दिल्ली सरकार ने इस महीने नहीं दी डीटीसी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन

डीटीसी कर्मचारियों की एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल। (फ़ोटो साभारः AICCTU)

दिल्ली परिवहन निगम यानि डीटीसी के ठेका कर्मचारियों को वेतन न मिलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

कर्मचारियों को बीते नवंबर के महीने के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। ठेका कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रबंधन को आंदोलन की चेतावनी दी हैं।

डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के महासचिव मनोज शर्मा ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि DTC के ठेका कर्मचारियों को पिछले नवंबर के महीने के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। जिसके चलते ठेका कर्मचारियों को जीवन यापन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

वतर्मान में DTC ने लगभग 16000 ठेका कर्मचारी काम करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर जल्द से जल्द वेतन नहीं दिया जाता है, तो फिर ठेका कर्मचारियों को बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ेगा।

इसको लेकर कई बार यूनियन के पदाधिकारी आला अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

यूनियन के सदस्यों का कहना है कि वेतन न मिले के संबंधन में यूनियन ने DTC प्रबंधन को बीती 8 दिसम्बर को मांगों का एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसको लेकर प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आईं है।

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ठेका कर्मचारियों का मांग पत्र

डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन ने अपने मांग पत्र में लिखा है कि यूनियन दिल्ली परिवहन विभाग का ध्यान इस और दिलाना चाहती है कि डीटीसी में अभी तक किसी भी कर्मचारी को तनख्वाह नहीं मिली है और यूनियन को कर्मचारियों द्वारा बार बार इस मामले में संज्ञान लेने को कहा जा रहा है।

“एक तरफ सरकार दिल्ली में महिलाओं को फ्री यात्रा करवा रही है। यूनियन को इस से कोई दिक्कत नहीं है पर कर्मचारियों की तनख्वाह समय पर दी आए, दूसरी तरफ जो कर्मचारी जनता पब्लिक को सेवा दे रहे हैं दुखद बात है और उन ही कर्मचारियों का पेट काटकर डीटीसी विभाग उनको तनख्वाह नहीं दे रही हैं।”

“डीटीसी कर्मचारी आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। कर्मचारी कहीं न कहीं से जैसे तैसे की किरयाना राशन व सब्जी वाले व किराए पर रहने वाले कर्मचारियों ने इनसे ब्याज पर पैसा लेकर अपनी घर परिवार बाल बच्चों का अपने मां बाप का पालन पोषण कर रहे है। विभाग का इतनी देरी से तनख्वाह देना कर्मचारियों की मानसिक स्थिति व आर्थिक स्थिति बिगड़ रही हैं।”

“यूनियन  मांग करती है, जो कर्मचारी ब्याज पर पैसा लेकर अपना घर परिवार चला रहे हैं क्या डीटीसी विभाग भी उनके वेतन पर ब्याज देगी,  जितने भी दिन कर्मचारियों की तन्ख्वाह देरी से मिल रही है उतने दिनों का तनख्वाह के हिसाब से कर्मचारियों को डीटीसी विभाग ब्याज सहित तनख्वाह दे।”

अगर जल्द से जल्द डीटीसी विभाग ने कर्मचारियों की तनख्वाह जारी नहीं की तो यूनियन को मजबूरन कानूनी और आंदोलन, धरना प्रदर्शन, हड़ताल व डिपो के गेट पर खड़े होकर आउटशेडिंग रोकने का सहारा लेना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी डीटीसी विभाग और दिल्ली सरकार की होगी।

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यूनियन का आरोप

मिली जानकारी के मुताबिक डीटीसी में ठेका कर्मचारियों को बीते तीन साल से न तो वर्दी मिली और न ही वर्दी के पैसे मिले हैं। वही DTC थे स्थाई कर्मचारियों को वर्दी के लिए हर साल 5 हजार रुपए दिए जाते हैं।

यूनियन का आरोप है कि डीटीसी प्रबंधन ठेका कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर रहा है।

गौरतलब है कि इससे पहले नवंबर के महीने में दिल्ली परिवहन निगम के ठेका कर्मचारियों (ड्राइवर और कंडेक्टर) ने किलोमीटर योजना के विरोध में प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में डीटीसी में ठेके पर 8 हजार ड्राइवर और 15 हजार कंडेक्टरों ने हिस्सा लिया था।

डीटीसी चार ज़ोन में बंटा है, जिसमें 118 वीवीएम डिपो है इसमें एक दिन में बसें 100 किलोमीटर चलती हैं। 912 कश्मीरी गेट डिपो की बसें एक दिन में 150 किलोमीटर चलती हैं।

इन बसों के ड्राइवरों को एक किलोमीटर पर 8 रूपये 22 पैसे मिलते हैं। अगर ये ड्राइवर महीने में 2250 किलोमीटर से ज्यादा चलाते हैं तो इनको 2250 किमी से अधिक चलाने पर प्रति किलोमीटर 8 रुपये 61 पैसे मिलते हैं।

अगर कोई गाड़ी डिपो से निकलने के बाद सड़क पर ब्रेक डाउन हो जाता है तो उस दिन की दिहाड़ी 783 रुपये मिलती है।

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