गिरफ़्तारियों के बीच पूरे देश में किसानों ने दहन किया पीएम मोदी का पुतला

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संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान के तहत पूरे भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमित शाह, नरेंद्र सिंह तोमर, योगी आदित्यनाथ, मनोहर लाल खट्टर, अजय मिश्रा टेनी और अन्य भाजपा नेताओं का पुतला दहन किया गया। मोर्चा ने 15 अक्टूबर को पूरे देश में पुतला दहन का आह्वान किया था।

मोर्चे की विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तर प्रदेश में, पुतला दहन के कार्यक्रमों को रोकने के लिए यूपी पुलिस द्वारा किसान नेताओं को हिरासत में लेने और नजरबंद करने की कई रिपोर्टें आई हैं। एसकेएम ने यूपी पुलिस के इस दमन की निंदा की है।

ऐसी खबरें मध्य प्रदेश से आ रही हैं, जहां किसान पुतला दहन कर रहे थे, वहीं गुना ,छिंदवाड़ा ,ग्वालियर और अन्य जगहों पर पुतला जलाने से पुलिस उन्हें जबरन रोक रही है। अलीराजपुर एवम अन्य जिलों में मुकदमे भी दर्ज किए गए। तमिलनाडु के करूर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने एसकेएम के प्रदर्शनकारियों को पुतला जलाने से रोकने के लिए उनपर हमला करने की कोशिश की। कल ओडिशा में भी कई जगहों पर पुतला दहन की कार्यवाही की गई। पंजाब भर में सैकड़ों जगहों पर आज पुतला दहन किया गया।

उधर, सिंघू बॉर्डर पर हुई जघन्य हिंसक घटना की संयुक्त किसान मोर्चा ने निंदा कीहै। इसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाकर बेअदबी और अशांति को बढ़ावा देकर आंदोलन को बाधित करने की साजिश के आरोप की जांच की मांग भी कीहै।

मृतक के गांव और परिवार से प्राप्त हुई मीडिया रिपोर्टों से ऐसा लगता होता है कि उसे कई दिनों तक गोपनीय कॉल आ रहे थे जिसे वह अकेले में बात कर रहा था। माना जाता है कि मृतक लखबीर सिंह ने अपनी बहन से कहा था कि ‘उसकी पहुंच बढ़ गई है’। माना जाता है कि गांव में एक शादी के बाद, वह एक निहंग सिख की पोशाक में किसी व्यक्ति के साथ चला गया और तब से सिंघू मोर्चा में एक निहंग समूह के साथ रह रहा था।

मोर्चे का कहना है कि ये सारी सूचनाएं किसी न किसी तरह की गहरी साजिश की ओर इशारा करती हैं । संयुक्त किसान मोर्चा का यह भी कहना है कि विभिन्न सीमाओं के बावजूद आंदोलन लगातार मजबूत होता रहा है और शांति और अहिंसा के मूलाधार के चलते ऐतिहासिक आंदोलन तेजी से आगे बढ़ता रहेगा।

police protect from burning modi effigy
मध्य प्रदेश के गुना में पुतला दहन से पहले का दृश्य। यूपी में भी किसान नेताओं को थाने में बिठाए रखा गया।

देश में भुखमरी बढ़ी

आज विश्व खाद्य दिवस है। खाद्यान्न, दूध, फल और सब्जियां, मत्स्य उत्पादन आदि के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद, भारत शर्मनाक तरीके से ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पिछले साल के 107 देशों में से 94 से इस साल फिसल कर 116 देशों में से 101 पायदान पर पहुंच गया है।

हालांकि भारत सरकार सूची में भारत की रैंकिंग का विरोध कर रही है, लेकिन भूख और कुपोषण की व्यापक अस्वीकार्य परिस्थितियों से इनकार नहीं किया जा सकता है, भले ही रैंकिंग पर सवाल उठाया जाए। सिर्फ उत्पादन नहीं है, बल्कि भरे सार्वजनिक अन्न भंडार जो जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचते हैं को देखने की जरूरत है।

