नोएडा की कंपनी में काम करने वाले मज़दूर की मौत, रोजाना कराया जाता था 12 घंटे काम

worker death

By खुशबू सिंह

नोयडा सेक्टर 6 में स्थित डीबी इंजीनियरिंग सॉल्यूशंस में काम करने वाले मज़दूर रामजीत की जून के पहले सप्ताह में अचानक मौत हो गई।

कंपनी में काम करने वाले मज़दूरों ने बताया कि “रामजीत कई दिनो से बीमार चल रहे थे। लेकिन फिर भी बिना किसी सुरक्षा के  प्रबंधन उनसे रोजाना 12 घंटे काम कराता था।”

एक मज़दूर ने आगे बताया, “एक दिन रामजीत के सीने में दर्द होना शुरू हुआ। वो कंपनी से सीधा ईएसआई अस्पताल पहुंचाए गए। दूसरे दिन घर लौटने पर उनकी मौत हो गई।”

इनकी मौत कैसे हुई इस बात की अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है। मज़दूरों का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन ने परिवार को कोई आर्थिक मदद नहीं दी और ना ही कोई हर्जाना देने को तैयार है।

रामजीत की उम्र 50 साल थी। वे पिछले 6 सालों से डीबी इंजीनियरिंग सॉल्यूशंस में काम कर रहे थे। इनकी तबीयत लॉकडाउन के बाद से काफी खराब चल रही थी।

मज़दूर ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि कंपनी ने इनको बिना मेडिकल सर्टिफिकेट के काम पर रख लिया और रोजाना 12 घंटे काम कराता रहा।

अब मृतक के परिवार मुआवज़े की मांग रहे हैं पर प्रबंधन ने मज़दूरों से ही 100-50 रुपए इकट्ठा करके करीब 6 हज़ार रुपए रामजीत के परिवार को दिया।

कंपनी के एक मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि “यहां पर इस तरह की घटना होना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले 2018 में कंपनी में करंट लगने से संजय नाम के एक मज़दूर की मौत हो गई थी।”

मज़दूर का शव 24 घंटे तक कंपनी की गेट पर पड़ा रहा 

उन्होंने आगे कहा “संजय का शव 24 घंटे तक कंपनी के गेट पर पड़ा रहा पर किसी ने भी पुलिस को बुलाने या अस्पताल ले जाने की कोशिश नहीं की उनके घर वालों को कोई मुआवजा नहीं मिला।”

एक अन्य मज़दूर ने बताया कि “कंपनी की अव्यवस्थाओं पर यदि कोई सवाल खड़ा करता है तो प्रबंधन फौरन उसे काम से निकाल देता है। हमें कोई ऑफर लेटर नहीं दिया गया है। कोई सबूत नहीं है कि हम इस कंपनी के साथ काम करते हैं। हज़ार बार मांगने पर भी हमें कोई लेटर नहीं दिया गया।”

उन्होंने आगे कहा, “यहां तक कि पीएफ़ तो कटता है पर हमें कभी मिलता नहीं है। प्रबंधन पीएफ़ के नाम पर हमारे पैसे खा रहा है।”

श्रम और रोजगार मंत्रालाय के आँकड़ो के अनुसार, पूरे भारत में 2014-2016 के बीच 3,562 मज़दूरों की मौत फैक्ट्री दुर्घटनाओं में हुई हैं और 51 हजार से अधिक मज़दूर घायल हुए हैं।

ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल के 2017 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल 48,000 हजार मज़दूरों की मौत फैक्ट्री दुर्घटनाओं में होती है।

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