दुनिया भर के 30 से भी अधिक देशों में अमेज़न के खिलाफ मनाया गया ब्लैक फ्राइडे

दुनिया भर के 30 से भी अधिक देशों के अमेज़न वर्कर्स ने 25 नवम्बर को अपनी मांगों को लेकर ब्लैक फ्राइडे के तौर पर make amazon pay कम्पैन का आयोजन किया गया।भारत ने भी लगभग सभी राज्यों में समर्थन में प्रदर्शन आयोजित किये  गये।

इस कम्पैन की माध्यम से अमेज़न वेयरहाउस के  कर्मचारियों ने  बेहतर वेतन के साथ-साथ काम करने के लिए अच्छा माहौल भी दिए जाने की मांग की ।

इन 30 देशों में अमेरिका, यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया आदि शामिल हुए। ‘make amazon pay ‘ दुनिया भर की 80 से भी अधिक ट्रेड यूनियनों का एक सयुंक्त अभियान है, जो UNI global union और progressive international द्वारा आयोजित किया गया।

इसमें नागरिक समाज संगठनों, पर्यावरणविदों और टैक्स वॉचडॉग, यूएनआई ग्लोबल यूनियन, प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल, ऑक्सफैम, ग्रीनपीस, 350 शामिल हैं।

इन संगठनों की सयुक्त मांग है कि अमेज़ॅन अपने कर्मचारियों को उचित वेतन दें और यूनियनों में शामिल होने के उनके अधिकार का सम्मान करे, करों के अपने उचित हिस्से का भुगतान करे और वास्तविक पर्यावरणीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हो।

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कहां कहां हुए प्रदर्शन

फ़्रांस और जर्मनी में, श्रमिक संघ वर्डी और सीजीटी द्वारा आयोजित हड़ताल पर 18 गोदामों के वर्कर्स ने हिस्सा लिया। संयुक्त राज्य अमेरिका के अमेज़न गोदाम के वर्कर्स ने वाकआउट कर रैलियां और प्रदर्शन किया।

जापान में हाल ही में गठित अमेज़न वर्कर्स यूनियन के सदस्यों  ने अमेज़न जापान एलएलसी के मुख्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। मेगुरो, टोक्यो, आयरलैंड में, पर्यावरणविद डबलिन में अमेज़ॅन मुख्यालय के बाहर शहर में दो नए नियोजित डेटा केंद्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। दक्षिण अफ्रीका में, लेज़बीक एक्शन कैंपेन ने अमेज़ॅन के नए अफ्रीका मुख्यालय का विरोध किया।

बांग्लादेश में, अमेज़ॅन की आपूर्ति श्रृंखला में हजारों परिधान कर्मचारी संघ की मान्यता, बेहतर वेतन और शर्तों के लिए और अमेज़ॅन के लिए बांग्लादेश समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए रैली और मार्च की।

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दिल्ली में प्रदर्शन

वहीं भारत में अमेज़न के हजारों कार्यकर्ता, रेहड़ी-पटरी वाले, विभिन्न कम्पनियों  के डिलीवरी बॉयज  सहित कई सामाजिक संगठनों और समर्थकों  ने  नई दिल्ली के जंतर मंतर पर  प्रदर्शन  और सभा की  इसके अलावा  20 से अधिक शहरों में रैली और सभाएं  कर ‘make amazon pay ‘ कम्पैन का समर्थन  किया।

उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल सहित आदि राज्यों में धरना प्रदर्शन, रैली और सभाएं आयोजित हुई ।

देश की राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर अमेज़न वर्कर्स और गिग वर्कर्स ने गिग स्ट्रीट एक्शन पैन इंडिया के बैनर तले अपनी मांगों को लेकर सयुक्त रूप से प्रदर्शन किया।

भारत में ‘make amazon pay ‘ कम्पैन को GIGWA ने अमेजन वेयरहाउस के साथ संयुक्त रूप से इसे ‘गिग स्ट्रीट एक्शन पैन इंडिया’ (GiGWA STREET ACTION PAN INDIA)’ कम्पैन नाम दिया है।

इस विरोध कैम्पेन में GIGWA के साथ हॉकर्स जॉइंट एक्शन कमेटी के साथ भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, अखिल भारतीय व्यापारियों के परिसंघ, अखिल भारतीय व्यापार मंडल संघ, परिवर्तन के लिए आईटी सहित कई  क्षेत्रों के संगठनों साथ आये

