पंजाब से बैरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसान, संसद घेरने की तैयारी

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दिल्ली में संसद घेराव के लिए कूच कर रहे पंजाब और अन्य राज्यों के किसानों को रोकने के लिए हरियाणा, यूपी और दिल्ली की सीमा को सील कर दिया गया है इसके बावजूद किसान बैरिकेड तोड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

गुरुवार को अंबाला से दिल्ली को निकले किसानों को रोकने के लिए बैरिकेड लगाए गए थे लेकिन किसान उसे तोड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं। हरियाणा की सीमा सील होने के बावजूद किसान बैरिकेड तोड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं। रात को किसानों ने सिरसा में हाल्ट किया। ये मार्च सुबह फिर शुरू होगा।

इस बीच उत्तर प्रदेश के योगी सरकार ने हड़ताल में शामिल होने के ख़िलाफ़ एस्मा लगा दिया है। ओडिशा में भी हड़ताल में भाग लेने को अपराध घोषित कर दिया गया है। कई राज्यों में धारा 144 लगा दी गई है।

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और ढाई सौ किसान संगठनों की संयुक्त संघर्ष कोआर्डिनेशन कमेटी ने 26 नवंबर को भारत बंद और 27 को संसद घेरने का ऐलान किया है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस महा हड़ताल में देश भर के 25 करोड़ से अधिक मज़दूर और कर्मचारी हिस्सा लेंगे। लगभग सभी सार्वजनिक उपक्रमों में हड़ताल के कारण बंदी रहेगी।

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इस बार का चक्का जाम ऐतिहासिक होने वाला है क्योंकि लगभग सभी सरकारी कंपनियों के कर्मचारी और सरकारी प्रतिष्ठान की यूनियनें इसमें हिस्सा ले रही हैं क्योंकि रेलवे से लेकर, बीपीसीएल, बैंक, आर्डनेंस फ़ैक्ट्री, रेलवे कारखाने, एलआईसी, बीएसएनएल, कोल इंडिया, एयर इंडिया को मोदी सरकार ने सेल पर डाल दिया है।

लगभग सभी राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों को मोदी सरकार ने निजी हाथों में देने का फरमान सुना दिया है, जिससे देश भर के 25 लाख कर्मचारी आक्रोषित हैं। उधर आर्डनेंस फ़ैक्ट्रियों को कार्पोरेट बनाने का मसवदा मोदी सरकार चुपके चुपके आगे बढ़ा रही है।

लेकिन ये आक्रोश बस यहीं नहीं हैं। बीते संसद सत्र में तीन कृषि क़ानूनों और तीन लेबर कोड बनाकर किसानों और मज़दूरों के सुरक्षा कवच को छीन लेने वाली मोदी सरकार के ख़िलाफ़ किसानों और मज़दूरों में भारी गुस्सा है।

महाराष्ट्र में 36 कामगार संगठनों और किसान संगठनों ने मिलकर पूरे राज्य में धारा 144 के बावजूद मानव शृ्ंखला बनाएंगे।

विशेषकर बैंकिंग सेक्टर और एलआईसी की कर्मचारी यूनियन ने पूरी तरह हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है। हरियाणा में सरकारी प्रतिष्ठान, रोडवेज़ कर्मचारी भी इसमें शामिल हो रहे हैं।

हरियाणा की निजी कंपनियों में अभी फिलहाल तय नहीं है कि वे इस महा हड़ताल में शामिल होंगे कि नहीं, लेकिन कंपनी की यूनियनें किसी तरह अपना चेहरा बचाने की फिराक में हैं और आंशिक तौर पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने पर राज़ी हुई हैं।

अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मारुति और उससे जुड़़ी कंपनियों की ट्रेड यूनियनों ने छुट्टी लेकर और प्रतिनिधिमंडल के तौर पर हड़ताल में हिस्सा लेने का निर्णय लिया है।

ग़ौरतलब है कि दो दिवसीय किसान मज़दूरों के इस महा हड़ताल को विफल करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार और राज्यों की भाजपा सरकारें किसान और मज़दूर नेताओं को बुधवार की रात से ही गिरफ़्तार करना शुरू करवा दिया था।

स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव और कांग्रेस ने भी इन गिरफ़्तारियों के ख़िलाफ़ मोदी सरकार की निंदा की है और इसे कायराना बताया है।

योगेंद्र यादव ने कहा है कि “24 नवंबर की शाम से ही आधी रात तक पुलिस ने हरियाणा के सभी ज़िलों में किसान नेताओं को गिरफ़्तार करना शुरू कर दिया था। सरकार जब विरोध की आवाज़ को सहन नहीं करती है तो तानाशाही का रवैया अख़्तियार करती है। सरकार यही कर रही है लेकिन किसान डिगेंगे नहीं।”

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