिकार संगठन के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर रहा है जो सयुंक्त राष्ट्र में किसानों के अधिकारों की घोषणा से संबंधित है। भारत सरकार ने इन घोषणाओं पर हस्ताक्षर किए हुए है व पिछले साल लाये गए तीन कानून इन घोषणाओं की उल्लंघना करते हैं। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को इस लिंक से देखा जा सकता है- https://zoom.us/j/98695709979?pwd=Zm80OGs1SGt3M3RlcDZwb25jWVYwZz09

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.