तमिलनाडु पटाखा फ़ैक्ट्री विस्फ़ोट में मरने वालों की संख्या 19 हुई, 36 मज़दूर घायल

tamilnadu fire cracker blast

तमिलनाडु की एक पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट में मारे जाने वाले मज़दूरों की संख्या बढ़कर 19 हो गई है, जबकि 36 मज़दूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बताया जा रहा है कि मरने वालों में एक बाल मज़दूर भी शामिल है।

विरुधुनगर जिले के सत्तूर के निकट अचानकुलाम गांव में श्री मारियाममन फायर वर्कस नामक फैक्टरी थी, जहां पिछले कुछ सालों से पटाखे बनाने काम चल रहा है।

शुक्रवार दोपहर 1. 30 बजे रखे गये पटाखों में अचानक विस्फोट हो गया जिससे पूरी इमारत ज़मीदोज़ हो गई।

लेफ़्ट ट्रेड यूनियन काउंसिल ने पीड़ितों को समुचित मुआवज़ा देने की मांग की है। साथ ही घायलों के बेहतर इलाज़ और मुफ़्त चिकित्सा की व्यवस्था की मांग की गई है।

एलटीयूसी ने कहा है कि इतनी बड़ी घटना की जांच की जानी चाहिए और उस पर कार्यवाही होनी चाहिए।

इस घटना के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है।

सुरक्षा की अनदेखी

विरुधुनगर-सिवकासी-सात्तूर इलाक़े में पटाखा बनाने का बड़े पैमाने पर काम होता है लेकिन यहां सुरक्षा मानकों का कोई ख्याल नहीं रखा जाता।

विश्लेषकों का कहना है कि इस इलाके की जलवायु गरम और हवा में नमी भी कम होती है इसलिए पटाखा बिज़नेस के लिये ये ठीक नहीं है।
लेकिन पारम्परिक रूप ये उद्योग यहां बना हुआ है।

सभी प्रभावित मज़दूर ग़रीब और दलित जातियों से आते हैं। इस व्यवसाय में महिलाएं और बच्चों की भी अच्छी खासी संख्या होती है।

तमिलनाडु में जितना पटाखा बनता है उसका 90 प्रतिशत इसी इलाके में बनता है।

एक ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता ने बताया कि यहां आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं और बारूद के कणों के कारण शरीर में अपंगता आती है। धातु के कणों के शरीर में जाने से कई तरह की बीमारियां होती हैं। लेकिन

सेफ़्टी उपायों के बिना चल रहे इस उद्योग के बारे में सरकार की ओर से कोई एहतियात नहीं बरता जाता।

मुआवज़े की मांग

पटाखा बनाने में इस्तेमाल होने वाले ज़हरीले पदार्थ जैसे क्लोराइट, बोरियम नाइट्रेट, एल्युमीनियम के रसायन, पोटैशियम नाइट्रेट से होने वाली बीमारियों की संख्या अनगिनत है।

इस तरह की दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है हाथ से काम कराया जाना। स्थानीय ठेकेदार बिना किसी जानकारी और सावधानी या एहतियात की ट्रेनिंग दिए लोगों को काम पर रखते हैं। मज़दूरों को बहुत ही छोटी जगह में काम करना होता है।

भारी शोषण, लापरवाही, सेफ़्टी को नज़रअंदाज़ किया जाना, ऐसी समस्या है, जिसकी वजह से ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।

अक्टूबर 2016 में भी सिवकासी में एक पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ था जिसमें आठ लोगों की जान गई थी।

इस तरह की जब घटना होती है तो सुर्खियां बनती हैं लेकिन फिर लोग भूल जाते हैं।

अब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा है कि जिन लोगों की जान गई है उनको मुआवज़ा मालिकों से वसूल कर दिया जाए।

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