सस्ते रूसी तेल का पैसा किसकी जेब में जा रहा है?

By गिरीश मालवीय

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत के आयात में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा केवल 0.2 प्रतिशत था। लेकिन पिछले महीने जनवरी, 2023 में यह बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है।

जी हां 28 प्रतिशत ! भारत की मोदी सरकार बेंट क्रूड की तुलना में रूस से कच्चा तेल बेहद सस्ते दामों पर खरीद रही है।

रूस युक्रेन युद्ध के शुरुआत के समय तो रूस भारत को 35 डॉलर प्रति बैरल तक की छूट दे रहा था। उस वक्त इंटरनैशनल मार्केट में कच्चे तेल (Crude oil) के दाम आसमान पर थे , सितंबर 2022 से रूस अपने तेल को ब्रेंट क्रूड के मुकाबले 20 डॉलर प्रति बैरल सस्ता बेच रहा था।

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दिसंबर में रूस ने भारत को रोजाना 11.9 लाख बैरल कच्चे तेल की सप्लाई की। जनवरी में रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात बढ़कर 12.7 लाख बैरल प्रतिदिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

यानी लगातार सस्ते दामों पर देश को कच्चा तेल मिल रहा है। इस दौरान बेंट क्रूड के दाम भी घटे हैं। लेकिन आम जनता के लिए पेट्रोल डीजल के कीमतों में कोई कटौती नहीं की गई ।

आम जनता को इस तरह से लूट कर सरकार किसकी जेब भर रही है?

(फेसबुक पोस्ट से साभार)

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