दिल्ली में DTC की महिला ड्राईवरों और मार्शल को टॉयलट तक की सुविधा नहीं

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दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की महिला ड्राइवर्स, कंडक्टर्स और मार्शल्स को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

डीटीसी में कार्यरत महिला स्टॉफ की समस्याओं के बारे में CITU की टीम ने महिला वर्कर्स से बात कर निगम को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए मिलने का समय देने का आग्रह किया है।

CITU ने कहा है कि दिल्ली में मिशन परिवर्तन योजना में महिलाओं को रोजगार तो दिया गया, लेकिन कई मूलभूत सहूलियत का खयाल नहीं रखा है। उन्हें शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं करवाई गई है।

यूनियन ने अपने सर्वे में पाया कि दिल्ली में कुल 34 महिला ड्राईवर कार्यरत हैं।

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सार्वजनिक शौचालयों की कमी

यूनियन द्वारा जारी विज्ञप्ति से मिली जानकारी के मुताबिक, यूनियन को सर्वे के दौरान महिला ड्राईवर से बात करके पता चला कि दूर-दूर तक बस डिपो में भी महिलाओं के लिये अलग शौचालय नहीं है।

बस चलाते समय उन्हें पेट्रोल पम्प के शौचालय का उपयोग करना पड़ता है, जिसमें साफ सफाई नहीं होती है, खासकर महावारी के दिनों में सबसे ज्यादा मुश्किलें आती हैं।

यूनियन का आरोप है कि लम्बे समय तक शौचालय ना जाने से महिलाओं को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है जिस कारण उनके वाहन चलाने पर भी असर पड़ सकता है।

संगठन की मांग है कि महिलाओं के लिए अलग एवं स्वच्छ शौचालय होने चाहिए। बस डिपो एवं महिला ड्राईवर के रूट पर इन सभी शौचालयों में सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध होने चाहिए। सैनिटरी नैपकिन की सफाई के लिए डस्टबिन का प्रबंध सुनिश्चित किया जाए।

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हिंसा और यौन उत्पीड़न

यूनियन की टीम का कहना है कि डीटीसी में कार्यस्थल पर हो रहे यौन उत्पीडन संबंधित कानून का सुचारू रूप से पालन नहीं किया जा रहा है। महिला चालकों और अन्य महिला कर्मियों को कार्य करते समय कई तरह से उत्पीड़ित किया जाता है।

उनका आरोप है कि इन्टरनल शिकायत कमेटी न होने के कारण वह इस पीड़ा का सामना स्वयं ही करती रही हैं। कार्यस्थल में जहाँ पुरुषों की तुलना में महिलाकर्मियों को टारगेट कर हीन नजरों से देखा जाता है। मिशन परिवर्तन में पुरूषों की सोच में परिवर्तन के लिये इन्टरनल शिकायत कमेटी का गठन अनिवार्य है।

इसके अलावा यूनियन का कहना है कि कई बार महिला बस ड्राईवर को रोड पर भी यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है।

यूनियन मांग है कि बसों में प्रशिक्षित मार्शल की तैनाती होनी चाहिए। जिससे कि किसी भी महिलाकर्मी से बदतमीजी करने पर वह उस समय स्थिति का संभाल सके।

यूनियन ने उपरोक्त सभी समस्यायों के सम्बन्ध में दिल्ली परिवहन निगम को बीती 6 फ़रवरी को एक पत्र लिखा है, जिसमें DTC के चेयरमैन से मिलने का वक्त मांगा गया है।

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