HJAC, गिग वर्कर्स एसोसिएशन, अमेजन इंडिया वर्कर्स एसोसिएशन, दिल्ली श्रमिक संगठन, बहुजन मजदूर यूनियन, ऑल इंडिया पीपल साइंस नेटवर्क, इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स आदि शामिल रहे।

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’10 घंटे खड़े-खड़े करते हैं काम’

नई दिल्ली में अमेज़न वेयरहाउस वर्कर में काम करने वाली नेहा सिंह का कहना है कि “हमें 10 घंटे की शिफ्ट में खड़े होकर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। वेयरहाउस में वर्कर्स के लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है, आराम करने की तो बात ही छोड़िए।”

उन्होंने बताया – “यहां बाथरूम को “रेस्टरूम” कहा जाता है जहां हमें आराम करने को कहा जाता है। और मज़बूर हमें वहीं फर्श पर आराम करना पड़ता है। हमारा लंच ब्रेक इतना छोटा है कि हम खाने के लिए मुश्किल से ही कैंटीन से चलने और वापस आने में 30 मिनट का समय बिताते हैं।”

नेहा सिंह का आरोप है कि काम के दौरान सीसीटीवी कैमरों से हमारी लगातार निगरानी की जाती है, जो न केवल अमानवीय है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से महिलाओं के प्रति असंवेदनशील है।

विदेशी खुदरा और ई-कॉमर्स के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई समिति के सह-संयोजक धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि “अमेज़ॅन पूरे भारत में काम करने के मानकों को कम कर रहा है। यह एक ऐसे व्यवसाय मॉडल पर आधारित है जो पारिस्थितिक रूप से विनाशकारी और आर्थिक रूप से अव्यावहारिक है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला के श्रमिकों, छोटे और स्वतंत्र व्यापारियों, सड़क विक्रेताओं, समुदायों और ग्रह सहित सभी शामिल हैं।

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संगठन की मांग

GIGWA ने गिग वर्कर्स, अमेज़न वर्कर्स और स्ट्रीट वेंडर्स की मांगों को थी अलग-अलग कैटेगरी में बांटा हैं।

संगठन की मांग है कि अमेज़ॅन के हर वर्कर को कम से कम 25000 रुपए प्रति माह का वेतन दिया जाना चाहिए। अमेज़न के वोकर लगातार 10 घंटों का काम करने को मज़बूर है इस को घटाकर 8 घंटे करने कि मांग भी की है।

अन्य मांगे :

  1. कर्मचारियों को निगरानी में काम करने के लिए बाध्य न किया जाये।
  2. अप्राप्य लक्ष्य निर्धारित न किए जायें
  3. लंच टाइम 30 मिनट सुनिश्चित करें, पंचिंग टाइम के साथ खिलवाड़ करना बंद किया जाये।
  4. पुरुष और महिला वर्कर्स के लिए अलग-अलग पर्याप्त शौचालय की व्यवस्था की जाये।
  5. बैठने की पर्याप्त व्यवस्था करें और खड़े होकर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए आराम का समय सुनिश्चित की जाये।
  6. महिला कर्मचारियों के लिए कॉमन क्रेच की व्यवस्था की जाये
  7. सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और महिला कर्मचारियों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करना बंद किये जाये।
  8. सभी को समान काम के लिए समान वेतन दिया जाये।
  9. भारतीय श्रम कानून के अनुसार निश्चित अवधि के अनुबंध को सुनिश्चित किया जाये।
  10. कर्मचारियों को बिना वजह नौकरी से निकालना बंद किया जाये।

संगठन ने सभी गिग वर्कर्स के लिए मांग की है कि सभी डिलीवरी ड्राइवरों को श्रमिकों के रूप में पहचान की जाये और कर्मचारियों को ESIC और PF सहित सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाये।

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वहीं स्ट्रीट वेंडर्स के लिए मांग की है कि स्ट्रीट वेंडर एक्ट को तत्काल लागू किया जाये, एम्पावर टाउन वेंडिंग कमेटी के तहत सभी रेहड़ी-पटरी वालों को वेंडिंग लाइसेंस प्रदान किये जायें।

गौरतलब है कि यह तीसरा साल है जब पूरी दुनियां में Make amazon pay ने ब्लैक फ्राइडे पर ग्लोबल डे ऑफ एक्शन का आयोजन किया है। पिछले साल पुरे जर्मनी में सुविधाओं पर हड़ताल करने वाले हजारों वर्कर्स, बांग्लादेश में वर्कर्स का विरोध दर्ज किया था। वहीं दुनिया भर में अमेज़ॅन मुख्यालय में मेक अमेज़ॅन पे लोगो के साथ प्रदर्शन किये गए थे।

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