तथ्य यह है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सुनिश्चित भारत की खाद्य सुरक्षा टोकरी को वास्तविक पोषण प्रदान करने के लिए विविधीकृत नहीं किया गया है, यह किसानों और उपभोक्ताओं (कई उदाहरणों में, ये अतिव्यापी श्रेणियां हैं), साथ ही साथ हमारे पर्यावरण दोनों के लिए नुकसान का सौदा है।

तीन किसान विरोधी कानूनों और अन्य नीतियों द्वारा हमारे खाद्य और कृषि प्रणालियों में निगमीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो वास्तव में समस्याग्रस्त है और वर्तमान किसान आंदोलन इसी के खिलाफ है। यह आंदोलन हमारे खाद्य और कृषि प्रणालियों पर कॉर्पोरेट नियंत्रण के विरोध में, हमारे खाद्य प्रणालियों में समता, व्यवहार्यता, संवहनीयता और पोषण सुरक्षा स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।

इस विरोध के भीतर, देश में विषम फसल के मुद्दे, हमारे भोजन के अधिक कॉर्पोरेट अधिग्रहण के लिए भोजन के तथाकथित ‘फोर्टिफिकेशन’ का मुद्दा, खाद्य जमाखोरी का वि-विनियमन और काला-बाजार की स्वतंत्रता का मुद्दा, व्यापार उदारीकरण जो हमारे बाजारों में सब्सिडी वाली डंपिंग की अनुमति देता है जो हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रय शक्ति को कम कर रहा है, धान को इथेनॉल उत्पादन में बदलने, और ऐसे कई कमीवादी गैर-समाधान शामिल हैं।

इस समय कई राज्यों के विभिन्न स्थलों पर किसान महापंचायतें हो रही हैं। आज रोहतक में एक किसान महापंचायत में भारी उपस्थिति देखने को मिली जिसकी तैयारी कई दिनों से चल रही थी। यह मकरौली टोल प्लाजा पर आयोजित की गई थी। पंजाब के फिरोजपुर जिले के जीरा में कल ऐसी ही एक महापंचायत में हजारों किसान एकत्र हुए जिन्हें एसकेएम के कई नेताओं द्वारा संबोधित किए गया।

इससे पहले 11 अक्टूबर को होशियारपुर में मुकेरियां हरसा-मानसर टोल प्लाजा पर महापंचायत थी जिसमें पंजाब के किसानों के अलावा हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के किसानों ने भी भाग लिया था। 17 अक्टूबर (कल) को उत्तर प्रदेश के अमरोहा (जोया रोड पर जोई के मैदान) में एक विशाल महापंचायत आयोजित की जा रही है।

कल अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस था। भारत में इस दिन को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कामगारों के रूप में गिनी जाने वाली अधिकांश ग्रामीण महिलाएं कृषि में लगी हुई हैं। महिला किसानों द्वारा लगाए गए श्रम और कौशल के बिना भारतीय कृषि संभव नहीं होगी। वे देश के खेतों के साथ-साथ रसोई में अपने श्रम के आधार पर देश की अन्नदाता हैं। संयुक्त किसान मोर्चा हमारी खेती और खाद्य सुरक्षा में महिला किसानों के अपार योगदान को सलाम करता है। इस आंदोलन ने उनके योगदान और भागीदारी को स्पष्ट करने की कोशिश की है, और अधिक महिला किसानों को संघर्ष में शामिल होने और आंदोलन को अपनी अनूठी ताकत देने के लिए आमंत्रित किया है।

संयुक्त किसान मोर्चा किसान आंदोलन के हिस्से के रूप में कई छोटे किसानों के संघर्षों के फलीभूत होने को सराहना और सम्मान देता है। ऐसी ही एक गतिविधि आंदोलन के प्रभाव के कारण हिमाचल प्रदेश में धान खरीद केंद्रों की शुरुआत का है। एसकेएम की मांग है कि धान की खरीद हर जगह शुरू की जाए और किसानों को बिना किसी देरी के उचित और तुरंत भुगतान किया जाए।

