इफ़को ब्लास्ट की दिल दहला देने वाली तस्वीरें बाहर आईं, योगी सरकार ने इंटरनेट बंद किया

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By सुशील मानव

उत्तर प्रदेश के इफको फूलपुर में बॉयलर फटने से 12 से अधिक मजदूरों की मौत होने की बात कही जा रही है, हालांकि अभी तक प्रशासन दो मज़दूरों की मौत की बात कही है। अभी भी कई मजदूरों के बॉयलर के नीचे दबे होने की सूचना है।
हालांकि अभी कोई पुष्ट सूचना इफको कोऑपरेटिव प्रबंधन की ओर से नहीं दिया जा रहा है। भारी संख्या में गेट पर परिजन इकट्ठा होकर हंगामा कर रहे हैं। लोगों की मांग है कि मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाए।

iffco accident hurt workers rest

हादसे के तुरंत बाद कारखाने के आस पास भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है और इलाके में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

घटना आज दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर घटित हुई। डेढ़ दर्जन से अधिक घायल मजदूरों को इलाहाबाद में विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

पिछले 5 सालों में 6500 मज़दूर दुर्घटनाओं में मारे गए, हर दिन करीब 4 मज़दूर मर रहे – रिपोर्ट

phoolpur iffco accident

जिन जिन मजदूरों का पता नहीं चल पा रहा है उनके परिजन इफको गेट के पास पहुंचे हैं। इफको कारखाने का गेट बंद कर दिया गया है।

मृतकों में पाली गांव के प्रदीप यादव (38 वर्ष) और राजकुमार नामक एक मजदूर की पहचान हो पाई है। प्रदीप यादव गुजरात में किसी कंपनी में काम करता था।

iffco accident burnt body

पिछले साल लॉकडाउन के चलते वो गुजरात में ही फँसा रह गया था। जुलाई महीने में उसके 10 वर्षीय बेटे की सांप काटने से मौत के होने के बाद वो अपने गांव लौटा था। बाद में यहीं इफको कारखाने में काम करने लगा।

हादसा पॉवर प्लांट के चार नंबर बॉयलर में हुआ। ये बॉयलर गैस से चलता था। इस एक बॉयलर से यूरिया-1 और यूरिया – 2 में कुल मिलाकर तीन प्लांट इस एक बॉयलर से चलाया जा रहा था, जिससे बॉयलर पर अतिरिक्त लोड था।

iffco accident waiting relatives outside

यूरिया प्लांट, और अमोनिया प्लांट में 5 मार्च से ब्रेकडाउन चल था और पिछले साल कोविड-19 के चलते बॉयलर की मरम्मत का काम नहीं हो सका था।

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बॉयलर फटने की तीव्रता का अंदाजा इस से लगाया जा सकता है कि पॉवर प्लांट में फटे बॉयलर के चीथड़े 200 मीटर दूर यूरिया प्लांट तक पहुंचे जिससे यूरिया प्लांट में भी दो मजदूर घायल हो गये।

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इससे पहले 22 दिसंबर 2020 को यूरिया प्लांट में वॉल फटने से अमोनिया गैस लीक होने के कारण 2 अधिकारियों की मौत हो गई थी और 14 अन्य मज़दूर बुरी तरह बीमार हो गए थे।

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इफ़को में भारी संख्या में ठेका मज़दूर काम करते हैं और उनसे परमानेंट नेचर के काम कराए जाते हैं। इसलिए जब भी कोई हादसा होता है सरकार मामले को जल्द से जल्द रफा दफा करने की कोशिश करती है।

(सभी तस्वीरें स्पेशल अरेंजमेंट के तहत सुशील मानव ने उपलब्ध कराईं।)

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