कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए काम करने वाले विदेशी मज़दूरों के साथ कैसा होता है बर्ताव?

कतर में फ़ुटबॉल वर्ल्डकप पूरे उफ़ान पर है। हर दिन यहां तीन से चार मैच खेले जा रहे हैं। इस वर्ल्ड कप  मैचों के लिए कतर में 7 स्टेडियम, एक नया एयरपोर्ट, नई मेट्रो लाइन, नये होटल और सड़कें बनाई गई हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट में 30,000 अप्रवासी मज़दूरों ने काम किया, जिनमें अधिकांश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से आते हैं।

बीबीसी हिंदी ने वहां अप्रवासी मज़दूरों के साध होने वाले बर्ताव पर एक स्टोरी की है, जिसमें दावा किया गया है कि 2010 में जबसे क़तर को वर्ल्ड कप की मेज़बानी मिली है, तब से 2021 तक 6,500 अप्रवासी मज़दूरों की मौत हो चुकी है।

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जबरदस्ती काम लगाया था आरोप

साल 2016 में मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने क़तर पर मज़दूरों से जबरदस्ती काम कराने का आरोप लगाया था। आरोपों में कहा गया था कि बहुत से मज़दूरों को बहुत  बुरी और अमानवीय  माहौल  में रखे गये  थे, उनके घर रहने लायक नहीं थे, उनसे भारी भरकम रिक्रूटमेंट फीस ली जाती गयी थी  और मज़दूरी को जबरन  रोक रखा  जाता था, पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए गए थे।

साल 2017 से सरकार ने प्रवासी मजदूरों को गर्मी में काम करने से बचाने, काम के घंटे सीमित करने और उनके कैंप में रहने की व्यवस्थाओं को सही करने की शुरुआत की।

हालांकि, ह्यूमन राइट्स वॉच की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार,  विदेशी कामगार तब भी सैलरी में अवैध तरीक़े से कटौती झेल रहे थे, साथ ही दिनभर में कई घंटे काम करने के बावजूद कई महीने तक बिना वेतन के काम करने को मजबूर थे।

एमनेस्टी इंटरनेशनल का ये भी कहना है कि ”कफ़ाला” या स्पॉन्सरशिप सिस्टम को ख़त्म करने बावजूद भी कर्मचारियों पर दबाव डाला जा रहा था। बता दें कि ‘कफ़ाला’ या स्पॉन्सरशिप सिस्टम के तहत बिना नियोक्ता की सहमति के कर्मचारी के नौकरी छोड़ने पर प्रतिबंध था।

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कितने मज़दूरों की हुई मौत?

फ़रवरी 2021 में गार्डियन अख़बार ने लिखा  था कि क़तर ने जब से वर्ल्ड कप के लिए बोली लगाई  जा  रही  थी तब से भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के 6,500 प्रवासी कामगारों की क़तर में मौत हो चुकी है।

अधिकारियों ने मौतों पर जो आंकड़ा दिया था उसमें मौतों को पेशे या जगह या कामकाज के आधार पर वर्गीकृत नहीं किया गया था। लेकिन श्रम अधिकार समूह फेयरस्क्वेयर का कहना है कि मरने वालों में से कई वर्ल्ड कप इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे थे।

क़तर सरकार का कहना है कि ये आंकड़े बहुत अधिक बताए जा रहे हैं, क्योंकि इनमें हजारों ऐसे विदेशी लोग भी शामिल हैं जिनकी क़तर में कई सालों तक रहने और काम करने के बाद मौत हुई है। सरकार के मुताबिक़, इनमें से कई लोग भवन निर्माण सेक्टर में नौकरी नहीं कर रहे थे।

क़तर का कहना है कि 2014 से 2020 के बीच वर्ल्ड कप स्टेडियम बनाने वाले मजदूरों में 37 की मौतें हुई हैं। इनमें से 34 मौतें काम की वजह से नहीं हुई हैं।

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ILO की रिपोर्ट

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) का कहना है कि क़तर ने अचानक और अप्रत्याशित तरीक़े से हुई मजदूरों की मौत की गिनती नहीं की है। दिल के दौरे, हीटस्ट्रोक की वजह से रेस्पिरेटरी फेलर से हुई मौतों को ”काम से जुड़ी” मौत नहीं बताकर ”प्राकृतिक कारणों” से हुई मौत बताया गया है।

आईएलओ ने क़तर में सरकारी अस्पतालों और एंबुलेंस सर्विसेज से मौतों के आंकड़े जुटाए हैं। इनमें वर्ल्ड कप प्रोजेक्ट से जुड़ी मौतों के आंकड़े भी शामिल हैं।

इन आंकड़ों के मुताबिक़, 2021 में 50 मज़दूरों की मौत हुई है और 500 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं। 37,600 लोगों को हल्की से मध्यम चोटें आईं हैं।

इन मौतों और चोटों का मुख्य कारण ऊंचाई से गिरना, सड़क दुर्घटनाएं और वस्तुओं का गिरना था।

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