क्या कांग्रेस के नए अध्यक्ष खड़गे मज़दूरों और ट्रेड यूनियनों के मुद्दों को देंगे प्राथमिकता?

कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जिनकी राजनीति की शुरुवात ट्रेड यूनियन और मज़दूर आंदोलनों से हुई है, ये देखने वाली बात होगी की क्या नए लेबर कोड और मज़दूर सम्बन्धी जो तमाम मुद्दे है क्या उनकी प्राथमिकता में होगी?, क्या अब मज़दूर सम्बन्धी समस्यों पर कोई सुनवाई होगी? और क्या मज़दूरों के आंदोलनों में उनकी भागीदार होगी? ऐसे कई सवाल हैं।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे मनमोहन सिंह सरकार के दौरान रेल मंत्री और श्रम और रोजगार मंत्री भी रह चुके हैं। 2014-2019 के दौरान, उन्होंने लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता का पद संभाला।

खड़गे ने गुलबर्गा के सेठ शंकरलाल लाहोटी कॉलेज में कानून की पढ़ाई की और जूनियर के रूप में कई मज़दूर सम्बन्धी ट्रेड यूनियनों के मामले भी जीते थे। उसके बाद वह ट्रेड यूनियन के नेता बने।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर के खिलाफ 7,000 से ज्यादा वोट हासिल करके चुनाव जीता लिया है।

तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर को पार्टी के भीतर हुए इस चुनाव में 1,072 वोट मिले। इसके साथ ही 24 सालों बाद कांग्रेस (Congress) की कमान गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता के हाथ में आ गई है।

80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस के साथ राजनीति में 50 साल से ज्यादा का समय हो चुका है।

कर्णाटक के एक दलित परिवार से सम्बन्ध रखने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे दूसरे दलित कांग्रेस अध्यक्ष हैं। उनसे पहले मुखिया जगजीवन राम पहले दलित कांग्रेस अध्यक्ष थे। 1968 में अध्यक्ष बने एस निजलिंगप्पा के बाद खड़गे कर्नाटक से आने वाले दूसरे कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं।

खड़गे का चुनावी इतिहास

खड़गे का जन्म 1942 में बीदर में हुआ था। खड़गे को सोतिलदा सरदार कहा जाता है, जिसका मतलब है एक ऐसा योद्धा जिसके चुनावी रिकॉर्ड में आज तक कोई हार दर्ज नहीं हुई। उन्होंने विधानसभा और लोकसभा दोनों के मिलाकर 12 चुनाव लड़े और 2019 में केवल एक में वह हार गए।

1999, 2004 और 2013 में, मल्लिकार्जुन खड़गे कुर्सी के करीब थे, लेकिन उन्हें तब दूसरे उम्मीदवारों के लिए रास्ता बनाना पड़ा।

गौरतलब है की मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही बढ़ती महंगाई और नए मज़दूर विरोधी लेबर कोड की वजह से मज़दूरों का लगातार शोषण हो रहा है।

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इस वक्त जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पूरे देश में पद यात्रा कर रहे हैं ,तो इस बात की उम्मीद लगाई जा सकती है कि क्या अब फिर से मज़दूर सम्बन्धी मुद्दे जिसमें बेरोज़गारी, बेहतर काम की उम्मीद, महंगाई सहित तमाम मुद्दे राजनीति के केंद्र में होंगे?

अब देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष खड़गे जिनका इतिहास ट्रेड यूनियनों और मज़दूर आंदोलनों से रहा है वो मज़दूरों की समस्यों को कितनी गंभीरता से लेते हैं।

(स्टोरी संपादित शशिकला सिंह)

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