एसकेएम ने यह भी नोट किया कि ईंधन की कीमतों में फिर से वृद्धि हुई है, डीजल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक, पेट्रोल 110 रुपये प्रति लीटर से अधिक और रसोई गैस 1000 रुपये प्रति सिलेंडर के करीब है। देश के विभिन्न हिस्सों में विनियमित और सुचारू उर्वरक आपूर्ति की भी कमी है। एसकेएम की मांग है कि भारत सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों को तुरंत आधा किया जाए, और बेईमान तत्वों द्वारा जमाखोरी और कालाबाजारी की कोई गुंजाइश न रखते हुए उर्वरकों की आपूर्ति की व्यवस्था की जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा अजय मिश्रा टेनी के संबंध में मोदी सरकार की ओर से नैतिक रूप से जिम्मेदार प्रतिक्रिया की कमी पर हैरान है। यूपी भाजपा के एक नेता ने अब माना है कि अजय मिश्रा लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड के सूत्रधार हैं। इससे पहले, यूपी भाजपा अध्यक्ष ने खुद इस घटना की ओर इशारा करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि वे राजनीतिक नेतृत्व के बारे में ऐसा न सोचें जो उन्हें लोगों को कुचलने की अनुमति देता है। भाजपा का एक सांसद लगातार हिंदू-सिख तनाव भड़काने की ओर इशारा कर रहा है। ऐसी पृष्ठभूमि में, यह वाकई चौंकाने वाली बात है कि मोदी सरकार अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रही है। एसकेएम एक बार फिर मांग करता है कि अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा यह जानकर हैरान है कि यूपी पुलिस ने अभी तक एसकेएम नेता और तराई किसान संगठन के प्रमुख तजिंदर सिंह विर्क का बयान दर्ज नहीं किया है। एसकेएम की समझ है कि उनके या अन्य चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज नहीं किये जाने से इस हत्याकांड में आवश्यक जांच और न्याय के संबंध में शुरू से ही व्यक्त की जा रही आशंकाओं को बल मिलेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा इस बात की वकालत करता रहा है कि पराली जलाने के लिए किसानों को दंडित करना वायु गुणवत्ता के मुद्दों का समाधान नहीं है, और यह आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक रही है। एसकेएम बताता है कि पराली जलाना केवल, दिल्ली की राजधानी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता का ही मामला नहीं है, जो मामूली तरीके से साल के कुछ दिनों के लिए होता है, बल्कि किसानों के उत्पादक संसाधनों के खराब होने और ग्रामीण क्षेत्रों में उनके स्वयं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव का भी मुद्दा है। हालांकि, केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल के साथ औपचारिक बातचीत के दौरान एसकेएम को आश्वासन के बावजूद, भारत सरकार ने एक नया कानून बनाया जो किसानों पर जुर्माना लगाने की अनुमति देता है। एसकेएम एक बार फिर मांग करता है कि इस प्रावधान को क़ानून से हटा दिया जाए, और यह इंगित करता है कि इसके अनुभवजन्य साक्ष्य उपलब्ध हैं कि पर्यावरणीय खेती को बढ़ावा देने, और किसानों को प्रति किलो या प्रति एकड़ प्रोत्साहन के रूप में और पुआल जलाने को रोकने के लिए भुगतान समर्थन प्रणाली के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी है जिसमें किसानों के लिए इस तरह के भुगतान की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है, लेकिन जो कि लागू नहीं किया गया है। एसकेएम ऐसे समाधानों को बढ़ावा देने और तुरंत लागू करने की मांग करता है।

उत्तर प्रदेश में, राज्य सरकार के मंत्री श्री बलदेव सिंह औलख को परसों शांतिपूर्ण काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा। एसकेएम ने भाजपा नेताओं को इस तरह के विरोधों के फैलने की चेतावनी दी है।

आज बाबा बंदा सिंह बहादुर की जयंती है, जिन्हें जागीरदारों से जमीन लेकर और जोतने वालों को जमीन का मालिक बनाया। संयुक्त किसान मोर्चा उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करता है।

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